
कोरोना के बाद डेंगू और अब स्क्रब टाइफस के बुखार ने दस्तक दी है। जमशेर खास में रहने वाली 27 साल की महिला की इससे मौत हो गई है। एसएमओ डॉ. राजिंदर सिंह ने बताया कि पारिवारिक मेंबर उसे पीजीआई से बीच इलाज ही ले आए थे, उसका कारण पूछा तो परिवार ने कहा कि खून की उल्टियां शुरू हो गई थीं। दूसरी तरफ शहर के प्राइवेट अस्पतालों में भी स्क्रब टाइफस के मरीजों का इलाज किया जा रहा है। अगस्त से 15 सितंबर तक स्क्रब टाइफस के एंटीजन स्क्रीनिंग टेस्ट में पॉजिटिव 7 मरीज अपना इलाज करवा चुके हैं। वर्तमान में जिले में मुकेरियां, दसूहा, हीरानगर कठुआ, मंडी (हि.पर्र) के 7 मरीजों का जालंधर में इलाज चल रहा है।

क्या है स्क्रब टाइफस
सेंटर्स फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रीवेंशन (सीडीस) के अनुसार स्क्रब टाइफस ओरियेंटिया सुटसुगमुशी नाम के बैक्टीरिया के शरीर में जाने के बाद होती है, हालांकि यह रोग मुख्य रूप से घुन जैसे छोटे कीट के काटने से होता है। शुरुआत में मरीज को तेज बुखार के साथ शरीर दर्द, उल्टी आना, मांसपेशियों में खिचाव आदि की शिकायत होती है। वहीं, बीमारी का सोर्स नमी भरा एरिया जैसे खेतों की मिट्टी में कीट होना भी हो सकते हैं। मरीज को काटने के बाद शरीर पर दो दिन में गहरे लाल रंग के निशान भी हो जाते हैं।
निजी अस्पतालों से एंटीजन स्क्रीनिंग टेस्ट पॉजिटिव के सैंपल भेजने को कहा
सेहत विभाग ने स्क्रब टाइफस को लेकर वर्किंग शुरू कर दी है। कोविड के कारण मरीजों की रिपोर्टिंग के साथ विभाग ने अपने स्तर पर ही स्क्रब टाइफस की रिपोर्टिंग का भी फैसला किया है। जिला एपिडिमोलॉजिस्ट डाॅ. शोभना बांसल का कहना है कि कुछ प्राइवेट अस्पतालों में मिली रिपोर्ट के अनुसार 7 केस रिपोर्ट हुए थे, जिनका एंटीजन स्क्रीनिंग टेस्ट यानी कार्ड स्क्रीनिंग टेस्ट पॉजिटिव आया था।
सरकारी गाइडलाइंस के अनुसार मरीज का एलाइजा टेस्ट लगाने के बाद ही मरीज को स्क्रब टाइफस की पुष्टि होती है। स्टेट एपिडिमोलॉजिस्ट डॉ. गगन ग्रोवर का कहना है कि पीजीआई समेत सूबे के मेडिकल कॉलेज में स्क्रब टाइफस के टेस्ट के लिए पूरा प्रबंध है।
10 कॉलम में संक्रमित मरीज की तीन महीने की जुटाई जाती है जानकारी
पीजीआई से जमशेर खास की मरीज की रिपोर्ट मिलते ही वहां के एसएमओ डाॅ. रजिंदर सिंह ने खुद गांव सैमी के गुजरां दे डेरे में जाकर सर्वे किया। डाॅ. रजिंदर कहना है कि स्क्रब टाइफस के सर्विलांस फॉर्म में सबसे पहले मरीज कहां से आया और किस किस जगह काम करता है, इसकी जानकारी जुटाई गई है।
फिर क्लीनिकल और मेडिकल हिस्ट्री के बाद अस्पताल में दाखिल, लैब जांच रिपोर्ट के बाद खासतौर पर इस बात की पुष्टि की गई कि मरीज बुखार आने से पहले कहीं खेतों में काम तो नहीं कर रहा था। मरीज की तीन महीने की जानकारी ली जाती है कि वहां साफ-सफाई के क्या प्रबंध हैं? ऐसा हर उस केस में करना पड़ता है, जिसकी एलाइजा टेस्ट के जरिये स्क्रब टाइफस की पुष्टि होती है।
वेटरनरी विभाग को चिट्ठी- सर्वे शुरू किया जाए
जमशेर खास में मरीज की मौत के बाद जमशेर खास पीएचसी के एसएमओ डाॅ. रजिंदर सिंह ने वेटनरी अस्पताल को चिट्ठी लिखकर एरिया में सर्वे करने के लिए कहा है। उन्होंने कहा कि जिस जानवर से स्क्रब टाइफस के होने का खतरा है, उसका सर्वे करें।
झाड़ियों व नमी वाले एरिया में जाने से परहेज करें
ज्यादा घास वाली जगह से संक्रमण की संभावना है। इसके चलते बरसात के एरिया में वहां जाने से परहेज करें। इसके अलावा चूहों से भी परहेज रखें क्योंकि माइट कीट खाने के कारण चूहे में भी बैक्टीरिया पैदा होता है, जो आगे संक्रमण फैलाता है।



