
अफगानिस्तान के साथ भारत के मजबूत ऐतिहासिक और व्यापारिक संबंध रहे है. अफगानिस्तान में तालिबान के कब्जे से भारत और अफगानिस्तान के बीच व्यापार ठप हो गया है. यानी ना तो भारतीय सामान अफगानिस्तान में जा सकता है, और ना ही अफगानिस्तान से कोई सामान भारत आ सकता है. अफगानिस्तान से भारत में पिछले कई सालों से प्याज की आयात होती आई है. फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गनाइजेशन (FIEO) अनुसार तालिबान (Taliban) ने पाकिस्तान (Pakistan) के सभी ट्रांजिट रूट बंद कर दिये थे इस वजह से भारत से सभी इंपोर्ट और एक्सपोर्ट बंद हो गये थे ऐसे में इस बार अफगान पर तालिबान के कब्जे से प्याज आयात में इंतजार करना पड़ रहा है.
2019 में लाल प्याज के भाव 100 रु प्रति किलो होने के चलते सरकार ने अफगानिस्तान से 2 हजार क्विंटल प्याज आयात की थी, इन दिनों अलवर की लाल प्याज की फसल के कण खेतों में लगाये जा रहे जो फसल तैयार होकर बाजार में आएगी , इस बार प्याज के भाव अच्छे मिलने की उम्मीद के चलते करीब 18 प्रतिशत प्याज की बुवाई ज्यादा की जा रही है.
अलवर की लाल प्याज भारत के विभिन्न प्रान्तों सहित विदेशों तक आपूर्ति करती है , 2019 में जब प्याज के दाम आसमान छूने लगे तो सरकार ने अफगानिस्तान से करीब दो हजार टन प्याज आयात कर प्याज की कीमतों को कम करने का प्रयास किया, इन दिनों अलवर जिले में प्याज के कण खेतों में लगाये जा रहे हैं किसानों को उम्मीद है इस बार प्याज मोटा फायदा देने वाला है इसी उम्मीद से 18 प्रतिशत प्याज की ज्यादा बुवाई हो रही है.
अलवर की लाल प्याज ने कभी किसानों को रुलाया तो कभी हंसाया, कभी किसानों ने लाखों का घाटा उठाया तो कभी लाखो बचाये, कुछ इसी तरह की है प्याज की खेती, अलवर जिले की लाल प्याज भारत के विभिन्न राज्यो सहित बंग्लादेश तक भेजी जाती है, अलवर प्याज की फसल दिवाली के आसपास आती है इन दिनों किसान खेतो में प्याज के कण लगा रहे हैं.
पिछले दिनों बारिश के चलते कर्नाटक से आने वाली प्याज की फसल बारिश के कारण खराब हो गयी जिससे प्याज के भाव बढ़े थे वही अलवर में किसानों ने कोरोना काल मे प्याज में भारी मुनाफा कमाया. इस बार अलवर में प्याज के दाम अच्छे मिलने की उम्मीद में जिले में करीब 18 प्रतिशत प्याज की ज्यादा बुवाई की जा रही है.
दरअसल प्याज की खेती अपने आप मे एक जुआ है यह छोटे किसानों के बस की बात नहीं इसमे मुनाफा मोटा होता है तो घाटा भी बड़ा होता है, इसलिए छोटे किसान इसमें रिस्क नहीं लेते. अफगानिस्तान पर तालिबान के कब्जे (Taliban Occupation Of Afghanistan) के कारण भारत में प्याज के मार्केट में किसानों को मोटा फायदा दिखने लगा था. इस बार अफगानिस्तान की प्याज भारत आना मुश्किल था. ऐसे में प्याज का बाजार किसानों को हजारों करोड़ रुपए का फायदा दिला सकता है. देश में प्याज की पैदावार करने वाले राजस्थान के प्रमुख अलवर जिले में किसानों ने प्याज की खेती में 260 करोड़ रुपए लगा दिए हैं. इस एक ही जिले में करीब 40 हजार बीघा में प्याज लगा दिया है. भाव अच्छे मिले तो किसानों की झोली में 600 करोड़ रुपए आ सकते हैं.
अन्य सालों की तुलना में इस बार प्याज की खेती की बुवाई ज्यादा की जा रही है , अलवर के कुछ इलाकों में तो पहले गिने-चुने किसान ही प्याज की खेती करते थे. इस बार कई जगहों पर पहले से 10 से 20 गुना अधिक प्याज की खेती की गई है. अलवर का प्याज देश के अलावा बांग्लादेश तक सप्लाई होता है.
65 हजार रुपए तक खर्च
1 बीघा खेत में प्याज लगाने और पैदा होने तक करीब 65 से 70 हजार रुपए खर्च आएगा. प्याज का भाव कम रहा तो किसान कर्ज में भी दब सकते हैं. यह एक तरह का जुआ है. भाव अच्छे रहे तो एक बीघा के खेत में सब खर्च काटकर 70 से 80 हजार रुपए आसानी से कमा सकेंगे. भाव कम रहा तो 70 हजार रुपए की लागत निकालना भी मुश्किल हो जाएगा.
फिलहाल तो प्याज के बीज पर किसानों को 7 हजार रुपए प्रति क्विंटल खर्च करना पड़ रहा है.1 बीघा खेत में 42 हजार रुपए प्याज के बीज पर खर्च कर रहे हैं.कहीं प्याज का बीज 4 हजार रुपए प्रति क्विंटल है तो कहीं 7 हजार रुपए तक भाव हैं.इसके बाद मजदूरी, खाद, दवा व बाजार पहुंचाने का खर्च अलग. सब मिलाकर एक बीघा में 65 से 70 हजार रुपए का खर्च आता है. अकेले अलवर के किसानों का 250 करोड़ से अधिक प्याज की खेती पर खर्चा आएगा.
एक बीघा में 125 कट्टे तक
एक बीघा में अच्छी पैदावार होने पर 125 कट्टे तक प्याज हो जाता है.एक कट्टे में 50 किलो प्याज होता है. औसतन एक बीघा में 80 कट्टे प्याज पैदा होता है.भाव अच्छे मिलने पर किसान की कमाई हो सकती है. वरना खर्च भी ज्यादा होता है. इस कारण भरपाई भी नहीं हो पाती है.
2 साल पहले 3 लाख रुपए तक प्याज बेची
दो साल पहले भाव इतने अधिक हो गए थे कि एक बीघा के खेत में ही किसानों ने 2 से 3 लाख रुपए तक प्याज बेचा है. उसी उम्मीद में इस बार भी किसानों ने कई गुना अधिक प्याज की बुआई की है.इस समय भी सैकड़ों हेक्टेयर में प्याज की बुआई जारी है.
कृषि उप निदेशक पी.सी. मीणा (Agriculture Deputy Director P.C. Meena) ने बताया कि हर साल की तुलना में इस बार प्याज की बुआई ज्यादा संभव है. अभी किसान बुआई करने में लगे हैं.पहले के सालों की तुलना में अकेले अलवर जिले में करीब 25 से 30 हेक्टेयर में फसल लगाई जा रही है जो पहले 15 हेक्टेयर में फसल लगी थी, इसका कारण है पिछले दो सालों में किसानों को प्याज में अच्छा लाभ हुआ .
प्याज के प्रमुख व्यापारी वर्ग का कहना है कि इस बार करीब 18 प्रतिशत प्याज की बुआई ज्यादा है. कोरोना में प्याज के भाव अच्छे मिले थे, जिसका कारण कर्नाटक में प्याज खराब होना था, लेकिन इस बार पैदावार ज्यादा है.पुराना प्याज का स्टॉक भी है, इसलिए बहुत अच्छे भाव मिलने को लेकर कुछ कहा नहीं जा सकता. यह एक तरह से जुआ है,और फिलहाल प्याज के भाव होलसेल में 20 रु किलो चल रहे हैं जो उपभोक्ता के रेंज में है , किसान उम्मीद तो लगता हर बार ही है लेकिन अभी ऐसा कुछ खास नजर नहीं आ रहा.



