महानगर के विभिन्न प्रमुख चौराहों पर तिरंगे बेचने की आड़ में भीख मांग रहे भिखारी * भिखारिओं को कौन उपलब्ध करबा रहा तिरंगे ?
* पुलिस नाकों के सामने हो रही धंधेबाजी

जालंधर, :देश के प्रमुख राष्ट्रीय पर्वों में से एक है स्वतंत्रता दिवस। हर साल 15 अगस्त को देश आजादी मिलने का जश्न मनाता है। भारत इस बार 75 वां स्वतंत्रता दिवस मनाने जा रहा है।
ये दिन होता है उन वीरों को याद करने का, जिन्होंने देश को आजादी दिलाने को अपना सर्वस्व न्योछावर कर दिया।
हम ये कभी नहीं भूल सकते कि आजादी पाने को लाखों लोगों ने अपनी जान गंवाई। उस समय में लोगों में देश भक्ति समाई थी व देश के प्रति जज्बा व जनून था लेकिन अब वही देश भक्ति केवल स्वतंत्रता दिवस व गणतंत्र दिवस के आसपास तभी दिखाई पड़ती है जब महानगर के प्रमुख चौराहों पर तिरंगे बिकते दिखाई देते है। हैरानीजनक तथ्य यह है कि शहर के प्रमुख चौराहों पर तिरंगे बेचने वाले कोई दुकानदार या कारोबारी नही बल्कि भीख मांगने वाले होते है जो अक्सर पूरा वर्ष फुटबाल चौक,नकोदर चौक,कपूरथला चौक,गुरू रविदास चौक में नंगे पांव फटे कपड़े धारण किए हुए पुलिस नाकों के आसपास भीख मांगते है। मीडिया टीम ने दौरे दौरान यह देखा कि शहर के अत्यधिक भीड़ वाले विभिन्न प्रमुख चौको पर रैड लाईट होते ही वाहन रूकने वाली साइडों की तरफ कुछ प्रवासी अपने छोटे छोटे बच्चो के साथ हाथों में तिरंगे लिए वाहनों की तरफ भाग पड़ते है तिरंगा बेचने की आड़ में भीख मांगते है व वर्णनीय है कि इन सभी प्रमुख चौको पर जिला पुलिस प्रशासन के सभी अधिकारी व कर्मचारी बेरीकेड लगा कर नाकाबंदी कर वाहनो की चैकिंग कर रहे होते है लेकिन उनका ध्यान कभी इन भिखारियों पर नहीं जाता जो दुर्घटनाओं को सरेराह निमंत्रण दे रहे होते है। पुलिस प्रशासन सुरक्षा के नाम पर शहर का चप्पा चप्पा तो सील करता है लेकिन उन्होने कभी यह जानने का प्रयास नहीं किया कि विभिन्न चौको पर तिरंगे बेचने की आड़ में भीख मांगने वाले कहां से आए है ? व इनका आका कौन है ? इनको तिरंगे कौन उपलब्ध करबा रहा है ?
शाम ढलते ही यह भीख मांगने वाले कहां गुम हो जाते है व पौ फटते ही फिर से विभिन्न चौराहों पर कहां से आसीन हो जाते है। गौरतलब है कि इन सभी भिखारिओं के आका इन को रोजाना नैप्किन,खिलोने,ग्लास नैट सहित विभिन्न प्रकार के उपकरण बेचने के लिए इनको थमा जाते है व यह भिखारी उन्हे बेचने के लिए वाहन चालकों के पास आते है व न खरीदने पर भूख व रोटी के नाम भीख मांगते है। इन भिखारिओं की हैड के पास अत्याधुनिक सैल फोन भी होता है जिस पर वह फरी टाईम में अपने आका को सेल व भीख की रिपोर्ट देती प्रतीत होती है। भिखारी गैंग के प्रत्येक सदस्य के मुंह गुटके पान चैनी छैनी से लपालप होते है।फुटबाल चौक पर लगे पुलिस प्रशासन के नाके के ठीक पास भिखारी गैंग ने तिरंगे लगा कर बहुत ही सुंदर काऊटंर सा बना रखा है जिसे देख कर साफ पता चलता है कि यह आम भिखारी नही बना सकते व इसका संचालन व प्लानर कोई तगड़ा भिखारी गैंग करता है जो आम पब्लिक को इमोशनली व साईक्लोजिक्ली ब्लैकमेलिंग करने का प्रयास कर अपना धंधा चमका रहा है। नाकों पर कारों की चैकिंग में लगे पुलिस अधिकारियों का ध्यान ऐसे लोगो पर शायद इसलिए नहीं जाता क्योकि इनका फटेहाल पहरावा इनको सरंक्षण प्रदान करता है लेकिन पुलिस अधिकारी यह ध्यान नहीं देते कि इन अनपढ़ भिखारियों को स्वतंत्रता दिवस के आगमन पर तिरंगे बेचने के लिए देने बाला दीमाग किसका है ? व वह गैंग लीडर कौन है जो यह कारोबार भिखारिओं के दम पर चमका रहा है ?
बात यहीं समाप्त नहीं होती स्थानिये कपूरथला चौक पर तो तीन-चार हिजड़ो ने कब्जा जमा रखा है जो रोजाना सजधज कर सरेआम वाहन चालकों को परेशान करते है व रैड लाईट पर वाहन रूकते ही जोर जोर से ड्राईवर साईड के शीशे को पीट पीट कर दस रूपये मांगते है व न देने के एवज में भद्दी शब्दावली का प्रयोग करते है ।
क्या पुलिस प्रशासन विभिन्न चौको पर मुस्तैदी दिखाने के साथ साथ शहरी सुरक्षा में सेंध का कारण बन सकने वाले ऐसे गैंग संचालकों पर ध्यान केंद्रित करेगा ?