Punjab Election 2022: चुनावी नतीजे से पहले दूसरी बार जीते कोटली, पहले टिकट लेने और बदलवाने में केपी को दी पटखनी
Punjab Election 2022 मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के साथ रिश्तेदारी राहुल गांधी से मुलाकात और पंजाब कांग्रेस के कुछ नेताओं की तरफ से समर्थन भी मोहिंदर केपी को कांग्रेस को टिकट दिलाने में नाकाम रहा। सुखविंदर कोटली आखिरकार आदमपुर से कांग्रेस के प्रत्याशी बनने में सफल रहे।

जालंधर। पार्टी विचारधारा से समझौता न करने का तर्क देकर बहुजन समाज पार्टी (बसपा) को अलविदा बोल कांग्रेस में शामिल हुए सुखविंदर कोटली चुनावी रण में नतीजा आने से पहले ही दूसरी बार जीतने में सफल रहे हैं। पहले आदमपुर हलके से बतौर कांग्रेसी प्रत्याशी घोषित होने तथा उसके बाद टिकट बदलवाने को लेकर हुई नूरा कुश्ती में पूर्व कैबिनेट मंत्री एवं पंजाब कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष मोहिंदर सिंह केपी को पटखनी देकर।
मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के साथ रिश्तेदारी, राहुल गांधी से मुलाकात और पंजाब कांग्रेस के कुछ नेताओं की तरफ से समर्थन भी मोहिंदर केपी को कांग्रेस को टिकट दिलाने में नाकाम रहा। केपी ने मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को अपने हलके में भी ले जाकर करोड़ों की ग्रांट की घोषणा भी करवाई, लेकिन बात फिर भी नहीं बनी। केपी नामांकन प्रक्रिया खत्म होने के आखिरी घंटे तक भी खुद को मजबूत बताने के लिए तमाम तरह की तिकड़म लड़ाते रहे।
मोहिंदर सिंह केपी के राजनीतिक भविष्य के लिए खतरनाक यह भी है कि कांग्रेस हाईकमान ने उन्हें इस कदर उलझाया गया कि उन्हें कांग्रेस की टिकट भी नहीं मिली और वह किसी अन्य राजनीतिक पार्टी में शामिल होने अथवा बतौर आजाद उम्मीदवार लड़ने से भी चूक गए। उन्हें नामांकन खत्म होने के आखिरी समय तक कांग्रेस हाईकमान ने इंतजार करवाया लेकिन उम्मीदवारी कोटली की ही कायम रखी।
आदमपुर में विरोधियों की मुश्किल बढ़ी
कांग्रेस की तरफ से सुखविंदर कोटली को ही प्रत्याशी बनाए रखने से विधानसभा हलका आदमपुर में विपक्षी पार्टियों के लिए भी खासी चुनौती खड़ी हो गई है। अकाली दल-बसपा के लिए भी इस सीट को जीत पाना अब पूर्व की भांति आसान नहीं होगा। सुखविंदर कोटली बसपा से ही अलग हुए हैं और बसपा के कैडर में ही सेंध लगाएंगे जो सीधे तौर पर अकाली बसपा प्रत्याशी के लिए खतरनाक भी साबित हो सकता है।



