Punjab Vegetable Prices: मंडी से मटर गायब, रिटेल में दाम 200 रुपये किलो, नवंबर तक झेलनी होगी महंगाई
सितंबर के मध्य तक 60 रुपये प्रति किलो बिक रहे मटर के दाम बढ़कर अक्टूबर में 200 रुपये किलो पहुंच गए हैं। थोक सब्जी मंडी में मटर के दाम 160 रुपए प्रति किलो हैं। नई फसल पकने में भी करीब एक महीना लग जाएगा।

जालंधर। शहर की सब्जी मंडियों में इन दिनों मटर गायब हो गया है। कारण, रिटेल में मटर के दाम 200 रुपये प्रति किलो तक पहुंच चुके हैं। गरीब ही नहीं बल्कि मध्यम वर्ग की पहुंच से भी मटर कोसों दूर हो गए हैं। बताया जा रहा है कि बेमोसमी बारिश के चलते लोकल मटर की फसल खराब हो गई है। इसके अलावा पकने के लिए तैयार मटर भी अब एक महीने की देरी से तैयार होंगे। जिसके चलते लोगों को नवंबर महीने में ही लोकल मटर का स्वाद मिल सकता है।
दरअसल, एक महीने के भीतर मटर के दामों में 140 रुपए प्रति किलो का इजाफा हो चुका है। सितंबर के मध्य तक 60 रुपये प्रति किलो बिक रहे मटर के दाम बढ़कर अक्टूबर में 200 रुपये किलो पहुंच गए हैं। थोक सब्जी मंडी में मटर के दाम 160 रुपए प्रति किलो हैं लेकिन रिटेल में इसकी बिक्री करने के दौरान पड़ने वाले खर्च को मिलाकर 200 रुपये प्रति किलो बेचा जा रहा है।
छोटी मंडी तथा दुकानों से मटर गायब
मटर के दामों में भारी इजाफे के बाद शहर की छोटी सब्जी मंडी तथा दुकानों पर से मटर गायब हो गए हैं। इस बारे में किशनपुरा में रिटेल सब्जी बेचने वाले जितेंद्र पाल बताते हैं कि थोक में मटर के दाम 160 रुपए प्रति किलो है। जिसे दुकान पर लाने का खर्च तथा पाव पाव भर बेचने के दौरान माल कम होने तथा लिफाफों का खर्च मिलाकर 180 रुपए प्रति किलो घर पड़ रहे हैं। ऐसे में 200 रुपये प्रति किलो से कम बेचना घाटे वाला सौदा है। यही कारण है कि पिछले कई दिनों से वह मटर बेचने से तोबा कर चुके हैं। इसी तरह सब्जी के रिटेल विक्रेता जसपाल सिंह बताते हैं कि जितना निवेश मटर की खरीद पर करना पड़ता है, उतने की सारी सब्जी आ जाती है। ऊपर से मानसून का मौसम होने के चलते मटर की गुणवत्ता भी महज एक दिन ही रह गई है। ऐसे में बिक्री ना होने पर दूसरे दिन फेंकने तक की नौबत आ जाती है। जिसके चलते इन दिनों मटर बेचने से परहेज कर रहे हैं।



