
Maa Chintpurni- धार्मिक स्थल चिंतपूर्णी में चल रहे सावन अष्टमी मेलों के चलते रविवार को दर्शन करने के लिए श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ा। मेले में मंदिर न्यास ने धूप से बचने के लिए टैंट नहीं लगाए थे, जिस कारण श्रद्धालुओं को कड़कती धूप में खड़े रहकर घंटों बाद दर्शन करने पर मजबूर होना पड़ा। बरसात का मौसम होने के कारण इतनी ज्यादा उमस थी कि श्रद्धालुओं के पसीने छूट रहे थे।
शनिवार देर शाम से ही चिंतपूर्णी में दर्शन करने के लिए लंबी कतारें लग गई थीं। रातभर श्रद्धालु लाइनों में दर्शन करने के लिए जाते रहे। रविवार सुबह डबल लाइन मोगा धर्मशाला तक पहुंच चुकी थी। शनिवार देर शाम के बाद रविवार तक 50,000 से अधिक श्रद्धालुओं ने मां चिंतपूर्णी के दरबार में पूजा-अर्चना की।
सहायक मेला अधिकारी विवेक महाजन पिछले 4 दिनों से मेला क्षेत्र में व्यवस्थाओं की देखरेख के लिए जुटे हुए हैं। जब भी उन्हें कोई शिकायत मिलती है तो तुरंत निपटारे के लिए सख्त आदेश जारी कर देते हैं। उन्होंने कहा कि लिफ्ट को पेड करने के बाद मंदिर न्यास को 4 दिनों में 6 लाख रुपए से अधिक राशि प्राप्त हुई है।
टिक्की, जलेबी, डोसा, रबड़ी, रसमलाई… मां चिंतपूर्णी सावन मेला के 50 किमी मार्ग में लगे 150 के करीब शाही लंगर….
पंजाब के होशियारपुर से हिमाचल प्रदेश के चिंतपूर्णी तक सावन मेले में आस्था का समंदर दिखा। नाचते हुए, जयकारे लगाते हुए लाखों श्रद्धालुओ ने मां चिंतपूर्णी के दरबार में हाजिरी लगाई।
माता चिंतपूर्णी सावन मेले दौरान श्रद्धालुओ का कदम-दर-कदम शाही लंगर स्वागत करते नजर आए। जिसमें भक्तों की सेवा के लिए पंजाब भर की सैकड़ों लंगर कमेटियों ने होशियारपुर से माता चिंतपूर्णी तक की 50 किलोमीटर की दूरी में 150 से के करीब शाही लंगर लगाए।
एक अनुमान के मुताबिक छोटे-बड़े लंगर स्टालों की बात करें तो 4 से 5 करोड़ रुपये के शाही लंगर भक्तो के सेवार्थ माता के दर्शन करने वालों की सेवा में लगते हैं। विभिन्न सोसाईटियो द्वारा
गोल गप्पे, टिक्की, रस मलाई, माल पूड़े, रबड़ी, जलेबियां, कड़ी-चावल, राजमाह-चावल, छोले-भटूरे, चने नान, लच्छेदार नान, आइसक्रीम, पॉपकोर्न, कुल्फी, सोया चाप, पूड़ी-छोले, कोल्ड ड्रक्स, चाय, कॉफी, डोसा, समोसे, चाय-पकौड़ों, फ्रूट समेत अन्य लजीज पकवानो के साथ साथ लंगरों पर मिनरल वाटर तक की श्रद्धालुओं के लिए व्यवस्था की गई।