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भाजपाइयों ने CP ऑफिस के बाहर लगाया धरना:मतगणना केंद्र के बाहर हुई मारपीट के विरोध में पूर्व विधायक केडी भंडारी भी विरोध करने बैठे

भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ताओं के साथ पूर्व विधायक केडी भंडारी ने भी शुक्रवार को पुलिस कमिशनर ऑफिस के बाहर धरना लगाया। भाजपाई पिछले कल मतगणना केंद्र के बाहर मारपीट करने वालों की गिरफ्तारी की मांग कर रहे थे। भाजपाइयों का आरोप है कि कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने भाजपा के वरिष्ठ नेता कृष्ण लाल शर्मा पर हमला किया और उनके साथ मारपीट करके कपड़े फाड़े।

भाजपाइयों ने आरोप लगाया कि शिकायत पुलिस को दे रखी है, लेकिन पुलिस ने अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है। भाजपा नेताओं का कहना है कि उन्होंने अपनी शिकायत में सबकुछ स्पष्ट कर रखा है, लेकिन फिर भी पुलिस मारपीट करने वालों की गिरफ्तारी नहीं कर रही है। पूर्व विधायक केडी भंडारी, मारपीट का शिकार हुए भाजपा नेता कृष्ण लाल शर्मा व कुछ कार्यकर्ताओं ने धरना दिया।

मतगणना केंद्र के बाहर हुई थी मारपीट

बता दें कि जालंधर में स्पोर्टस कॉलेज में मतगणना केंद्र के बाहर भाजपा कार्यकर्ता के साथ कुछ अराजक तत्वों ने मारपीट की थी। भाजपा नेता कृष्ण लाल शर्मा मतगणना केंद्र के बाहर अन्य लोगों की तरह नतीजे देखने आए थे। इसी दौरान उनकी कुछ लोगों के साथ बहस हो गई थी। बहस इतनी बढ़ गई कि यह मारपीट में तबदील हो गई। वहां पर कुछ युवकों और लोगों ने कृष्ण लाल शर्मा के साथ मारपीट शुरू कर दी।

उन्हें बुरी तरह पीटा गया और उनके कपड़े भी फाड़ दिए गए। इसी बीच जब काउंटिंग सेंटर में भाजपा के नॉर्थ विधानसभा क्षेत्र से प्रत्याशी और पूर्व विधायक कृष्ण देव भंडारी को पता चला तो वह भी मौके पर पहुंच गए। उन्होंने जब मारपीट करने वालों से पूछना चाहा तो वह पूर्व विधायक के साथ भी बदतमीजी पर उतर आए। उन्होंने उनके साथ भी धक्का मुक्की की। हूटिंग का शिकार होना पड़ा था।

घनाक्रम देखकर भी तमाशबीन बनी रही पुलिस

कहने के लिए तो मतगणना केंद्र के बाहर घुड़सवार पुलिस के साथ-साथ एंटी राइट पुलिस तक की व्यवस्था की गई थी। पंजाब पुलिस के सैंकड़ों अधिकारी वर्दी पर सितारे चमकाते हुए वहां पर मौजूद थे, लेकिन जब भाजपा नेता कृष्ण लाल के कपड़े कुछ अराजक तत्वों ने सरेआम फाड़ डाले और उन्हें भगाते हुए पीट रहे थे तो सभी मूकदर्शक बनकर तमाशा देख रहे थे।

इतनी पुलिस फोर्स में से किसी ने भी उन्हें छुड़ाना मुनासिब नहीं समझा। पुलिस अधिकारियों की आंखों के सामने मारपीट का सारा घटनाक्रम घट रहा था, लेकिन उन्हें छुड़ाने या फिर मतगणना केंद्र के आसपास लगी धारा 144 के तहत पंगा दंगा रोकने के लिए कोई कार्रवाई नहीं की गई। पुलिस मौके पर वीआइपी या फिर वीवीआइपी की गाड़ियों को भीड़ में से निकालने की ड्यूटी निभा रही थी।

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