
पनबस और पीआरटीसी के कच्चे मुलाजिम पक्का करने की मांग को लेकर पिछले 10 साल से संघर्ष कर रहे है। यूनियनों ने अब सरकार की टाल-मटोल की नीति से तंग आकर अहम फैसला लिया है। 6 सितंबर को पूरे सूबे में पनबस और पीआरटीसी के कच्चे मुलाजिम चक्का जाम रखेंगे। इसके बाद 7 सितंबर को मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के सिसवां फार्म हाऊस के बाहर पक्का धरना लगाया जाएगा। शनिवार को पनबस और पीआरटीसी के मुलाजिमों की अहम मीटिंग हुई।
उन्होंने बताया कि 6 और सात सितंबर को होने वाले प्रदर्शन के लिए उनको सभी जनतक, ट्रेड, मजदूर, मुलाजिम, स्टूडेंट यूनियन और आम लोगों का समर्थन मिल रहा है। पंजाब रोडवेज पेंशन एसोसिएशन के सूबा प्रधान दलजीत सिंह भुल्लर ने कहा कि पंजाब सरकार प्राइवेटाइजेशन की नीति अपना रही है। चुनावों से पहले सरकार ट्रांसपोर्ट माफिया खत्म करने और रोडवेज की बेहतरी के लिए काम करने की बातें कर रही थी लेकिन अब सरकारी ही सरकारी ट्रांसपोर्ट को खत्म करने की नीति अपना रही है। रेशम सिंह ने बताया कि पिछले लंबे समय से हम मांगों को लेकर संघर्ष कर रहे है, हर बार कैबिनेट मीटिंग का हवाला देकर संघर्ष को खत्म करवा दिया जाता है, लेकिन इस बार ऐसा नहीं होगा।
यूनियन नेता दलजीत सिंह ने बताया कि हर बार सरकार की तरफ से हड़ताल से पहले नो वर्क नो पे के नोटिस लगाए जाते है। अगर पक्के भी हड़ताल करें, तब भी यही नियम लागू होता है। लेकिन यूनियन अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन करने को पूरी तरह से तैयार है और किसान जत्थेबंदियों ने हमें भरपूर समर्थन दिया है। इसके अलावा हरियाणा में भी रोडवेज के कर्मचारियों के साथ संपर्क किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि सरकार पूरी तरह से रोडवेज को खत्म करना चाहती है।



