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SAD में बगावत के बीच सुखबीर ने संभाला मोर्चा:पार्टी नेताओं से मीटिंग के बाद विधानसभा हलकों का रुख, कई नेताओं से मिले

शिरोमणि अकाली दल (SAD) में शुरू हुई बगावत के बाद पार्टी प्रधान सुखबीर बादल एक्टिव मोड में आ गए हैं। एक तरफ जहां उन्होंने ने SGPC मेंबरों से लेकर पार्टी के सभी विंगों के नेताओं से मीटिंग की है। वहीं, अब विधानसभा हलकों का रुख किया है। जहां पर वह पार्टी के नेताओं, वालंटियरों व उन परिवारों से मुलाकात कर रहे हैं, जो कि पार्टी से लंबे समय से जुड़े हुए हैं। इसी बीच सुखबीर सिंह बादल ने मोहाली विधानसभा हलके पहुंचे थे। जहां पर उन्होंने कई नेताओं से मुलाकात की। साथ ही पार्टी को मजबूत बनाने की तरफ कदम बढ़ाया।

इन नेताओं के घर पहुंचे थे बादल

सुखबीर सिंह बादल मोहाली के हलका इंचार्ज परविंदर सिंह बैदवान के साथ गांव भागो माजरा में मार्केट कमेटी के पूर्व चेयरमैन व सीनियर नेता जसवीर सिंह के घर पहुंचे थे। उनकी माता का कुछ समय पहले देहांत हो गया था। जहां पर उन्होंने शोक जताया। इसके बाद वह राष्ट्रीय कबड्डी खिलाड़ी पम्मा सोहाना के घर गए थे।

उनकी कुछ समय पहले हादसे में मौत हो गई थी। इसके अलावा वह यूथ अकाली नेता अमन पूनिया के घर पहुंचे। उन्होंने उनकी दादी की मौत पर शोक जताया। बादल का कहना है कि उनके लिए पार्टी का हर छोटा या बड़ा नेता उनके परिवार का मेंबर है।

चंदूमाजरा का घर भी मोहाली में

राजनीतिक माहिरों की माने तो मोहाली हलका शिरोमणि अकाली दल के लिए हमेशा खास रहा है। यहां पर कई बड़े दिग्गज अकाली नेता रहते है। बागी गुट में शामिल प्रो. प्रेम सिंह चंदूमाजरा का घर भी यहां पर है। वह साल 2014 से 2019 तक इस एरिया के सांसद भी रह चुके हैं। यह एरिया हलका श्री आनदंपुर साहिब के अधीन आता है। हालांकि जानकारों की माने तो सुखबीर बादल का यह अच्छा कदम है। इससे पार्टी को मजबूती मिलेगी।

ऐसे शुरू हुई थी पार्टी में बगावत

पार्टी के अंदर बगावत के सुर लोकसभा चुनाव नतीजों के बाद शुरू हुए । क्योंकि चुनाव में शिअद नेता व पार्टी प्रधान की पत्नी हरसिमरत कौर बादल के अलावा कोई भी चुनाव में जीत नहीं पाया। इसके बाद पार्टी ने चंडीगढ़ में कोर कमेटी की मीटिंग बुलाई। उससे पहले ही सुखबीर बादल की प्रधानगी को लेकर सवाल उठाए गए।

हालांकि मीटिंग में सुखबीर के पक्ष में सब कुछ रहा, लेकिन जालंधर चुनाव के लिए अकाली दल के उम्मीदवार को लेकर विरोध हुआ। उम्मीदवार के नामांकन के बाद बसपा को सीट छोड़ दी गई। इसके बाद पार्टी की अंदर चल रही जंग बाहर आ गई। हालांकि 2019 के चुनाव में पार्टी दो सीटें जीतने में कामयाब रही थी।

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