जालंधरपंजाब

लाबंड़ा- हिन्दू जागृति मंच (रजि.) जालंधर ने मनाया स्वतंत्रता दिवस-तिरंगा यात्रा निकाल देश के शहीदों की दी श्रद्धाजलि

जालंधर : हिन्दू जागृति मंच (रजि.) लाबड़ा द्वारा देश के 75 वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर विशेष समारोह का आयोजन प्रधान मनदीप बख्शी किया गया।


समारोह दौरान मुख्यातिथि एस.एच.ओ.लाबंड़ा सुखदेव सिंह के साथ हिन्दू जागृति मंच राष्ट्रीय अध्यक्ष मनदीप बख्शी,महासचिव अभिषेक बख्शी,धर्मविर धम्मा,दिनेश शर्मा, सरपंच कुलविन्दर कुमार,
बजरंगी गोस्वामी,डा.प्रताप सिंह सोडी,मंगत राम शर्मा,नीरज मोहन,हरविन्दर मोहन,रविन्दर सोनू,पंच मनिंदर,पुरूषोतम,हेम राज (दोआबा स्वीट) ने तिरंगा फहराया व देश के शहीदों को नमन करते हुए जयघोष लगाए व मीठाईयां वितरित कर आजादी का जश्न मनाया।
इस दौरान लाबंड़ा मे विशेष रूप से तिरंगा यात्रा का आयोजन भी किया गया। इस दौरान प्रधान मनदीप बख्शी ने कहा कि स्वतंत्रता दिवस 15 अगस्त को मनाया जाने वाला भारत का राष्ट्रीय त्योहार है और हम इसे बड़े उत्साह और देशभक्ति के साथ मनाते हैं। इस वर्ष हम अपना 75वां स्वतंत्रता दिवस मना रहे हैं। इस दिन हम उन महान योद्धाओं और स्वतंत्रता सेनानियों की स्मृति का सम्मान करते हैं जिन्होंने भारत को एक स्वतंत्र राष्ट्र बनाने के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी।



समाज सेवक व श्री गोविंद गौ धाम लाबड़ा के प्रमुख धर्मवीर धम्मा ने कहा कि 15 अगस्त वर्ष 1947 को भारत के इतिहास को स्वर्ण अक्षरों में लिखा गया। इसी दिन देश के आजाद होने पर भारत के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने लाल किले पर झंडा फहराया था। तभी से प्रत्येक वर्ष देश के प्रधानमंत्री लाल लिखे पर झंडा फहराते है, राष्ट्रगान गाते है और सभी शहीद स्वतंत्रता सेनानियों को 21 तोपों से श्रद्धांजलि दी जाती है।
मंच के महामंत्री अभिषेक बख्शी ने शहीदो को नमन करते हुए सभी को आजादी पर्व की बधाई दी व कहा कि भारत को 15 अगस्त, 1947 को ब्रिटिश शासन से स्वतंत्रता मिली।आजादी से पहले भारत एक ब्रिटिश उपनिवेश था और उस अवधि के दौरान हमारे लोगों ने बहुत कुछ सहा है और अपने प्राणों की आहुति दी है।स्वतंत्रता के बाद जन्म लेने वाले लोगों को गर्व महसूस करना चाहिए क्योंकि वे स्वतंत्र भारत में जन्म लेने के लिए भाग्यशाली हैं। इसलिए उन्हें हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के बलिदान को स्वीकार करना चाहिए।आजादी के बाद, हमें अपना संविधान मिला और हम अपने मौलिक अधिकारों का आनंद लेने में सक्षम हैं।हम सभी को एक भारतीय होने पर गर्व होना चाहिए, और हमें अपने भाग्य की प्रशंसा करनी चाहिए कि हम स्वतंत्र भारत की भूमि में पैदा हुए हैं।1857 से 1947 तक, इतिहास ने हमारे महान नेताओं और स्वतंत्रता सेनानियों के कई विद्रोह और बलिदान को देखा है।हमें उन सभी स्वतंत्रता सेनानियों जैसे महात्मा गांधी, भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद और लाखों अन्य लोगों के बलिदानों को नहीं भूलना चाहिए, जिनके नाम भी ज्ञात नहीं हैं, लेकिन उन्होंने भारत को अंग्रेजों के औपनिवेशिक शासन से मुक्त करने के लिए संघर्ष किया।हमें गांधीजी के अहिंसा दर्शन जैसे स्वतंत्रता सेनानियों की शिक्षाओं को याद रखना चाहिए और अपने जीवन में उसका पालन करना चाहिए।

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