अमृतसरकपूरथला / फगवाड़ागुरदासपुरचंडीगढ़जालंधरपंजाबपटियालाफिरोज़पुरराजनीतिराष्ट्रीयलुधियानाहरियाणाहिमाचलहोशियारपुर

लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहे जाने वाले मीडिया को ही लोकतंत्र को लेकर करना पड़ रहा संघर्ष -सतनाम सिंह माणक ग्रुप को चुनावों से परहेज क्यू ???

जालंधर, लोकतंत्र का चौथा स्तंभ कहे जाने वाला मीडिया को ही लोकतंत्र को लेकर संघर्ष करना पड़ रहा है। स्थानीय पंजाब प्रेस क्लब में तानाशाही करते हुए सतनाम सिंह माणक को जिस तरह प्रधान बनाया गया है, उस अस्वैधानिक प्रक्रिया से पंजाब ही नहीं ब्लकि विदेशों में बसते मीडिया में भी इस बात को लेकर चर्चा शुरू हो गयी है कि प्रेस क्लब का प्रधान जबरदस्ती थोपा गया है और विरोध की आवाज को दबाने की कोशिश की गई है। बुधवार को जालंधर के देश भगत यादगार हाल में प्रेस क्लब के तमाम सदस्यों की एक बैठक हुई, जिसमें तमाम पत्रकारों ने इस बात की निंदा की कि प्रेस क्लब के चुनावों को लोकतंत्रिक ढंग से करवाने के स्थान पर जबरदस्ती प्रधान सतनाम सिंह माणक को थोपा गया है। हाल के भीतर पत्रकार शोर मचाते रहे लेकिन पूर्व प्रधान लखविंदर जौहल ने एक नहीं सुनी। 

वरिष्ठ पत्रकार निखिल शर्मा ने कहा कि कितनी निंदनीय बात है कि क्लब के संस्थापक स्वर्गीय आर.एन. सिंह ने क्लब को अपनी जिंदगी के कितने साल संघर्ष कर खड़ा किया और जबरदस्ती थोपे गए प्रधान ने उनके नाम के आगे श्री या स्वर्गीय लगाना भी उचित नहीं समझा। जागरण के व​रिष्ठ पत्रकार अरूणदीप ने कहा कि लोकतंत्र इस देश की प्रकिया का हिस्सा है और जो लोग लोकतंत्र की बात हर मंच पर उठाते हैं वह खुद लोकतंत्र की हत्या कर रहे हैं। इसके अलावा वरिष्ठ पत्रकार मेहर मलिक ने भी संबोधित किया। वरिष्ठ पत्रकार राजेश कपिल ने कहा कि प्रकिया पूरी अवैध थी। एजेंडा 72 घंटे पहले जारी नहीं किया गया, किसको पता था कि प्रधान की चुनाव प्रकिया एजीएम में होगी। इसके अलावा दूरदर्शन व एक संस्थान के सैंकड़ों लोगों को सदस्य बनाया गया। वहीं कितने विरोध में हाथ खड़े थे, कितने समर्थन में ? किसने गिनती की और इसका किसने लिखित रेकार्ड बनाया ? यह सब धक्केशाही की गई है। इसके अलावा सुनील रूद्रा ने संबोधन में कहा कि पूरी प्रकिया अवैध रुप से कर सिर्फ सतनाम सिंह माणक को धक्के से प्रधान बनाया गया है। चुनाव होने चाहिए और इसके लिए पूरा संँघर्ष किया जाएगा। इसके अलावा सुरिंदर पाल, अशोक अनुज, अभिनंदन भारती, परमजीत सिंह रंगपुरी ने कहा कि स्क्रीनिंग कमेटी की मीटिंग में उनकी आवाज को भी दबाया गया। जबकि रमेश नैय्यर ने कहा कि आखिरकार माणक जी चुनावों से डरते क्यों हैं ? क्या चुनावों में उनको हार दिख रही है ? क्या यह लोग लोकतंत्र के पहरेदार हैं ? पत्रकार जेएस सोढी ने भी संबोधित किया। वहीं तमाम सदस्यों की सहमति से 35 सदस्यीय संघर्ष कमेटी का गठन किया गया है, जिसमें संदीप साही, विनयपाल जैद, भूपिंदर रत्ता,नरेश भारद्वाज,नरिंदर नंदन, सर्वेश भारती, राजेश थापा, रमेश गाबा, विकास मोदगिल, मेहर मलिक, रजेश कपिल, गुरप्रीत सिंह संधू, अमनदीप मेहरा, हरीश शर्मा, वरिष्ठ पत्रकार महाबीर सेठ, राजेश शर्मा, जसपाल कैंथ,वरूण अग्रवाल, राकेश गांधी, मनवीर सब्बरवाल, मनीष शर्मा, नवजोत कौर, रमेश हैप्पी, गग​न वालिया, इमरान खान,शैली अल्बर्ट, गुरप्रीत सिंह पापी समेत और पत्रकारों को शामिल किया गया है। यह संघर्ष कमेटी अगली रणनीति तय करेगी जिसमें भूख हड़ताल से लेकर कानून प्रकिया से लेकर प्रेस क्लब में लोकतंत्र की बहाली की रणनीति तय की जाएगी। इस मीटिंग में जागरण से जतिंदर पम्मी, फोटोग्राफर मलकीयत सिंह, सर्बजीत सिंह काका, रमेश भगत, दलबीर सिंह, निशा, पंकज सोनी, अनिल वर्मा, दीपक लाडी सहित बहुसंख्या में पत्रकार शामिल हुए। वहीं कमेटी के सदस्यों द्वारा बाद में प्रेस क्लब के समक्ष मौन प्रदर्शन कर स्वर्गीय आर.एन.सिंह जी को याद किया गया।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

You cannot copy content of this page