विधानसभा चुनाव 2022 – उम्मीदवार अपने प्रचार हेतु पेड वर्करो का ले रहे सहारा – अपनो के विरोध डूबोएगें उम्मीदवारों की नैय्या-कार्यकर्ताओं व वर्करों को कठपुतली समझने की भूल करते है उम्मीदवार

विधानसभा चुनावो दौरान विभिन्न चुनावी मैदान में उतरे विभिन्न पार्टियों के उम्मीदवारों को अपनों के विरोध के चलते प्रचार व शक्ती प्रदर्शन हेतु पेड वर्करों व पेड महिलाओ का सहारा लेना पड़ रहा है। उम्मीदवार भी अपनी पार्टी के वर्करो की जगह पेड व दिहाड़ीदारो को ज्यादा अहमियत देने लगे है। कार्यकर्ताओ अनुसार उम्मीदवार के टिकट मिलते ही सुर बदल जाते है व वह अपनो की जगह गैरो को पहल देते है जिसके कारण अपने उसे जबरदस्त मार मारते है। जिले के कई हल्को में कुछ वर्कर अपनो का विरोध इस लिए भी करते है कि वह उम्मीदवार व पार्टी को अपनी पावर दीखा सके।पार्टी के परस्पर विरोध के चलते उम्मीदवारों का काफी नुक्सान हो सकता है।वर्णनीय है कि आजकल नेता लोग वोट बैंक के लिए व टिकट के चक्कर मे पार्टी तक बदल रहे है तो वर्कर भी उसी डगर पर चलते हुए बहती गंगा मे हाथ धोने से परहेज नही करते। कुछ ऐसे भी प्रधान है जो टिकट न मिलने के कारण व खुद पार्टी प्रधान होने के कारण खुलेआम विरोध जताने की जगह प्रचार की जगह खुद को पार्टी के अतिरिक्त कामों में व्यस्त रहने का दिखावा कर अंदरखाते वोटबैंक खराब कर रहे है। उम्मीदवारों को अगर जीत दर्ज करनी है तो उन्हे चाहिए कि पेड वर्करो की जगह अपने पार्टी वर्करों की कदर करे व नराजगीया जल्द दूर करे। पार्टी कार्यकर्ताओं के सामने जब प्रचार हेतु पेड महिलाए व दिहाड़ीदारों को प्रतिदिन 500-500 के भुगतान किए जाते है तो वर्कर भी यह सोचने को मजबूर हो जाते है कि वह भी तो अपने घर के व दफतरो के कामकाज छोड़ कर दिहाड़ी खराब करके ही आए है तो उनको कदर भी न मिले तो वह भी क्यू अपना कारोबार प्रभावित करके उम्मीदवार की कठपुतली बने। वोटर अब पेड न्यूज पेड वर्कर की पहचान अच्छी तरह करना सीख चुका है इसलिए हवाबाजी की जगह जमीनीस्तर पर कार्य करने की प्रत्येक उम्मीदवार को जरूरत है।



