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जब परगट की प्रेस कांफ्रेंस में विधायक बेरी बने आम आदमी…

विधायक राजिंदर बेरी को मंत्री परगट सिंह की प्रेस कांफ्रेंस में कुर्सी भी नसीब नहीं हुई। छोटे नेता कुर्सी पर बड़े मजे से डटे रहे। आदतन शरीफ नेताओं की कतार में खड़े रहने वाले बेरी कतार में खड़े हो गए। उन्होंने इसको लेकर एक शब्द नहीं बोला।

जालंधर। मामला कांग्रेस विधायक राजिंदर बेरी से जुड़ा हुआ है। सेंट्रल हलके के विधायक बेरी शुक्रवार को सर्किट हाउस में कैबिनेट मंत्री बनने के बाद पहली बार जालंधर पहुंचे परगट सिंह का स्वागत करने पहुंचे थे। विधायक जी थोड़ा लेट हो गए तो उन्हें प्रेस कांफ्रेंस में कुर्सी भी नसीब नहीं हुई और उनके कद से छोटे नेता कुर्सी पर बड़े मजे से डटे रहे। आदतन शरीफ नेताओं की कतार में खड़े रहने वाले बेरी कतार में खड़े हो गए। उन्होंने इसको लेकर एक शब्द नहीं बोला। प्रेस कांफ्रेंस खत्म होने के बाद उन्होंने भी मंत्री जी का स्वागत किया। मौके पर मौजूद दूसरे कांग्रेस नेताओं ने जरूर इस बात को लेकर परगट सिंह की निंदा की कि विधायक को तो कुर्सी देनी ही चाहिए थी। बेरी ने भी मौके पर एक खबरनवीस के सवाल का जवाब देकर मंत्री को कठघरे में खड़ा कर दिया कि हम तो आम आदमी हैं।

काफी उतार-चढ़ाव वाली रही सियासत

पंजाब में कांग्रेस की पिछले 10 दिन से चल रही उठापटक के बीच जालंधर की सियासत भी काफी उतार-चढ़ाव वाली रही है। जालंधर से नवजोत सिंह सिद्धू के करीबी परगट सिंह मंत्री बनने की रेस में सबसे आगे चल रहे थे। नतीजतन जालंधर के तमाम कांग्रेस नेता उन्हें बधाई देने के लिए मिठाई व फूल माला लेकर चार दिन इंतजार करते रहे कि न जाने कब खबर आ जाए कि परगट सिंह मंत्री बन गए हैं। इन चार दिनों में कई बार ऐसे मौके भी आए कि कांग्रेसी परगट के घर पहुंच गए फूल-माला लेकर। फिर खबर आई कि परगट मंत्री की रेस से बाहर हो गए हैं। लंबी खींचतान के बाद परगट मंत्री बन गए तो नवजोत सिंह सिद्धू ने इस्तीफा दे दिया। उसके बाद जो नेता परगट को फूल-माला देने निकले थे उन्हें फिर वापस आना पड़ गया, क्योंकि खबर आई कि परगट भी इस्तीफा दे रहे हैं।

कब खत्म होगा अधिकारियों का इंतजार

पुलिस कमिश्नरेट में हाल ही में तैनात हुए पुलिस कमिश्नर गुरप्रीत सिंह भुल्लर का तबादला लुधियाना हो गया है और लुधियाना में तैनात नौनिहाल सिंह को जालंधर भेज दिया गया है। नौनिहाल सिंह आदतन सख्त मिजाज के आइपीएस अधिकारी माने जाते हैं। यही वजह है कि उनके साथ काम करने के बजाय तमाम अधिकारियों ने अपने तबादले को लेकर सियासी आकाओं के यहां दौड़ लगानी शुरू कर दी है। कुछ ने पुराने कमिश्नर के नए ठिकाने का चक्कर काटकर अपना तबादला पक्का कर लिया है। मुसीबत इस बात की है कि तबादला नहीं हो रहा है। अधिकारियों का इंतजार खत्म नहीं हो रहा है। अभी नई सरकार ऊपर के बड़े अधिकारियों के तबादले करने के बाद शुरू राजनीति हालात से निपट नहीं पा रही है। इसके चलते निचले अधिकारियों का नंबर नहीं लग रहा है। ज्यादातर विधायक भी चुनावी साल में अपनी पसंद के अधिकारियों की तैनाती चाह रहे हैं।

परगट हिचकिचाए फिर थाम लिया कमल

हाकी छोड़कर सियासत में आने के साढ़े नौ साल के लंबे इंतजार के बाद मंत्री बने परगट सिंह ने जालंधर आते ही अपने हाथों में कमल का फूल थाम लिया। एक सप्ताह के इंतजार के बाद परगट सिंह जालंधर पहुंचे थे। शुक्रवार को उन्होंने अपने करीबियों से मुलाकात के साथ-साथ जालंधर के कई धाार्मिक स्थलों पर माथा भी टेका। इस दौरान उनकी पत्नी व करीबी लोग मौजूद रहे। पाश कालोनी माडल टाउन स्थित गीता मंदिर में भी परगट सिंह को उनके करीबी पार्षद रोहन सहगल लेकर गए। मंदिर में धार्मिक रस्मों रिवाज के साथ उनका स्वागत किया गया। पुजारी ने तिलक लगाकर परगट सिंह का स्वागत किया और फूल माला के साथ-साथ हाथ में कमल का फूल भी पकड़ा दिया। परगट कमल का फूल हाथ में लेने से हिचकिचा रहे थे, लेकिन मंदिर में पुजारी के हठ के आगे किसकी चलती है। नतीजतन उन्हें कमल का फूल लेना ही पड़ा।

 

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