बदतर हालात:कभी शानदार नतीजे देने व शहर के बेस्ट स्कूलों में शुमार रहे एडिड स्कूल, अब न पूरे टीचर; न ही इंफ्रास्ट्रक्चर – साईं दास एंग्लो संस्कृत स्कूल ने दिए कई सेलिब्रिटी
2003 के बाद रेगुलर भर्ती नहीं, जिले में टीचिंग व नाॅन टीचिंग के 500 पद, जिनमें से आधे खालीशहर के कई स्कूलों में प्रिंसिपल की भूमिका निभा रहे हैं मास्टर कैडर के टीचर्स

शिक्षा में गुणवत्ता के लिए सरकारी स्कूलों में कई सुधार किए हैं। स्मार्ट स्कूल बनाए जा रहे हैं। इन सबके विपरीत एडिड स्कूलों के हालात बुरे हो रहे हैं। वहां टीचर्स की कमी है और कई समस्याएं हैं। टीचर्स न होने के कारण स्कूल मर्ज किए जा रहे हैं। जिले में 50 हाई व सीनियर सेकेंडरी और 5 प्राइमरी एडिड स्कूल हैं। इनमें रेगुलर टीचर्स के 500 पद हैं, लेकिन टीचिंग और नाॅन टीचिंग का सिर्फ 250 का ही स्टाफ रह गया है।
स्टाफ कम होने के कारण स्टूडेंट्स की गिनती भी कम हो गई और स्कूल मैनेजमेंट पर प्रैशर बढ़ता गया। अब एडिड स्कूल संसाधनों की कमी, टीचर्स की सैलरी, रिजल्ट में गिरावट जैसी समस्याएं झेल रहे हैं। कई स्कूलों में मास्टर कैडर के टीचर्स ही प्रिंसिपल की भूमिका निभा रहे हैं। जिले में केवल एक प्रिंसिपल का पद और 5 हेड टीचर के पद ही रेगुलर हैं। इसका सबसे बड़ा नुकसान मध्यम वर्गीय परिवारों के बच्चों को हुआ है।
एसोसिएशन की मांग- एडिड स्कूलों को सरकारी में मर्ज किया जाए
पंजाब एडिड स्कूल्स इंप्लाइज एसोसिएशन के स्टेट प्रेजिडेंट बलदेव ने कहा कि पहले सरकार की ओर से एडिड स्कूलों के टीचर्स को सैलरी का 95 फीसदी हिस्सा दिया जाता था, बाकी 5 परसेंट मैनेजमेंट देती थी, लेकिन साल 2003 के बाद कोई भी टीचर रेगुलर नहीं किया गया। हमने शिक्षा विभाग की ओर से कई बार एडिड स्कूलों को सरकारी स्कूल में मर्ज करने की मांग की, लेकिन अभी तक इस पर कोई फैसला नहीं आया। सरकार की ओर से एडिड स्कूलों को सरकारी स्कूलों की तरह चलाने के लिए कहा जाता है, लेकिन न तो सरकारी स्कूलों की तरह रेगुलर टीचर भर्ती किए गए और न ही सरकारी स्कूलों की तरह बच्चों को कई स्कॉलरशिप या अन्य लाभ दिया जा रहा है। इससे स्कूलों की स्थिति पर काफी असर हुआ है।
स्टूडेंट्स की गिनती घट रही, ज्यादातर टीचर्स की सैलरी का मैनेजमेंट कर रही प्रबंध
1. साईं दास एंग्लो संस्कृत स्कूल ने दिए कई सेलिब्रिटी
साईं दास एंग्लो संस्कृत स्कूल ने हमें पूर्व क्रिकेटर मोहिंदर अमरनाथ, हॉकी प्लेयर गुरजंट, कप्तान मनप्रीत सिंह, पूर्व विधायक केडी भंडारी, डॉ. राजेश पसरीचा, प्रख्यात प्रशासनिक अधिकारी सर्वेश कौशल दिए हैं। प्रिंसिपल राजेश शर्मा बताते है कि यहां कुल 147 रेगुलर पद थे, लेकिन अब 28 टीचर्स और 9 नॉन टीचिंग स्टाफ के सदस्य हैं। पहले छह हजार तो अब सिर्फ 1000 विद्यार्थी हैं।
2. एनडी विक्टर स्कूल में एक भी रेगुलर टीचर नहीं
1886 में शुरू हुआ एनडी विक्टर स्कूल शहर का सबसे पुराना एडिड स्कूल है। किसी समय बच्चों की गिनती 2 हजार से ज्यादा थी, लेकिन अब टीचर ही नहीं, हेड टीचर की पोस्ट भी खाली है। स्कूल में एक भी रेगुलर पोस्ट नहीं बची। सेक्रेटरी बृज भूषण का कहना है कि पहले 53 रेगुलर पद थे। अब निजी तौर पर टीचर्स रखे हैं। उनकी सैलरी के लिए फंड जुटा रहे हैं।
3. दस पदों में से एक हिंदी टीचर और स्वीपर ही रेगुलर
रिपब्लिक हाई स्कूल में 10 पद हैं, लेकिन केवल एक हिंदी टीचर और स्वीपर ही रेगुलर पोस्ट पर हैं। स्कूल हेड की पोस्ट भी खाली है। कमेटी की ओर से कुछ प्राइवेट टीचर्स रखे हुए हैं। स्कूल में एक टीचर और एक ही पीयून है। कभी स्टूडेंट्स 300 थे, जो अब 60 रह गए। टीचर गुरचरण ने कहा कि गांव के लोगों से फंड जुटाकर टीचर्स को फीस दे रहे हैं।
4. दोआबा खालसा स्कूल 29 पद, शिक्षक सिर्फ 10
दोआबा खालसा स्कूल लाडोवाली रोड 1914 में स्थापित हुआ। स्कूल में रेगुलर टीचर्स की 29 पद थे, लेकिन अब 10 टीचर ही रह गई है। टीचर हरमिंदर सिंह बताते हैं कि स्कूल से कई सारे आईपीएस और आईएएस अधिकारियों ने पढ़ाई की। स्पोर्ट्स में भी स्कूल का काफी नाम था, लेकिन 2003 के बाद रेगुलर पोस्ट न भरने की वजह से काफी असर हुआ है।



