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पंजाब में डेरे बनाते हैं सरकार:किसी भी पार्टी को 6 बड़े डेरों में से 3 का साथ जरूरी; चन्नी CM बनने के बाद सचखंड बल्लां तीन बार जा चुके

17 जुलाई 2021, नवजोत सिंह सिद्धू को पंजाब कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया गया। 2 हफ्ते बाद, 5 अगस्त को विधायक चरणजीत सिंह चन्नी, सिद्धू को लेकर पहुंचे जालंधर के डेरा सचखंड बल्लां।

“चन्नी डेरा के गुरुदेव निरंजन दास जी महाराज के पास सिद्धू को CM बनाने का आशीर्वाद लेने के लिए आए थे, लेकिन गुरुदेव ने चन्नी से कहा- ‘तुम खुद CM बनने की कोशिश क्यों नहीं करते!’ 2 महीने के अंदर 19 सितंबर को ऐलान हो गया कि चरणजीत सिंह चन्नी पंजाब के अगले मुख्यमंत्री होंगे।”

डेरा सचखंड बल्लां के प्रमुख सेवादार (वॉलंटियर) हरदेव ने हमें ये किस्सा बताया। CM बनने के बाद से अब तक चन्नी 3 बार डेरे के चक्कर काट चुके हैं। हम जिस दिन इस डेरा पहुंचे उसके ठीक 4 दिन पहले CM चन्नी डेरे में रात बिताकर गए।

डेरे के सेवादार बड़े चाव से बताते हैं कि ‘पंजाब सूबे का CM गुरुदेव के कमरे में जमीन पर ही सो गया।’ चन्नी ऐसा करने वाले पंजाब के पहले CM हैं।

देश के दूसरे राज्यों में जब चुनाव होते हैं तो नेता मंत्री एक मंदिर से दूसरे मंदिरों का चक्कर काटने लगते हैं, लेकिन पंजाब के चुनावी मौसम में नेता डेरों पर डोरे डालने की जुगत में लगे रहते हैं।

पंजाब की एक चौथाई आबादी किसी ना किसी डेरे से जुड़ी है और 117 सीटों वाली विधानसभा में करीब 90 सीटों के वोटरों पर डेरा प्रभाव डालते हैं।

जानकार कहते हैं कि पंजाब में डेरे जिसे चाहें चुनाव जिता सकते हैं और जिता ना भी पाएं तो हरा तो जरूर सकते हैं। डेरे सिर्फ धार्मिक केंद्र नहीं हैं, बल्कि इनके अंदरखाने राजनीति की दिशा भी तय होती है।

‘क्या डेरे वाकई में सरकार बदलने की ताकत रखते हैं’ पहले इस सवाल का जवाब दीजिए, फिर पढ़िए डेरों की पूरी पड़ताल।

आपको डेरों के अंदर ले चलें इसके पहले ग्राफिक्स के जरिए डेरों की अहमियत को समझिए…

गुरु के आदेश ऐसे मानते हैं जैसे ईश्वर का आदेश हो

पंजाब में डेरे धार्मिक आस्था का केंद्र होते हैं और डेरे के केंद्र में होते हैं डेरे के प्रमुख, जिन्हें बाबा, गुरुदेव.. वगैरह कहा जाता है। डेरों में श्रद्धा रखने वाले लाखों लोग अपने गुरु की आज्ञा का पालन ठीक उसी तरह करते हैं, जैसे कि ईश्वर का आदेश हो।

कुछ डेरे सियासी तौर पर समर्थन का खुले तौर पर ऐलान करते हैं, वहीं कुछ डेरे अपनी राजनीतिक समिति और लोगों के जरिए अपने फॉलोअर्स तक मैसेज पहुंचा देते हैं कि किसे वोट करना है और किसे नहीं।

2007 और 2013 के चुनाव में ये खुलकर होता था, लेकिन 2017 और इस बार के विधानसभा चुनाव में डेरे खुले तौर पर किसी भी पार्टी या नेता का समर्थन करने से बचते हैं, लेकिन इसका ये मतलब नहीं है कि डेरों ने सियासत से दूरी बना ली है, नेताओं के लिए डेरे और डेरों के लिए नेता आपसी जरूरत हैं।

अब जानिए डेरों में अभी चल क्या रहा है…

डेरा सचखंड बल्लां
पंजाब चुनाव में डेरों की सियासी भूमिका पर पड़ताल के लिए हम सबसे पहले पहुंचे लुधियाना स्थित डेरा सचखंड बल्लां। सिर्फ पिछले 2 महीने के अंदर इस डेरे पर अरविंद केजरीवाल, हरसिमरत कौर बादल, चरणजीत सिंह चन्नी, भगवंत मान समेत तमाम राजनीतिक दलों के लोग पहुंच चुके हैं। संत रविदास को मानने वाले लोगों की इस डेरे में अपार श्रद्धा है।

पंजाब की करीब 32% दलित आबादी में से एक बड़ा हिस्सा इसी डेरे से जुड़ा है। याद कीजिए रविदास जयंती की वजह से पंजाब में पोलिंग की डे को आगे बढ़ाकर 20 फरवरी किया गया था, इसी बात से पंजाब में इस समुदाय के महत्व का अंदाजा लगाया जा सकता है।

हमने इस डेरे के अंदर करीब 6 घंटे बिताए। डेरे के कैंपस में भव्य निर्माण किया गया है। मंदिर, प्रांगण, क्वार्टर्स, 4000 लोगों की संगत के लिए विशाल हॉल, लंगर यहां सब कुछ है। डेरे के प्रमुख सेवादार हरदेव का मानना है कि गुरुदेव के आशीर्वाद से ही चरणजीत सिंह चन्नी CM बन सके।

CM बनने के बाद 23 सितंबर को चन्नी ने डेरा पहुंचकर ऐलान किया कि सरकार 101 एकड़ जमीन पर संत रविदास की शिक्षाओं को संजोने वाला केंद्र खोलेगी।

इसके बाद 1 जनवरी, 2021 को CM चन्नी ने फिर डेरा पहुंचकर 50 करोड़ की लागत से गुरु रविदास बानी अध्ययन केंद्र बनाने का ऐलान किया और डेरे के प्रमुख गुरु को 25 करोड़ रुपये का चेक दिया।

हरदेव कहते हैं कि ‘राजनीतिक लोग डेरे में आते हैं, लेकिन डेरा कभी सियासी तौर पर किसी का समर्थन नहीं करता है। डेरा राजनीति से दूरी बनाकर रखता है। भले ही डेरे में CM आकर रुके, लेकिन वो एक आम आदमी के तौर पर आए। केजरीवाल से लेकर सुखबीर बादल तक सभी डेरे में आते हैं और महाराज जी सभी को आशीर्वाद देते हैं।’

हालांकि, हमने जब डेरे में मौजूद फॉलोअर्स से सियासत की बात छेड़ी तो सियासी झुकाव की परतें खुलने लगीं। डेरा के युवा वॉलंटियर देविंदर दास बताते हैं कि ‘चन्नी साहब ने बतौर CM जो काम किए हैं, उससे रविदासिया समाज बहुत खुश है। हम उम्मीद करते हैं कि उन्हें एक बार और मौका मिलेगा।’

गुरुदेव के दर्शनों के लिए पहुंच रविदासिया समाज के लोगों से जब हमने बात की तो वो भी एक स्वर में यही कहते दिखे, ‘ये हमारे लिए गर्व की बात है कि आज पंजाब का CM हमारे समुदाय से है और हम ये चाहेंगे कि चन्नी साहब फिर से CM बनें।’

राधा स्वामी डेरा

राधास्वामी डेरा सत्संग ब्यास प्रमुख बाबा गुरिंदर सिंह ढिल्लों के साथ CM चन्नी।


अमृतसर से करीब 45 किमी दूर ब्यास नदी के किनारे 3000 एकड़ में फैला है राधा स्वामी सत्संग ब्यास डेरा, जिसके मौजूदा गुरु हैं गुरिंदर सिंह ढिल्लों। कई दूसरे डेरों की तरह ये डेरा भी राजनीति से दूरी बनाने का दावा करता है।

इस डेरे के फॉलोअर्स में जट सिखों की बड़ी तादाद है। जब हम यहां पहुंचे तो डेरे में आस्था रखने वाले जो भी लोग आ रहे थे, उनमें ज्यादातर ने मोटी पगड़ी और लंबी दाढ़ी रखी हुई थी। माना जाता है कि दूसरे डेरों की तुलना में इस डेरे के फॉलोअर्स ज्यादा सभ्रांत होते हैं। ब्यास नदी के किनारे होते हुए जब हम इस डेरे पर पहुंचे तो डेरे के विशालकाय और भव्य दरवाजों से ही इसकी अहमियत का अंदाजा लगाया जा सकता था।

पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी पोलिंग के करीब 2 महीने पहले 21 दिसंबर को अमृतसर स्थित इस डेरे पहुंचे थे। ठीक इसके दो दिन बाद ही डेरा चीफ गुरिंदर सिंह ढिल्लों CM चन्नी के घर आशीर्वाद देने पहुंचे। इसके बाद पंजाब सरकार ने CM चन्नी की डेरा चीफ के साथ फोटो शेयर की और ये भी बताया कि ‘डेरा प्रमुख ने चन्नी सरकार के कामों की तारीफ की।’

जब हम डेरे के मुख्य दरवाजे पर पहुंचे और बताया कि मीडिया से हैं तो, कोविड का हवाला देते हुए हमें अंदर नहीं जाने दिया गया। इसके बाद हमने डेरा से बाहर निकल रहे कुछ श्रद्धालुओं से बात की और उनकी सियासी नब्ज टटोलने की कोशिश की।

एक फॉलोअर ने नाम ना लिखने की शर्त पर कहा, ‘डेरे के फॉलोअर होने के साथ-साथ हम इस देश के नागरिक हैं और हमें भी वोट देने जाना है। हमें लगता है कि डेरे के प्रमुख ने CM चन्नी साहब को आशीर्वाद दिया है।’

हमने जवाब में पूछा कि आशीर्वाद का मतलब क्या फॉलोअर्स के लिए इशारा है? जवाब में वो कहते हैं, ‘बाकी आप समझदार हैं।’

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