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CM चरणजीत चन्नी की अफसरों से पहली बैठक:मुख्यमंत्री की दो टूक- मेरे नाम पर कोई मंत्री या विधायक गलत काम करवाए तो सीधा मुझे बताएं; लापरवाही बर्दाश्त नहीं

पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने अफसरों को हिदायत दी है कि अगर कोई भी मंत्री या विधायक उनके नाम पर गलत काम करवाता है, तो बिना संकोच सीधे मेरे पास आएं और इस संबंधी मुझे जानकारी दें। सीएम ने कहा मुझे काम में पूरी तरह से पारदर्शिता चाहिए और किसी का कोई गलत काम नहीं होगा। सीएम ने साफ कह दिया है कि जितने वह सॉफ़्ट हैं, उतने ही काम के प्रति सजग भी हैं। किसी की भी काम के प्रति लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

सीएम ने सोमवार को मंत्रिमंडल के साथ अपनी पहली कैबिनेट बैठक के बाद प्रिंसिपल सचिव के साथ-साथ सभी सचिवों के साथ भी बैठक की। जिसमें यह अहम दिशा-निर्देश दिए गए। उनका कहना है कि यह कदाचित बर्दाश्त नहीं किया जाएगा कि अफसर अपना काम न करें और इसका दोष एक दूसरे पर लगाते रहें। इसके अलावा तबादलों में भ्रष्टाचार बर्दाशत नहीं किया जाएगा। मीटिंग के दौरान मुख्य सचिव अनिरुद्ध तिवारी ने आश्वासन दिलाया है कि सभी अधिकारी मुख्यमंत्री की बात समझ गए हैं और वह अपना काम ईमानदारी से करेंगे।

मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी की बैठक में मौजूद पंजाब सरकार के अफसर
मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी की बैठक में मौजूद पंजाब सरकार के अफसर

100 दिन का रोडमैप बनाने के आदेश, मुख्य सचिव करेंगे मॉनिटरिंग
पहली ही बैठक में मुख्यमंत्री ने अफसरों से कहा है कि वह अपने विभाग का 100 दिन का रोडमैप बनाकर देंगे कि वह इस समयावधि में क्या करने वाले हैं और यह काम कैसे होने हैं। इसकी मॉनिटरिंग मुख्य सचिव की ओर से की जाएगी। वह इसकी समीक्षा भी किया करेंगे और लगातार इस पर निगाह बनाकर रखेंगे और इसकी प्रोग्रेस रिपोर्ट भी बनाई जाएगी। सरकार के पास 6 महीने का ही समय है और इस दौरान सरकार ने अपने सभी वादे पूरे करके देने हैं।

विधायकों और मंत्रियों को बनता मान सम्मान जरूरी
मुख्यमंत्री ने बैठक में साफ कर दिया है कि वह मंत्रियों और विधायकों के साथ-साथ आम लोगों द्वारा चुने गए सभी नुमाइंदों को बनता मान सम्मान देंगे और उनकी सुनवाई पहल के आधार पर की जाएगी। यह बर्दाश्त नहीं किया जाएगा कि कोई पब्लिक का नुमाइंदा आपके पास आता है और अपनी उसकी सुनवाई नहीं करेंगे। इस तरह की शिकायत पर तुरंत कार्रवाई होगी। कैप्टन सरकार में सबसे बड़ी शिकायत ही यह थी कि अफसरशाही चुने हुए नुमाइंदों की सुनवाई नहीं करती है। इसलिए नए मुख्यमंत्री द्वारा इस तरह के आदेश दिए गए हैं।

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