
चंडीगढ़ (निखिल शर्मा):पंजाब मंडी बोर्ड पंजाब का सबसे बड़ा कमाऊ विभाग है व राज्य की फल-सब्जी मंडीयों से बोर्ड को मार्किट कमेटी फीस व रूरल डिवैल्पमैंट फंड(आर.डी.एफ.) के रूप में कयोड़ो का राजस्व प्राप्त होता है। पंजाब मंडी बोर्ड द्वारा राज्य भर की फल-सब्जी मंडीयों के थोक कारोबारियों से मंडीयो मे माल की बिक्री पर 1 फीसदी मार्किट कमेटी फीस व 1 फीसदी रूरल डिवैल्पमैंट फंड वसूल करती है। पंजाब मंडी बोर्ब के नियम अनुसार ग्राहक से पंजाब मे फीस सिर्फ एक दफा ली जाती है व मुख्य थोक मंडीयों से छोटी मंडीयों मे माल जाने के एवज मे आई-फार्म का उपयोग होता है जो कि मुख्य थोक मंडी का कारोबारी अपने ग्राहक को माल की बिक्री दौरान देता है जिसमें यह सपष्ट लिखना होता है कि उपरोक्त खरीदे माल की सरकारी फीस ग्राहक से ली जा चुकी है व छोटी मंडीयों मे मार्किट कमेटी अधिकारियों पास आई-फार्म जमा हो जाता है।अब विचारणीय तथ्य यह है कि पंजाब की अधिक्तर प्रमुख मंडीयो के थोक कारोबारी ग्राहक से मार्किट फीस वसूल करने के वावजूद आई-फार्म नहीं देते जिससे छोटी मंडी वाले कारोबारियों को दो जगह फीस देनी पड़ती है। जब इस विषय बाबत मार्किट कमेटी सचिव एस.पी.शर्मा से जानकारी मांगी गई तो उन्होने बताया कि आई-फार्म लेना ग्राहक का हक है व ग्राहक को आई-फार्म देना मंडी थोक कारोबारी का फर्ज है।अगर कोई थोक कारोबारी आई-फार्म नहीं देता तो उसकी शिकायत पंजाब मंडी बोर्ड को की जाए ,शिकायत मिलते ही आई-फार्म न देने वाले थोक कारोबारी पर कार्रवाई की जाएगी व उसका पूर्ण रिकार्ड भी चैक किया जाएगा।