अमृतसरकपूरथला / फगवाड़ागुरदासपुरचंडीगढ़जम्मू-कश्मीरजालंधरपंजाबपटियालाफिरोज़पुरराष्ट्रीयलुधियानाहिमाचलहोशियारपुर

पंजाब में डेरों पर डोरे:2.12 करोड़ वोटर, इनमें 53 लाख डेरों से जुड़े, 47 सीटों पर असर

पंजाब में डेरों का राजनीतिक महत्व

पंजाब में चुनाव आते ही डेरे चर्चा में आ जाते हैं। क्योंकि, 10 हजार से ज्यादा डेरों में से 300 बड़े डेरों का चुनाव में सीधा असर होता है। डेरों का सूबे की 117 सीटों में से 93 पर प्रभाव है। 47 सीटों पर डेरे की एक कॉल किसी भी पार्टी का समीकरण बिगाड़ सकती है।

46 सीटों पर भी ये अंतर ला सकते हैं। डेरों की राजनीतिक विंग चुनाव के समय सक्रिय हो जाती हैं। इस बार 2.12 करोड़ मतदाता हैं। अनुमान के अनुसार इनमें 25% यानी 53 लाख किसी डेरे से जुड़े हैं। इसलिए नेता डेरों के चक्कर लगाने शुरू कर देते हैं। प्रदेश के 12,581 गांवों में डेरों की 1.13 लाख शाखाएं हैं।

3 बड़ी वजह… डेरों से इसलिए जुड़ते हैं लोग

  • जाति-धर्म फैक्टर… पंजाब में शुरुआत से ही सामंती प्रभाव रहा है। जिससे सामाजिक-आर्थिक असमानता रही है। डेरों में जाति, धर्म व आर्थिक असमानता नहीं रहती है। यहां सभी समान हैं।
  • नशा फैक्टर… प्रदेश में नशा हमेशा मुद्दा रहा है। डेरों में नशे से दूर रहने को कहा जाता है। इसलिए इनमें महिलाओं की संख्या ज्यादा है। वे परिवार के पुरुषों को लेकर डेरों तक पहुंचती हैं।
  • गरीब फैक्टर… डेरों से सामाजिक कार्य भी खूब होते हैं। खासकर गरीब परिवारों की मदद आगे बढ़कर की जाती है। इसलिए भी विशेषकर गरीब परिवार डेरों से जुड़ते चले जाते हैं।

प्रदेश के 5 बड़े डेरों का प्रभाव देश के साथ दुनियाभर में, करोड़ों अनुयायी भी

  • डेरा राधा स्वामी : बाबा जैमल सिंह ने 1891 में इसकी शुरुआत की थी। डेरे का विस्तार 90 देशों में में है।
  • प्रभाव: पूरे पंजाब में है।10-12 सीटों पर मजबूत पकड़।
  • डेरा सच्चा सौदा: सिरसा में है। देशभर में 6 करोड़ अनुयायी हैं। पंजाब में करीब 10 हजार डेरे हैं।
  • प्रभाव: मालवा में 35-40 सीटों पर इनका प्रभाव है।
  • नामधारी समुदाय : लुधियाना के भैणी साहिब में स्थित है। स्थापना रामसिंह ने की थी। 10 हजार से अधिक धर्मशाला हैं।
  • प्रभाव: माझा 2-3 व मालवा में 7-8 सीटों पर है।
  • दिव्य ज्योति जागृति संस्थान : 1983 मंे नूरमहल में इसकी स्थापना हुई। संस्थापक आशुतोष महाराज हैं।
  • प्रभाव: माझा में 4-5 व दोआबा में 3-4 सीटों पर
  • निरंकारी समुदाय : इसकी नींव 1929 में पेशावर में रखी गई थी। 27 देशों में 3 हजार शाखाएं और 1 करोड़ अनुयायी हैं।
  • प्रभाव: मालवा में 3-4 व माझा में 2-3 सीटों पर।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

You cannot copy content of this page