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पंजाब भाजपा सदस्यों में पनप रहा है रोष, पार्टी को समझनी चाहिए गंभीरता

जालंधर: केंद्र की भाजपा सरकार द्वारा लागू तीनों कृषि कानूनों के विरुद्ध 26 नवम्बर, 2020 से जारी किसानों के आंदोलन का अभी तक कोई हल नहीं निकला। इस बीच पार्टी के अनेक नेता अपने केंद्रीय नेतृत्व से किसानों की समस्या का हल निकालने की गुहार लगा चुके हैं। 

वरिष्ठ भाजपा नेता चौधरी वीरेन्द्र सिंह, मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक, हरियाणा के गृह मंत्री अनिल विज, हरियाणा की भाजपा सरकार सहयोगी ‘जजपा’ के नेता और उपमुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला आदि किसी न किसी रूप में इस समस्या को सुलझाने की बात कह चुके हैं जबकि चंद नेताओं ने इस मसले पर अपनी बात न सुनी जाने के कारण पार्टी छोड़ दी है। अब 19 अगस्त को पंजाब के पूर्व भाजपा मुख्य संसदीय सचिव और दो बार फिरोजपुर से विधायक रहे सुखपाल सिंह नन्नू ने पार्टी को अलविदा कह दिया और पार्टी छोड़ने की घोषणा करने के साथ ही अपने मकान पर 41 वर्षों से फहरा रहा भाजपा का झंडा उतार कर किसानों का झंडा फहरा दिया। 

संवाददाताओं को संबोधित करते हुए श्री नन्नू अपनी भावनाओं पर नियंत्रण नहीं रख पाए। उनकी आंखों से आंसू बह निकले और उन्होंने कहा कि यह निर्णय लेना उनके लिए बहुत दुखद था। किसानों के आंदोलन और इस दौरान होने वाली मौतों से उनके समर्थक बहुत आक्रोषित थे। भाजपा किसान सैल का प्रदेशाध्यक्ष होने के नाते किसानों से उनका लगाव अधिक रहा है। अतः वह उनकी पीड़ा को अपनी पीड़ा समझते हुए उनके साथ खड़े हैं। उन्होंने राज्य के पार्टी नेतृत्व पर पार्टी को एकजुट रखने में विफल रहने का आरोप लगाया तथा कहा कि पार्टी के प्रति आज भी मेरे दिल में सत्कार है लेकिन पंजाब भाजपा नेतृत्व वर्करों की लगातार उपेक्षा कर रहा है।”

जहां 19 अगस्त का दिन भारतीय जनता पार्टी के लिए एक महत्वपूर्ण साथी से अलगाव का दिन रहा वहीं 20 अगस्त का दिन भी पार्टी के लिए एक पीड़ादायक समाचार लेकर आया जब भाजपा के पूर्व मंत्री अनिल जोशी ने अपने अनेक समर्थकों के साथ शिअद का दामन थाम लिया परंतु चंद भाजपा समर्थक कह रहे हैं कि यह सत्ता की लालच है। इस तरह का घटनाक्रम निश्चय ही भाजपा के नेतृत्व से गंभीरतापूर्वक चिंतन-मनन करने की मांग करता है जिससे पार्टी में नाराजगी दूर हो और आंदोलनकारी किसानों की समस्या सुलझाकर आने वाले चुनावों में इसका रास्ता आसान बने ताकि पार्टी को क्षति न पहुंचे।

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