राणा गुरजीत की पंजाब कैबिनेट में वापसी!:राहुल गांधी के फैसले के बाद गई थी कुर्सी; रेत खनन में भूमिका के आरोप से घिरने के बाद दिया था इस्तीफा

कैप्टन सरकार में कांग्रेस के जिस मंत्री को राहुल गांधी के फैसले की वजह से कुर्सी गंवानी पड़ी, वो फिर वापस लौट आए। अभी तक की चर्चा के मुताबिक कपूरथला से विधायक राणा गुरजीत CM चरणजीत चन्नी की सरकार में फिर मंत्री बन रहे हैं। कैप्टन सरकार के शुरुआती साल में उन पर पंजाब में रेत खनन में भूमिका के आरोप लगे थे। तब राहुल गांधी कांग्रेस अध्यक्ष बने। उन्होंने कहा था कि कांग्रेस में भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, चाहे उसमें कथित भूमिका ही हो। इसके बाद राणा का इस्तीफा ले लिया गया था। अब सुगबुगाहट शुरु हो गई है कि क्या कांग्रेस की नीति बदल गई है। मंत्री बनाने की लिस्ट फाइनल करने का पूरा काम राहुल गांधी की अगुवाई में ही हुआ है।
10 महीने में ही लगा था कैप्टन को झटका, जांच में दी थी क्लीन चिट
राणा गुरजीत कैप्टन अमरिंदर सिंह के करीबी थे। 2017 में नई सरकार बनते ही उन्हें मंत्री बनाया था। जिसके बाद उनके पास पावर और इरीगेशन मिनिस्ट्री रही। हालांकि इसी दौरान उन पर रेत खदान नीलामी में शामिल होने के आरोप लगे। पंजाब विधानसभा में विपक्षी दल के नेता सुखपाल खैहरा ने प्रमुखता से इन मुद्दों को उठाया। इसके बाद CM रहे कैप्टन अमरिंदर सिंह ने एक सदस्यीय न्यायिक आयोग बनाया। जिसमें राणा गुरजीत को क्लीन चिट मिल गई। इसके बावजूद कांग्रेस हाईकमान तक यह मैसेज पहुंचाया गया कि इससे पार्टी की छवि खराब हो रही है।
राहुल से मिलने के बाद कैप्टन ने मंजूर किया इस्तीफा
इस बारे में कांग्रेस के भीतर ही गहन मंथन हुआ। जिसके बाद पूरे मामले को लेकर कैप्टन दिल्ली में राहुल गांधी से मिले। हालांकि इससे पहले ही राणा गुरजीत ने अपना इस्तीफा कैप्टन को सौंप दिया। कैप्टन ने उसे मंजूर नहीं किया। इसके बाद राहुल गांधी और कैप्टन अमरिंदर सिंह की बैठक हुई। जिसके बाद कैप्टन ने राहुल गांधी से हुई चर्चा के बाद राणा का इस्तीफा स्वीकार करने की घोषणा कर दी।
विरोधी केस दर्ज करने की मांग करते रहे
इस मामले में विरोधी आम आदमी पार्टी और अकाली दल लगातार पहले राणा गुरजीत को कैबिनेट से हटाने की मांग करता रहा। जब कैप्टन ने इस्तीफा मंजूर कर लिया तो उन्होंने केस दर्ज करने की मांग शुरु कर दी। हालांकि कैबिनेट से हटने के बाद मामला धीरे-धीरे ठंडा पड़ता गया।

अब सुखपाल खैहरा का क्या होगा?
इस मामले में बड़ा सवाल अब विधायक सुखपाल खैहरा को लेकर है। खैहरा ने ही तब आप नेता होते हुए राणा गुरजीत के खिलाफ मोर्चा खोला था। झगड़ा इतना बढ़ गया था कि राणा और खैहरा ने एक-दूसरे को उनके सामने चुनाव लड़ने की चुनौती दे दी थी। हालांकि अब खैहरा कैप्टन की अगुवाई में कांग्रेस में शामिल हो चुके हैं। वहीं, राणा गुरजीत फिर से मंत्री बन गए हैं। अब कैप्टन भी कमजोर हो चुके हैं। अब खैहरा को कांग्रेस से टिकट मिलेगी या नहीं? या उनका कांग्रेस में क्या भविष्य होगा, इसको लेकर चर्चा शुरु हो गई है।



