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मोदी सरकार की नीतियों से स्कूली शिक्षा की बदलती तस्वीर, जानिए- क्‍या बड़े बदलाव हुए

सरकार ने छात्रों को पढ़ाई का माहौल उपलब्ध कराने में कोई कसर नहीं छोड़ी है जिसकी पुष्टि इस तथ्य से होती है कि देश के 84 फीसद स्कूलों में पुस्तकालय या स्वाध्याय के लिए एक अलग कमरे की व्यवस्था है।

केंद्रीय मंत्रिमंडल ने हाल में समग्र शिक्षा अभियान-2 को मंजूरी दी है। यह प्री-स्कूल से 12वीं कक्षा तक स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार का कार्यक्रम है, जो 31 मार्च, 2026 तक प्रभावी रहेगा। इसके तहत स्कूलों में बाल वाटिका, स्मार्ट क्लासरूम, प्रशिक्षित शिक्षकों की व्यवस्था की जाएगी। साथ ही कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालयों का कक्षा 12 तक उन्नयन, बालिका छात्रवासों में सैनिटरी पैड की व्यवस्था तथा स्कूलों को ज्ञान के साथ कौशल प्रदान करने के केंद्र के रूप में परिणत किया जाना है।

देश में स्कूली शिक्षा की गुणवत्ता, आधारभूत संरचना और स्कूली शिक्षा के विभिन्न घटकों में महत्वपूर्ण सुधार देखने को मिले हैं। दरअसल, 2012-13 में जहां देश के 54 फीसद स्कूलों तक ही बिजली पहुंची थी, वहीं अब 83.4 फीसद स्कूलों को विद्युतीकृत किया जा चुका है। सात साल पहले केवल 36 फीसद स्कूलों में हाथ धोने की सुविधा थी, जो अब 90 फीसद स्कूलों में उपलब्ध है। बालिकाओं को स्कूलों के प्रति आकृष्ट करने तथा स्वच्छता के लिए 97 फीसद स्कूलों में लड़कियों के लिए अलग शौचालय बनवाए गए हैं।

सरकार ने छात्रों को पढ़ाई का माहौल उपलब्ध कराने में कोई कसर नहीं छोड़ी है, जिसकी पुष्टि इस तथ्य से होती है कि देश के 84 फीसद स्कूलों में पुस्तकालय या स्वाध्याय के लिए एक अलग कमरे की व्यवस्था है। देश के 82 फीसद स्कूलों में विद्यार्थियों की साल में एक बार स्वास्थ्य जांच भी होती है। सरकार विद्यार्थियों की शिक्षा के साथ-साथ स्वास्थ्य का भी खयाल रख रही है। देश में पहली बार स्कूली शिक्षा में पुरुष शिक्षकों के मुकाबले महिला शिक्षकों की सहभागिता बढ़ी है।

दरअसल, 2019-20 में कुल शिक्षकों में पुरुष शिक्षकों की संख्या 47.7 लाख, जबकि महिला शिक्षकों की संख्या 49.2 लाख दर्ज की गई है, जबकि 2012-13 में महिला शिक्षकों के मुकाबले पुरुष शिक्षकों की संख्या साढ़े छह लाख अधिक थी। इसके विपरीत अब महिला शिक्षकों की संख्या पुरुषों से डेढ़ लाख अधिक है। प्राथमिक स्कूलों की बात करें तो वर्तमान में 15.8 लाख पुरुष शिक्षक कार्यरत हैं, जबकि महिला शिक्षकों की संख्या 19.7 लाख है।

यही नहीं, देश के 14 राज्यों और सात केंद्रशासित प्रदेशों में महिला शिक्षकों की संख्या पुरुषों से अधिक है। शिक्षण के प्रति महिलाओं की बढ़ती दिलचस्पी निश्चय ही स्कूली शिक्षा को मजबूती प्रदान करेगी। इस उपलब्धि का बहुत बड़ा श्रेय बालिका शिक्षा और महिला सशक्तीकरण पर केंद्रित केंद्र सरकार की नीतियों को जाता है। एक समृद्ध राष्ट्र की नींव शिक्षित समाज ही रख सकता है। ऐसे में आवश्यक है कि हर बच्चे की स्कूली शिक्षा सुनिश्चित की जाए। महामारी के दौर में स्कूली शिक्षा से वंचित छात्रों को पुन: स्कूलों से जोड़ने की कवायद ईमानदारी से करनी होगी, तभी बच्चे स्कूली शिक्षा से लाभान्वित हो पाएंगे।

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