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Smartphone Addiction: मोबाइल की लत से बच्चों को मनोरोग का खतरा:इंटरनेट ज्यादा यूज किया तो मोबाइल एडिक्ट हो सकता है बच्चा…

Sanjeev.Shelly

ऑनलाइन क्लास शुरू होने के बाद कई छात्रों को मोबाइल की ऐसी लत लग गई है, जिससे वे मोबाइल एडिक्ट बन रहे हैं। पहले महज 5% बच्चों को मोबाइल यूज करने की लत थी, जबकि कोरोना के बाद लगी बंदिशों के चलते अब लगभग 80% से ज्यादा बच्चे लगातार मोबाइल पर ही अपना समय बिता रहे हैं।एचपी स्टेट मेंटल हेल्थ अथॉरिटी ने भी माना है कि अब पहले से ज्यादा बच्चों को मोबाइल पर समय बिताने की लत लग रही है। मेंटल हेल्थ अथॉरिटी को शिमला सहित प्रदेश के अन्य जगहों से इस संबंध में शिकायतें मिल रही हैं। हालांकि इसे मेंटल हेल्थ से जोड़कर नहीं देखा जा रहा है, लेकिन इसे एक एडिक्शन के तौर पर अथॉरिटी ले रही है।

चिड़चिड़े और गुस्सैल हो रहे बच्चे लॉकडाउन में स्कूल बंद हुए तो स्कूलों में ऑनलाइन क्लासें शुरू हो गईं, ताकि पढ़ाई प्रभावित न हो। ऐसे में इसके दुष्परिणाम भी सामने आने लगे। बच्चे मोबाइल एडिक्शन की चपेट में आ रहे हैं, जिससे उनका शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित हो रहा है। शहर के मनोचिकित्सकों के पास बच्चों में मोबाइल और इंटरनेट की लत के कई मामले आ रहे हैं। बच्चों के व्यवहार में बदलाव आने लगा है। पेरेंट्स की शिकायत है कि बच्चों को समझाते हैं तो वे चिड़चिड़े और गुस्सैल हो रहे हैं।

मोबाइल की लत ने बढ़ा दिया है चिड़चिड़ापन

छोटी उम्र में गुस्सा या चिढ़ना आम बात है, क्योंकि इस उम्र में चीजों को समझना आसान नहीं होता, लेकिन मोबाइल की लत के कारण ये और बढ़ रहा है। अगर बच्चे को फोन का इस्तेमाल करने से रोका जाए तो उनमें गुस्सा होने की प्रवृति बढ़ रही है।

साथ ही ये बच्चों को पहले से ज्यादा चिड़चिड़ा बना रहा है। मोबाइल ही उनकी दुनिया हो गई है। मनोचिकित्सकों का कहना है कि लॉकडाउन एक चुनौती है। ऐसे में पेरेंट्स को चाहिए कि वे सब्र से काम लें और बच्चों के मानसिक विकास को ध्यान में रखें।

जहां जरूरी है उसी लिंक सर्फिंग की इजाजत दें पेरेंट्स

Male hands typing on smartphone.

पेरेंट्स के लिए बच्चों की हरकतों का ध्यान रखना बहुत जरूरी है। आमतौर पर कम उम्र के बच्चों के पास फोन नहीं होता है, लेकिन वे माता-पिता की डिवाइस का उपयोग करते हैं। इस मामले में तो आप काफी हद तक उनकी एक्टिविटीज को देख सकते हैं, लेकिन निजी मोबाइल फोन रखने वाले बच्चों के मामले में यह मुश्किल हो जाता है।

ऐसे में माता-पिता उनकी ऑनलाइन गतिविधियों की जांच करते रहें। मॉनिटर करें कि बच्चा स्क्रीन पर ज्यादा वक्त कहां गुजार रहा है। जहां जरूरी है उसी लिंक पर इंटरनेट सर्फिंग करने की इजाजत दें। जैसे हीऑनलाइन क्लास खत्म हो जाती है, बच्चों से मोबाइल अपने पास ले लें।

मोबाइल और इंटरनेट टाइम को फिक्स कर लें यह सलाह गेमिंग लत से जूझ रहे लोगों के लिए काफी फायदेमंद है, क्योंकि अगर आप मोबाइल और इंटरनेट का समय सीमित कर देते हैं तो आपको दूसरे कामों के लिए भी वक्त मिलता है। अपने मोबाइल और इंटरनेट के समय को फिक्स कर दें।

हॉबी पर फोकस करें फोन पर लगातार गेम खेलते रहने की आदत के कारण व्यक्ति अपनी पसंद की चीजों को नजरअंदाज करना शुरू कर देता है, जबकि यही चीज आपको गेमिंग डिसऑर्डर से बचा सकती है। पेरेंट्स को भी बच्चों को उनकी पुरानी पसंदीदा चीजों के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।

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