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‘मान न मान, केजरीवाल की मजबूरी बन गए भगवंत मान – ‘मान के CM चेहरा बनने की इनसाइड स्टोरी:दिग्गज हस्ती नहीं आई; पंजाब में बाहरी नेता कबूल नहीं; केजरीवाल ने जनता की राय से पल्ला झाड़ा,

‘मान न मान, केजरीवाल की मजबूरी बन गए भगवंत मान’, ऐसा इसलिए क्योंकि किसी बड़े चेहरे की तलाश में पूरी जोड़तोड़ के बाद भी अंत में सांसद भगवंत मान आम आदमी के CM कैंडिडेट बन गए।

बॉलीवुड स्टार सोनू सूद से लेकर दुबई के होटल कारोबारी एसपीएस ओबेरॉय और किसान नेता बलबीर राजेवाल का नाम सीएम चेहरे के लिए चला। चर्चा यही रही कि AAP और इनके बीच बात नहीं बनी।

पंजाब का सीएम बनने की ख्वाहिश दिल्ली वाले नेताओं की भी चर्चा में रही लेकिन पंजाबी किसी बाहरी नेता को कबूल नहीं करते। इसलिए यह विकल्प पिट गया। तमाम कोशिश के बीच चुनाव सिर पर आ गए तो अरविंद केजरीवाल की मजबूरी बन गई कि भगवंत मान के नाम की घोषणा कर दे। हालांकि इसमें भी केजरीवाल थोड़ी चालाकी कर गए। रायशुमारी के बहाने केजरीवाल ने मान के चयन की जिम्मेदारी पंजाब की जनता पर डाल दी। इसके जरिए उन्होंने वोटरों पर भी दबाव बनाने की कोशिश की है।

दूसरे चेहरों से टूटती चली गई बात

दिल्ली के बाद पंजाब में आप को सबसे बड़ा मौका नजर आता है। ऐसे में आप की कोशिश थी कि कोई बड़ा चेहरा सीएम की रेस में हो। आप का बड़ा चेहरा अरविंद केजरीवाल हैं लेकिन पंजाब के सिख स्टेट होने की वजह से बाहरी को लोग स्वीकार नहीं करते। 2017 में आप ने इसका खामियाजा भी भुगता। जब किसान आंदोलन चला तो आप की नजर किसान नेता बलबीर राजेवाल पर जा टिकी। हालांकि किसान अलग चुनाव लड़ने के हक में थे और आप उन्हें पार्टी में शामिल होकर लड़वाना चाहती थी। इसलिए बात टूट गई।

पंजाब की सियासत में केजरी को पटखनी दे गए मान

पंजाब के लिहाज से यह भी चर्चा है कि भगवंत मान केजरी को पटखनी दे गए। ऐसा इसलिए क्योंकि भगवंत मान आप के कद्दावर चेहरे तो हैं लेकिन सीएम के दावेदार होंगे, ऐसा पार्टी के भीतर माहौल नहीं था। हालांकि चुनाव नजदीक आते भगवंत मान ने माहौल बनाना शुरू कर दिया। जब बाहर के किसी दूसरे दिग्गज की बात न बनी तो मान ने दिल्ली जाकर दावा ठोक दिया। उससे पहले करीबी विधायकों को भी भरोसे में लिया। केजरीवाल ने बात न सुनी तो नाराज होकर घर बैठ गए। पार्टी गतिविधियों से दूरी बनाकर केजरी के आगे सवाल खड़े करने शुरू कर दिए। आप के वालंटियर नाराज होने लगे और बठिंडा देहाती से विधायक रहीं रूपिंदर रूबी तो यही बात कहकर पार्टी छोड़ गईं। नतीजा केजरीवाल पर दबाव बढ़ता चला गया। पंजाब में केजरीवाल की सभाओं में भगवंत मान के नारे लगने लगे। इसका असर खीझ के तौर पर अरविंद केजरीवाल के चेहरे पर साफ दिखता था।

जब मोदी लहर में भी जीत गए भगवंत मान

भगवंत मान पहले पंजाब में मशहूर और सफल कॉमेडियन थे। 2011 में मान सियासत में आए। उन्होंने कांग्रेस सरकार में वित्तमंत्री मनप्रीत बादल की पंजाब पीपुल्स पार्टी जॉइन की। 2012 में लेहरागागा से चुनाव लड़े लेकिन हार गए। 2014 में भगवंत मान ने मनप्रीत का साथ छोड़ आम आदमी पार्टी जॉइन कर ली। इसी साल चुनाव लड़े और संगरूर से सांसद बन गए। तब मान के साथ 3 और उम्मीदवार जीते। उस वक्त कहा गया कि पंजाब में आप की लहर थी, इसलिए मान जीते। हालांकि 2019 में दूसरी बार लोकसभा चुनाव में सिर्फ भगवंत मान ही दोबारा जीतकर पंजाब में AAP की इज्जत बचाने में कामयाब रहे। इसके बाद मान का पार्टी के भीतर दबदबा बढ़ता चला गया। पंजाब के मुद्दों पर संसद में मान की जोरदार आवाज गूंजती चली गई।। इसके बाद उनका पार्टी में कद बढ़ता चला गया।

शराब के विवाद से जुड़ा नाम, PM मोदी ने भी कसा था तंज

भगवंत मान का नाम विवादों से भी जुड़ा रहा है। 2016 में उन्होंने संसद भवन परिसर में वीडियो शूट कर सोशल मीडिया पर डाल दिया। इससे वह खूब विवाद में रहे। लोकसभा स्पीकर ने जांच के लिए कमेटी बनाई तो मान ने माफी मांग ली। इसी दौरान AAP से निलंबित सांसद हरिंदर खालसा ने मान के शराब पीकर आने का मुद्दा उठा दिया। खालसा ने तत्कालीन लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन को इसकी शिकायत कर दी थी। एक बार संसद में पीएम नरेंद्र मोदी ने भी भगवंत मान पर तंज कस दिया था। पंजाब में अब भी विरोधी अक्सर उन पर शराब पीने को लेकर आरोप लगाते रहते हैं। हालांकि मान हमेशा कहते हैं कि जब वह कॉमेडियन थे तो तब सिर्फ ऐसी एक्टिंग करते थे। उन्हीं वीडियो को तोड़मरोड़ कर विरोधी उन्हें बदनाम कर रहे हैं।

जब मान ने स्टेज पर खाई थी मां की कसम

साल 2019 में आम आदमी के सांसद भगवंत मान पर शराब पीने के आरोप ज्यादा लगने लगे तो अरविंद केजरीवाल की रैली के दौरान मान अपनी मां के साथ मंच पर आए। उन्होंने कहा कि वे पहले कभी-कभी शराब पी लिया करते थे लेकिन उन्हें शराबी कहकर बदनाम किया जा रहा था। भगवंत मान ने मां की कसम खाई कि मैंने 1 जनवरी से शराब पूरी तरह छोड़ दी है, अब इसे कभी हाथ भी नहीं लगाऊंगा। मान ने कहा था कि मां ने उन्हें कहा मैं शराब तो कम पीता हूं, लेकिन बदनाम ज्यादा हो रहा हूं। तुम्हें लोग इतना बोलते हैं तो शराब छोड़ क्यों नहीं देते? इसके बाद मैंने मां की बात मानते हुए शराब छोड़ दी। मैंने मां से वादा किया कि अब मैं शराब को कभी हाथ नहीं लगाऊंगा।

राजनीतिक सफर
भगवंत मान का जन्म 17 अक्तूबर 1972 को सतौज, जिला संगरूर पंजाब में हुआ हैं। भगवंत मान एक हासरस कलाकार और राजनीतिज्ञ है। वह पंजाबी में अपनी, स्किटें कर और ज्यादा मशहूर हुए हैं। भगवंत मान ने अपना कमेडियन के तौर पर करियर यूनिवर्सिटी के यूथ फैस्टीवलों और अंतर कालेज मुकाबलों में भाग लेने से शुरू किया था। उसने पंजाबी यूनिवर्सिटी से सुनाम कालेज के लिए दो गोल्ड मैडल जीते। भगवंत मान संगरूर जिले 16वीं लोकसभा के सांसद हैं। उन्होंने आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार के तौर पर चुनाव जीता।

संसद मैंबर भगवंत मान 2014 से संगरूर लोकसभा हलके का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं। 2011 में भगवंत मान ने पंजाब के वित्त मंत्री मनप्रीत सिंह बादल की राजनीतिक पार्टी पी.पी.पी. द्वारा सक्रिय राजनीति में कदम रखा। 2012 में उन्होंने लहरागागा विधानसभा हलके से चुनाव लड़ा परन्तु चयन हार गए। फिर भगवंत मान ने मार्च 2014 में आम आदमी पार्टी (आप) ज्वाइन कर ली और ‘आप’ की टिकट पर संगरूर लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा।

इस चुनाव में उन्होंने शिरोमणि अकाली दल के महारथी नेता सुखदेव सिंह ढींडसा को 2 लाख वोटों के साथ हरा कर पंजाब की राजनीति में नया रिकार्ड बनाया। 2017 के चुनावों में भगवंत मान ‘आप’ के स्टार प्रचार के साथ ही जलालाबाद से चुनाव लड़ने को लेकर मुख्य सुर्खियों में हैं। 2019 में भगवंत मान ने फिर आम आदमी पार्टी से संगरूर जिले से लोकसभा चुनाव लड़ा। संगरूर से मान ने 111,111 वोटें हासिल करके जीत प्राप्त की। वह संसद के निचले सदन लोकसभा में आम आदमी पार्टी में से संसद मैंबर हैं। 

आपको बता दें कि आज भगवंत मान के राजनीतिक सफर ने उन्हें उनकी मंजिल तक पहुंचा दिया है। आम आदमी पार्टी के राष्ट्रीय कन्वीनर व दिल्ली सी.एम. केजरीवाल द्वारा आम आदमी पार्टी के सी.एम. चेहरे से पर्दा उठाते हुए मोहाली में प्रेस कान्फ्रेंस दौरान उन्होंने भगवंत मान को पंजाब का सी.एम. चेहरा घोषित किया है।

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