Navratri 2021 Muhurat: कल घोड़े पर होगा मां दुर्गा का आगमन, जानें कलश स्थापना का उत्तम मुहूर्त
Navratri 2021 Muhurat शारदीय नवरात्रि 07 अक्टूबर दिन गुरुवार से चित्रा नक्षत्र वैधृति योग में प्रारम्भ हो रही है। नवरात्रि में सप्तमी तिथि मंगलावार को पड़ने के कारण देवी का आगमन घोड़े पर होगा। शुक्रवार की दशमी तिथि होने के कारण देवी का प्रस्थान हाथी पर होगा।

फूलों से डैकोरेशन कर दुल्हन की भांति सजा हिमाचल स्थित मां चिंतापुर्णी धाम

Navratri 2021 Muhurat: इस वर्ष 2021 में शारदीय नवरात्रि 07 अक्टूबर दिन गुरुवार से चित्रा नक्षत्र, वैधृति योग में प्रारम्भ हो रही है। यह नवरात्रि प्रकृति की मौलिक शक्ति की आराधना के साथ जन-जन में शक्ति एवं ऊर्जा का संचार करने वाला पवित्र पक्ष है। 07 अक्टूबर को दिन में 03 बजकर 28 मिनट तक आश्विन शुक्ल प्रतिपदा तिथि रहेगी। अतः शाम को द्वितीया का चन्द्र-दर्शन तुला राशि में होगा। चन्द्रमा अपनी उच्च राशि में होने के कारण वृष एवं तुला राशि वालों के लिए अति फलदायक रहेगा।
घोड़े पर सवार होकर आएंगी मातारानी
ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट के अनुसार, इस नवरात्रि में सप्तमी तिथि मंगलावार को पड़ने के कारण देवी का आगमन “तुरंग” अर्थात् घोड़े पर होगा, जो अशुभकारक है। महाअष्टमी का मान, व्रत एवं पूजन तथा महानिशा की पूजा 13 अक्टूबर बुधवार को सर्वमान्य है। मंगलावार की रात्रि 01:48 बजे अष्टमी लगेगी, जो बुधवार की रात्रि 11:48 बजे तक रहेगी, अतः पूजन हेतु अष्टमी की रात्रि कलश रखने का समय बुधवार 13 अक्टूबर की रात्रि 11:18 बजे से रात 12:06 बजे के मध्य होगा।
नवरात्रि 2021 हवन
महानवमी 14 अक्टूबर गुरुवार को होगी। नवरात्रि समाप्ति से सम्बंधित हवन-पूजन, कन्या पूजन 14 अक्टूबर गुरुवार को रात्रि 9:52 बजे तक नवमी पर्यंत किया जायेगा। नवरात्रि व्रत का पारण 15 अक्टूबर शुक्रवार को प्रातःकाल होगा।
हाथी पर होगा मां दुर्गा का प्रस्थान
विजयादशमी (दशहरा) का पर्व 15 अक्टूबर दिन शुक्रवार को मान्य होगा। इसी दिन दुर्गा प्रतिमाओं का विसर्जन श्रवण नक्षत्र युक्त दशमी तिथि में अति शुभ होगा। शुक्रवार की दशमी तिथि होने के कारण देवी का प्रस्थान गज अर्थात् हाथी पर होगा, जो शुभफलकारी होने के साथ उत्तम वर्षा का संकेत है।
नवरात्रि 2021 कलश स्थापना मुहूर्त
चित्रा नक्षत्र एवं वैधृति योग नवरात्रि आरंभ के कलश-स्थापन हेतु वर्जित कहा गया है। अतः 07 अक्टूबर को कलश-स्थापन के लिए अभिजित मुहूर्त ज्योतिष शास्त्र में सर्वोत्तम माना गया है। इस मुहूर्त में उपस्थित अनेक दोषों का स्वतः नाश हो जाता है।
यह अभिजित मुहूर्त दिन में 11:37 बजे से दिन में ही 12:23 बजे तक है। इसी समय के अंदर कलश-स्थापन शुभ होगा। इसके अतिरिक्त यदि कोई प्रातःकाल कलश स्थापना करना चाहे तो प्रातः कलश-स्थापन मुहूर्त 6:54 बजे से 9:14 बजे के बीच तुला लग्न में कर सकता है।
नई शक्ति प्राप्त करने का पर्व है नवरात्रि
शारदीय नवरात्रि शक्ति के नौ स्वरूपों का प्रतीक होता है। वर्षा ऋतु का गमन एवं शरद ऋतु का आगमन होने से यह स्वास्थ्य की दृष्टि से संक्रमण काल होता है। अतः नौ दिन व्रत-पूजा, नियम-संयम के माध्यम से ऊर्जा का संचयन कर नई शक्ति प्राप्त करने का दिव्य समय होता है।
श्री दुर्गा सप्तशती में स्वयं दुर्गा भगवती ने कहा है- “जो शरद काल की नवरात्रि में मेरी पूजा-आराधना तथा मेरे तीनों चरित्र का श्रद्धा पूर्वक पाठ करता है एवं नवरात्रि पर्यंत व्रत रहते हुए तप करता है, वह समस्त बाधाओं से मुक्त होकर धन-धान्य से समपन्न हो यश का भागीदार बन जाता है, इसमें किंचित संशय नहीं है।
“ शरदकाले महापूजा क्रियते या च वार्षिकी …
सर्वाबाधा विनिर्मुक्तो धनधान्य सुतान्वित:।
मनुष्यो मतप्रसादेन भविषयति:न संशय:।।”
अमृतसर में कल से लंगूर मेला !
मान्यता है कि बड़ा हनुमान मंदिर में मन्नत मांगने से भरती है सूनी गोद, संतान होने पर नवरात्र में उसे लंगूर का बाणा पहनाकर टेका जाता है मत्था
नवरात्र के साथ ही अमृतसर में गुरुवार से लंगूर मेला शुरू होने जा रहा है। दुर्ग्याणा मंदिर के पास बड़े हनुमान मंदिर में इसका आयोजन किया जा रहा है। दशहरे तक चलने वाले इस मेले में बड़ी संख्या में बच्चे वानर का रूप धारण करके मत्था टेकने पहुंचते हैं। कहा जाता है कि यह प्रथा रामायण काल से चली आ रही है। इस जगह को श्री राम का वरदान मिला हुआ है। कोरोना के चलते इस बार विदेश से बच्चे इस मेले में नहीं पहुंच पाएंगे, लेकिन देश के अलग-अलग हिस्सों से हजारों की संख्या में वानर सेना यहां पहुंच रही है।

मंदिर को लेकर मान्यता है कि लोग यहां संतान को लेकर मन्नत मांगते हैं। जिसके पूरा होने के बाद वो बच्चे को लंगूर की तरह सजाकर इस मेले में लेकर आते हैं। इसके बाद उसे हनुमान जी की वानर सेना में शामिल किया जाता है। मंदिर में कार्यक्रम को लेकर सारी तैयारियां हो चुकी हैं।

60 बजरंगी सेनाएं भी पहुंचेंगी
मंदिर के सेवक और श्री गिरिराज सेवा संघ के प्रधान संजय मेहरा ने बताया कि इस साल 60 बजरंगी सेनाएं यहां मत्था टेकने पहुंचेंगी। रोजाना 4000 से 5000 के करीब बच्चों के परिवार के साथ यहां पहुंचने का अनुमान है। प्रशासन ने सभी से मास्क पहनने की अपील की है।

क्या है इस मेले के पीछे की कहानी
बड़ा हनुमान मंदिर में हनुमान जी की बैठी हुई मूर्ति है। यह भी कहा जाता है कि भगवान हनुमान की मूर्ति को लव कुश ने खुद बनाया था। इसी मंदिर में एक वट का वृक्ष भी मौजूद है। जब राम जी की सेना के साथ लव-कुश का युद्ध हुआ था, तो हनुमान जी को इसी वृक्ष से बांधा गया था। बताया जाता है कि अश्वमेध यज्ञ से छोड़े गए घोड़ों को लव-कुश ने पकड़ लिया था, जब हनुमान जी उसे छुड़वाने पहुंचे तो उन्हें लव और कुश ने पेड़ से बांध दिया था।
इसके बाद राम जी यहां उन्हें छुड़ाने पहुंचे थे। उनका लव-कुश से युद्ध हुआ। जिसे सीता जी ने बीच में आकर रोका था। उन्होंने राम जी को बताया कि ये आपके ही बच्चे हैं। यहां पर भगवान राम को उनकी संतानों से मिलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ था, इसीलिए माना जाता है कि यहां पर जो भी संतान की कामना करता है तो वो जरूर पूरी होती है।
टिफिन बम से निपटने के लिए पुलिस तैयार
त्योहारों के चलते DGP कार्यालय से हाई अलर्ट जारी किया गया है। अमृतसर में लंगूर मेला बड़ी धूम-धाम से मनाया जाता है। DCP बंडाल ने बताया कि पूरे परिसर की CCTV से निगरानी रखी जाएगी। पंजाब पुलिस के साथ कमांडो भी तैनात किए जाएंगे। 24 घंटे पुलिस के जवान ड्यूटी देंगे।DCP परमिंदर सिंह बंडाल ने कहा कि लंगूर मेले में सुरक्षा के सभी उचित प्रबंध कर लिए गए हैं। रोजाना तीनों पहर मंदिर की चेकिंग की जाएगी।

हवाई, सड़क और रेल मार्ग से जुड़ा हुआ है अमृतसर
देश के हर कोने से रेल और सड़क मार्ग के माध्यम से अमृतसर पहुंचा जा सकता है। रोजाना दिल्ली से अमृतसर के लिए ट्रेनें और बसें चलती हैं। वहीं देश के बड़े शहर हवाई मार्ग के रास्ते अमृतसर से जुड़े हुए हैं। अमृतसर में श्री गुरु रामदास जी इंटरनेशनल हवाई अड्डा है, जहां विदेशों से भी लोग डायरेक्ट फ्लाइट लेकर पहुंच सकते हैं।
-रेलवे स्टेशन से दुर्ग्याणा मंदिर 1.90 किलोमीटर दूर है।
-एयरपोर्ट से दुर्ग्याणा मंदिर की दूरी 12.4 किलोमीटर है।
-बस स्टैंड से दुर्ग्याणा मंदिर की दूरी 2.6 किलोमीटर है।





