
पंजाब में कांग्रेस की सरकार कायम है लेकिन सरकार के मुख्यमंत्री बदल चुके हैं। सितंबर महीने में राज्य में कांग्रेस ने मुख्यमंत्री पद से कैप्टन अमरेंद्र सिंह की जगह चरणजीत चन्नी को तैनात कर दिया। उसके बाद चन्नी की सरकार चल रही है लेकिन कैप्टन की भविष्य की योजनाएं अभी बीच मझदार हैं। बड़ा सवाल है कि कैप्टन के करीबी रहे उनके कई सिपाहसलारों पर खतरे के बादल मंडराने लगे हैं। इसका बड़ा कारण है कि केंद्र ने कैप्टन के करीबी रहे कुछ नेताओं की फाइलें तलब कर ली हैं, जिसके बाद इन नेताओं के लिए ‘आगे कुआं पीछे खाई’ वाली स्थिति पैदा हो गई है।
राज्य में इस समय एक बड़ी चर्चा चल रही है, जिसमें कहा जा रहा है कि अपने लोगों को अपने साथ रखने के लिए कैप्टन की तरफ से भाजपा हाईकमान से एक्शन करवाए जा रहे हैं। चर्चा है कि इन नेताओं के लिए स्थिति बेहद चिंताजनक है क्योंकि अगर वह कैप्टन के साथ जाते हैं तो राज्य सरकार उनकी फाइलें खोल सकती हैं और अगर वह कैप्टन के खिलाफ जाते हैं, तो केंद्र की तरफ से एक्शन लिया जा सकता है। कैप्टन के करीबी कुछ लोगों में ऐसे नेता हैं, जिनमें से कोई सी.बी.आई. की नशीली गोलियों की जांच में फंसा है तो कोई कोरोना किट महंगी खरीदने के घोटाले को लीड कर रहा है, कोई होशियारपुर जे.सी. मिल मामले में, तो कोई दोहरा मुआवजा लेने की कोशिश या डिस्टलरी लगाने की प्लानिंग के कारण विवादों में हैं।
एक नेता जी जो राजा साहब को ‘हर तरह’ की सुख-सुविधा मुहैया करवाते रहे हैं, भी निशाने पर हैं। साधु सिंह धर्मसोत पर पोस्ट मैट्रिक स्कालरशिप स्कैम की तलवार लटक रही है, तो वहीं कोटली को राष्ट्रीय महिला आयोग ने 1994 में एक फ्रैंच महिला के साथ छेड़छाड़ के मामले में नोटिस जारी किया है। इस मामले में कोटली मुख्य आरोपी हैं। कोटली पर यह एक्शन इस बात की तरफ संकेत है कि आने वाला समय पंजाब के कई नेताओं के लिए ठीक नहीं है।
कड़क ऑफिसर जुटे फाइलें खंगालने में
पंजाब से संबंधित कई मामले जो कांग्रेस मंत्रियों से सीधे तौर पर जुड़े हुए हैं, को लेकर बड़े स्तर पर जांच शुरू हो सकती है। पता चला है कि एक रिटायर्ड तेज-तर्रार अधिकारी को पंजाब के पूर्व मंत्रियों की फाइलों की जांच सौंपी गई है। खास बात यह है कि इन नेताओं को पूरी तरह से कानूनी तौर पर घेरने के लिए इस अधिकारी की तरफ से सभी कानूनी दांव-पेच खंगाले जा रहे हैं ताकि इस तरह की कार्रवाई रिपोर्ट तैयार की जाए कि हजार कोशिशों के बाद भी दागी मंत्री बच न सकें।
कैप्टन के करीबी खीरी कांड से दूर
पंजाब के पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरेंद्र सिंह के साथ वैसे तो 13 लोग बताए जा रहे थे, जो उनकी वजारत में उनके बेहद करीबी थे। लेकिन पता चला है कि 5 से 6 लोग अभी भी ऐसे हैं, जो कैप्टन के इशारे के बिना कदम नहीं उठा रहे। लेकिन हैरानी की बात है कि लखीमपुर खीरी मामले में इनमें से किसी भी नेता ने मुंह नहीं खोला। वैसे तो यह मामला सीधे तौर पर किसानों से जुड़ा है, लेकिन कैप्टन के यह करीबी दरबारी इस मामले पर कुछ बोलने की बजाय सोशल मीडिया पर पोस्ट डालकर केवल खानापूर्ति कर रहे हैं और कैप्टन को किसानों का मसीहा बता रहे हैं।



