
सरकार द्वारा राज्य के सभी स्कूलों को बंद करने का विरोध शुरू हो गया है। जहां निजी स्कूलों ने इस संबंध में सरकार को चेतावनी दी है वहीं अध्यापक वर्ग भी बच्चों के बिना उन्हें स्कूलों में बुलाने को लेकर खफा नजर आ रहे हैं। इसके साथ ही सरकार के इस ऐलान के बाद राज्य भर के किताब और वर्दी विक्रेताओं में मायूसी का आलम है। वहां निजी स्कूलों से संबंधित संगठनों ने सरकार के इस फैसले कि निंदा कि है।
कुछ महीने पहले दोबारा शुरू हुए स्कूल अब फिर 15 जनवरी तक बंद हो गए हैं जबकि 16 तारीख को कोरोना संक्रमण में बढ़ौतरी दर्ज की गई तो स्कूल 17 जनवरी को भी दोबारा खुलने के आसार नहीं हैं। स्कूलों के दोबारा बंद होने से जहां बच्चों की पढ़ाई फिर से प्रभावित होगी, वहीं वर्दी और किताब विक्रेता मायूसी के आलम में हैं।
रिकॉग्नाइज्ड एंड एफिलिएटेड स्कूल एसोसिएशन (रासा) पंजाब के अध्यक्ष जगतपाल महाजन और प्रांतीय महासचिव सुजीत शर्मा बबलू ने पंजाब सरकार के स्कूल बंद करने की फैसले की निंदा करते हुए कहा कि पिछले 2 वर्षों के दौरान स्कूल बंद होने के कारण वह पहले ही आर्थिक मंदी की मार झेल रही हैं, अब दोबारा स्कूल बंद होने से उनका यह आर्थिक संकट और गहरा हो जाएगा। जहां सिनेमा, मॉल और रेस्टोरेंट्स को 50 प्रतिशत क्षमता के साथ खोलने की आज्ञा दी गई है, वहीं स्कूलों पर भी यह नियम लागू होना चाहिए।
स्कूल बंद तो स्टाफ को क्यों बुलाया?
पंजाब का शिक्षा विभाग अक्सर अपने अजीबो-गरीब कामों को लेकर सुर्खियां बटोरता है। पंजाब सरकार द्वारा आज स्कूलों को 15 जनवरी तक बंद करने के आदेश जारी किए गए हैं। इसके बाद डायरेक्टर शिक्षा विभाग (सैकेंडरी) द्वारा जारी पत्र में कहा गया है कि जहां बच्चों के लिए स्कूल बंद होंगे, वहीं अध्यापक व नॉन टीचिंग स्टाफ स्कूल में उपस्थित रहेगा। इन आदेशों को लेकर विभिन्न स्कूलों के टीचिंग और नॉन टीचिंग स्टाफ की कड़ी प्रतिक्रिया देखने को मिली है। विभिन्न स्कूलों के स्टाफ ने अपना नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर कहा कि जब बच्चे स्कूल ही नहीं आ रहे हैं तो स्टाफ ने स्कूल में आकर क्या करना है? ऑनलाइन क्लास कहीं से भी लगाई जा सकती है। ऐसे में अगर वह स्कूल में मौजूद रहेंगे तो उन्हें एक दूसरे से कोरोना संक्रमित होने का खतरा बना रहेगा।
स्कूलों को सैलरी काटने का मिला एक और बहाना
पंजाब सरकार द्वारा स्कूलों को बंद करने के लिए गए फैसले के संबंध में निजी स्कूलों में पढ़ा रहे अध्यापक दिनेश, मोनिका, गुरजीत के साथ साथ विभिन्न अध्यापकों ने कहा कि पिछले लॉकडाउन के दौरान स्कूल बंद रहे और उनकी सैलरी में बड़ी कटौती की गई। कुछ अध्यापकों को तो सैलरी दी ही नहीं गई लेकिन स्कूलों ने उनसे सभी खर्चे पूरे वसूल कर लिए हैं। अब स्कूल बंद होने से स्कूलों को की सैलरी काटने अथवा ना देने का एक और अवसर है। अध्यापकों को आगामी आदेशों तक स्कूल का कोई भी काम न करने के लिए कह दिया है ताकि उन्हें सैलरी न देनी पढ़े।
बच्चों की सुरक्षा के मद्देनजर अभिभावकों बताया सही कदम
विभिन्न सरकारी व गैर सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले विद्यार्थियों के अभिभावकों से जब इस संबंध में बात की गई तो उन्होंने बताया कि यह बच्चों की सुरक्षा के मद्देनजर बिल्कुल सही कदम है। बच्चों की सुरक्षा को किसी भी कीमत पर दांव पर नहीं लगाया जा सकता।



