
नवजोत सिद्धू की पंजाब कांग्रेस प्रधान पद से छुट्टी हो सकती है। उन्होंने एक हफ्ते पहले ही इस्तीफा दे दिया था। जिसे कांग्रेस हाईकमान मंजूर कर सकता है। इसके लिए CM चरणजीत चन्नी को दिल्ली बुला लिया गया है। उनके साथ सांसद रवनीत बिट्टू और कुलजीत नागरा को भी बुलाया गया है। सिद्धू का इस्तीफा मंजूर करने के बाद बिट्टू या नागरा में से किसी एक को पंजाब कांग्रेस का प्रधान बनाया जा सकता है। कांग्रेसी सूत्रों के मुताबिक सिद्धू के जिद्दी रवैये से नाराज कांग्रेस हाईकमान यह फैसला ले सकता है। तीनों की सोनिया गांधी से मुलाकात हो सकती है। हालांकि अधिकारिक पुष्टि इस मीटिंग के बाद ही हो सकेगी।

DGP और AG को हटाने की मांग पर अड़े हैं सिद्धू की नाराजगी नहीं थमी। वो संगठन और सरकार से अलग चल रहे हैं।
अमरिंदर को हटाने के बाद नए CM से भी खुश नहीं
कांग्रेस हाईकमान ने सिद्धू की जिद पूरी करते हुए सुनील जाखड़ को हटाकर सिद्धू को पंजाब कांग्रेस प्रधान बना दिया। उनकी जिद पर कैप्टन अमरिंदर सिंह को CM की कुर्सी से हटा दिया। इसके बाद वह नए CM चन्नी से भी नाराज होकर घर बैठ गए। माना जा रहा है कि हाईकमान भी अब इस बात को लेकर खफा हो गया। जिसके बाद अब सिद्धू की छुट्टी करने की तैयारी की जा रही है।
नागरा को नहीं मिला था मंत्रीपद, बिट्टू बेअंत सिंह के पोते
कुलजीत नागरा को चन्नी मंत्रिमंडल में शामिल करना तय था। अंतिम वक्त में उनका नाम काट दिया गया। नागरा अभी पंजाब कांग्रेस के वर्किंग प्रधान है। संभव है कि सिद्धू को हटाने के बाद नागरा को प्रधान बनाया जा सकता है। वहीं, लुधियाना से कांग्रेस के सांसद रवनीत बिट्टू भी पंजाब की सियासत में बड़ा नाम हैं। वह पंजाब में आतंकवाद के दौर में शहीद हुए पूर्व मुख्यमंत्री बेअंत सिंह के पोते हैं।
अचानक हुआ दौरे में बदलाव
चरणजीत चन्नी को मंगलवार शाम को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मिलना था। इसके लिए वो मोहाली से हेलिकॉप्टर से निकल चुके थे। इसके बाद अचानक उन्होंने मोहाली में लैंड कर लिया। इसके बाद चार्टेड फ्लाइट से सांसद रवनीत बिट्टू और वर्किंग प्रधान कुलजीत नागरा उनके साथ बैठे और वो दिल्ली निकल गए हैं। माना जा रहा है कि यहीं CM के लिए कांग्रेस हाईकमान का संदेश आया कि वो बिट्टू और नागरा को भी साथ लेकर आएं।
ढ़ाई महीने बाद भी संगठन नहीं बना सके सिद्धू
नवजोत सिद्धू ने 22 जुलाई को पंजाब कांग्रेस के नए प्रधान की कुर्सी संभाली थी। इसके बाद वह करीब ढ़ाई महीने बीतने के बाद भी संगठन नहीं बना सके हैं। पंजाब में जनवरी 2020 से सभी राज्य और जिला स्तर की ईकाईयां भंग हैं। ऐसे में सिद्धू संगठन बनाने की जगह सरकार से टक्कर ले रहे हैं। पंजाब में 3 महीने बाद विधानसभा चुनाव की घोषणा होने की उम्मीद है। ऐसे में बिना संगठन के कांग्रेस की मुश्किल बढ़ सकती है। यही बात हाईकमान को भी खल रही है। इसके अलावा सिद्धू अगले चुनाव में उन्हें CM चेहरा घोषित करने की मांग भी कर रहे हैं।




