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Govatsa Dwadashi 2021: शनि संबंधित दोष होंगे शांत, मिलेगा मां लक्ष्मी का दुलार

Govatsa Dwadashi 2021 Puja Date Time, Rituals: गोवत्स द्वादशी पर अगर धनु, कुंभ, मकर, मीन व सिंह राशि के जातक व्रत रखते हैं तो हो सकती है गौ माता के साथ-साथ लक्ष्मी जी की कृपा। कलयुग में गाय, गंगा, गीता, गुरू व गायत्री की महत्वता बहुत ही अधिक है। यह गौ माता की महिमा का बखान करने वाला पर्व है। इस बार यह 1 नवंबर 2021 के दिन है। इस दिन सायंकाल के समय जब गाय चर कर वापस आये, तब गौ माता और बछड़े का पूजन करके निम्नलिखित शब्दों का उच्चारण करें।

Govatsa dwadashi puja: समुद्र मंथन के समय क्षीरसागर से उत्पन्न सुर तथा असुरों द्वारा नमस्कार की गई देव स्वरूपिणी गौ माता मैं आपको बार-बार नमस्कार करता हूं। आप मेरे द्वारा दिए गए इस अर्घ्य को स्वीकार करें।

इस मंत्र से प्रार्थना करें – सुरभि त्वं जगन्माता देवी विष्णुपदे स्थिता। सर्वदेवमये ग्रासं मया दत्त मिमं ग्रस।। ततरू सर्वमये देवि सर्वदेवैरलंकृते। मातर्ममाभिलषितं सफलं कुरु नन्दिनि

अर्थात- हे जगदम्बे! हे स्वर्गवासिनी देवी! हे सर्वदेवमयी! मेरे द्वारा दिए गए इस अन्न को आप ग्रहण करें तथा समस्त देवताओं द्वारा अलंकृत माता नन्दिनी आप मेरा मनोरथ पूर्ण करें।

2021 Govatsa Dwadashi: असलीयत में माता और संतान के प्रेम के गुणगान का व्रत है द्वादशी व्रत- वैसे देखा जाए तो श्री कृष्ण ने गाय को सबसे अधिक प्रेम और मान्यता दिलाई है। वे तो खुद ही गोविन्द कहलाए। गाय को महाभारत के आश्वमेधिक पर्व में सर्वदेवमय कहा गया है।

How is Govatsa Dwadashi celebrated: धन हो तो दूध देने वाली स्वास्थ्य गाय का दान करना चाहिए। कम से कम पांच, दस या सोलह बरस तक इस व्रत को करने के बाद ही उद्यापन करना चाहिए। इस व्रत को करने वाला अति उत्तम भोगों के साथ-साथ मृत्यु के बाद गोलोक धाम अर्थात श्री हरि का धाम बैकुंठ धाम को प्राप्त होता है।

Govatsa dwadashi vrat: जिन पर भी शनि की साढ़ेसाती या शनि की ढैया चल रही है, उन्हें यह व्रत स्वयं रखना चाहिए। सेहत ठीक न होने पर संतान से यह व्रत जरूर करवाना चाहिए। इस दिन गायों को हरा चारा अपने हाथ से जरूर खिलाएं। गाय-बछड़ा न होने पर गाय-बछड़े की बनी मूर्ति की ही पूजा करें या किसी और के घर में गाय बछड़ा हो तो उनके घर जाकर भी यह पूजा कर सकते हैं।

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