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चंडीगढ़: दो दिन भी नहीं निभा पाए साथ, दंपती को पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट से मिला तलाक

शादी के दो बाद ही अलग होने का फैसला करने वाले दंपती के तलाक को पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट ने मंजूरी दे दी। हाईकोर्ट ने तलाक के लिए न्यूनतम एक वर्ष तक इंतजार करने की सीमा को भी माफ कर दिया। 

विवाह के दो दिन बाद अलग हुए दंपती की याचिका पर सुनवाई करते हुए पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट ने कहा कि दोनों को तलाक देने के लिए विवाह के 2 दिन बाद ही अलग होना पर्याप्त कारण है। हाईकोर्ट ने कहा कि विवाह के एक वर्ष के भीतर तलाक की याचिका दाखिल न कर सकने की शर्त को भी इसी आधार पर माफ किया जा सकता है।
दोनों ने याचिका दाखिल करते हुए हाईकोर्ट को बताया कि उनका विवाह 15 फरवरी 2021 को हुआ था। विवाह के बाद दो दिन के भीतर उन्हें समझ आ गया कि वह साथ नहीं रह सकते, क्योंकि उनके बीच मतभेद बहुत अधिक हो गए थे। इसी के चलते पत्नी ने 17 फरवरी को अलग होने का फैसला किया और विवाह में दी गई सभी वस्तुएं भी वापस ले ली गई। इसके बाद दोनों ने आपसी सहमति से तलाक के लिए गुरुग्राम की फैमिली कोर्ट में याचिका दाखिल कर दी। याचिका के साथ ही एक अर्जी भी दाखिल की गई, जिसमें विवाह के एक साल के भीतर तलाक की याचिका स्वीकार न करने की शर्त को माफ करने की अपील की गई। फैमिली कोर्ट ने इस अर्जी को अस्वीकार कर दिया, जिसके चलते दंपती ने हाईकोर्ट की शरण ली। हाईकोर्ट ने अब फैमिली कोर्ट के फैसले को खारिज करते हुए दोनों के तलाक को मंजूरी दे दी। हाईकोर्ट ने कहा कि दोनों की आयु अभी विवाह योग्य है। दो दिन के भीतर दोनों अलग हो गए ऐसे में उन्हें आगे चलकर जीवन का फैसला लेने में परेशानी न हो इसके लिए उन्हें तलाक देना जरूरी है।

हाईकोर्ट ने कहा कि एक अन्य मामले में हाईकोर्ट एक साल की अवधि को समाप्त करने की अपील खारिज कर चुका है लेकिन उस मामले में दोनों पति-पत्नी के रूप में 3 माह साथ रहे थे लेकिन यहां मामला केवल दो दिन का है। 

21 किलो वजन कम होने की दलील पर हाईकोर्ट ने दिया था फैसला
हाल ही में हिसार के दंपती के मामले में पति ने दलील दी थी कि उसकी पत्नी के अत्याचार के चलते उसका वजन 21 किलो कम हो गया है। वह दिव्यांग है और पत्नी से वह बेहद परेशान है। हिसार की कोर्ट ने तलाक का आदेश दिया था जिसे पत्नी ने हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने भी उस मामले में निचली अदालत के फैसले को सही मानते हुए पत्नी की याचिका को खारिज करते हुए तलाक पर मुहर लगा दी थी।

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