
जालंधर में दिल्ली नेशनल हाइवे पर PAP चौक के पास लगा ट्रैफिक जाम खत्म हो गया है। किसानों ने करीब 11 बजे जाम शुरू किया था। इसके करीब दो घंटे बाद जालंधर जोन के चीफ इंजीनियर जैनइंदर दानिया मौके पर पहुंचे। उन्होंने किसानों को पहले कोयले की कमी की मजबूरी बताई। इसके बाद कहा कि 2 दिन यानी 13 अक्टूबर के बाद बिजली की सप्लाई सुचारु हो जाएगी। किसानों ने 2 दिन का अल्टीमेटम देते हुए धरना हटा लिया है। जिसके बाद गाड़ियों की आवाजाही शुरू हो गई है। पुलिस ने भी बीएसएफ और पीएपी चौक समेत सभी जगहों से अपनी बैरिकेडिंग हटा ली है। इससे करीब दो घंटे से जाम में फंसे लोगों को बड़ी राहत मिली है।

किसानों ने पहले मेकडोनाल्ड के पास जाम लगाने की घोषणा की थी। हालांकि इसके बाद वो पीएपी चौक पर आ गए। यहां से लुधियाना, अमृतसर, दिल्ली, पानीपत, राजपुरा, पठानकोट समेत अन्य जगहों की आवाजाही पूरी तरह से ठप हो गई। सोमवार होने की वजह से काफी नौकरीपेशा भी अपनी ड्यूटी पर नहीं जा सके। इस दौरान जाम में एंबुलेंस और दूल्हे की कार भी फंस गई थी, जिसे किसानों ने निकलवा दिया।

ट्रैफिक के हालात बिगड़ते देख इसकी गूंज चंडीगढ़ में सरकार तक पहुंची। जिसके बाद पावरकॉम के अफसर सक्रिय हुए। चंडीगढ़ से निर्देश मिलने के बाद पावरकॉम के चीफ इंजीनियर जैनइंदर दानिया किसानों से मिलने पहुंचे। जिसके बाद धरना खत्म कराया गया। किसानों ने चेतावनी दी कि अगर तय समय पर बिजली सुचारु न हुई तो फिर से संघर्ष को मजबूर होंगे।

BKU (राजेवाल) के जिला प्रधान मनदीप समरा, मुख्य प्रवक्ता जत्थेदार कश्मीर सिंह जंडियाला और जिला यूथ प्रधान अमरजोत सिंह ने कहा कि पंजाब सरकार किसानों को पर्याप्त बिजली उपलब्ध नहीं करवा रही है। जिसकी वजह से किसानों को फसल की बिजाई और खेत में खड़ी फसल की कटाई में दिक्कत हो रही है।

यह रास्ते रहे बंद
किसानों के जाम की वजह से जालंधर से लुधियाना, राजपुरा, अंबाला, पानीपत और दिल्ली जाने का सीधा रास्ता बंद रह। इसी तरह लुधियाना से सीधे हाईवे के जरिए जालंधर, अमृतसर जाने वालों का रास्ता बंद रहा। जालंधर से हाईवे के रास्ते चंडीगढ़ से भी लोग आ-जा नहीं सके। वहीं, PAP चौक के पास प्रदर्शन शुरू होते ही जालंधर से अमृतसर, पठानकोट के रास्ते भी बंद हो गए।

धान की रोपाई में देरी और वैराइटी ने बढ़ाई चिंता
पावरकॉम अफसरों का कहना है कि कृषि सेक्टर की बिजली की डिमांड में कमी नहीं आई है। कुछ जगहों पर धान की रोपाई में देरी हुई है। वहीं, कुछ जगह धान की वैराइटी ऐसी है कि वहां अभी भी पानी के लिए बिजली की सप्लाई जरूरी है। ऐसे में बिजली संकट को देखते हुए यह समस्या विकराल बन सकती है।

8 घंटे बिजली निर्विघ्न सप्लाई का दावा करती है पंजाब सरकार
किसान नेताओं के मुताबिक, पंजाब सरकार की तरफ से धान और गेहूं की बिजाई और रोपाई के सीजन में निर्विघ्न 8 घंटे की बिजली सप्लाई का वादा किया गया था। इसके बावजूद कभी इतनी बिजली नहीं मिली। अब मौजूदा वक्त में कोयले की कमी की वजह से पंजाब में बिजली संकट पैदा हो गया है। पंजाब के सरकारी और प्राइवेट थर्मल प्लांट मिलकर भी जरूरत की सिर्फ आधी बिजली ही पैदा कर पा रहे हैं। ऐसे में शहरों से लेकर गांवों तक कट लगने शुरू हो गए हैं।



