
कांग्रेस के पूर्व सांसद व मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी के रिश्तेदार मोहिंदर सिंह केपी आखिरकर मान ही गए। आदमपुर विधानसभा क्षेत्र से टिकट न मिलने से नाराज केपी राहुल गांधी की वर्चुअल रैली के दौरान नीचे की पंक्ति में नहीं, बल्कि मंच पर बैठे। राहुल गांधी जब मंच पर आए तो उन्होंने केपी के साथ मुलाकात भी की। अब नाराजगी दूर होने पर केपी बगावती सुरों को छोड़ कर फिर से पार्टी का काम करेंगे।
आदमपुर सीट से टिकट न मिलने पर बागी चल रहे मोहिंदर सिंह केपी व्हाइट डायमंड पैलेस में राहुल गांधी से मिलने के लिए पहुंचे थे। हालांकि उन्होंने किसी से कोई बात नही की और सीधे पैलेस में चले गए। लेकिन पैलेस में जाने वाले सभी कांग्रेस वर्कर्स को पास जारी किए गए थे। वहीं जिस तरह से केपी ने पैलेस में एंट्री की, उससे लगता है कि उन्हें भी बुलाया गया था। इसलिए वे सीधे ही पैलेस में चले गए थे।
चरणजीत सिंह चन्नी ने गणतंत्र दिवस के अवसर पर आयोजित राज्यस्तरीय कार्यक्रम में तिरंगा फहराने के बाद बागी सुर मोहिंदर सिंह केपी से विशेष मुलाकात की थी। उन्होंने केपी के साथ घर पर या फिर किसी अन्य जगह नहीं, बल्कि गाड़ी में बैठकर बातचीत की थी। उन्होंने केपी को राहुल गांधी के दौरे पर शांत रहने को कहा था। हालांकि सूत्रों के हवाले से यह भी पता चला है कि गणतंत्र दिवस की पिछली रात चन्नी डेरा बल्लां में रुके थे और वहीं केपी को बुलाया था।

रिंकू का टिकट बदलवाने के चक्कर में अपना गंवा बैठे
बता दें कि केपी को पूरा भरोसा था कि उन्हें चन्नी से रिश्तेदारी होने का पूरा फायदा मिलेगा। वह इस बार आदमपुर की बजाय जालंधर वेस्ट से चुनाव लड़ना चाहते थे और रिंकू को आदमपुर से टिकट के लिए भी उन्होंने पूरा जोर लगाया। लेकिन उनके सारे दांव उल्टे पड़ गए। उन्हें वेस्ट से टिकट नहीं मिली और आदमपुर से भी पार्टी ने बसपा से हाल ही में पार्टी में आए सुखविंदर सिंह कोटली को टिकट दे दिया।
रिंकू का क्षेत्र बदलवाने के चक्कर में मोहिंदर सिंह केपी अपना टिकट गंवा बैठे। चन्नी से नजदीकियां भी केपी के काम नहीं आईं। चन्नी चाह कर भी अपने रिश्तेदार को टिकट नहीं दिलवा सके। इसके पीछे जो वजह थी, वह यह है कि कांग्रेस पार्टी ने टिकटों के आवंटन से पहले पंजाब में एक सर्वे करवाया था, जिसमें केपी का स्कोर और फीडबैक ठीक नहीं आई और इसकी वजह से उन्हें कांग्रेस के टिकट से वंचित होना पड़ा।
वेरका भी पहुंचे थे मनाने
चन्नी से पहले कैबिनेट मंत्री राजकुमार वेरका भी मोहिंदर सिंह केपी को मनाने के लिए उनके घर पर पहुंचे थे। केपी और वेरका की काफी लंबी मीटिंग चली थी। वेरका ने कांग्रेस पार्टी से बागी हुए मोहिदंर सिंह केपी को मनाने की बहुत कोशिश की, लेकिन केपी नहीं माने। वेरका के आने के बाद एक दो दिन वह शांत रहे, लेकिन उसके बाद फिर से उन्होंने बागावती सुर निकालने शुरू कर दिए।
जालंधर कैंट में परगट के खिलाफ खोला था मोर्चा
आदमपुर विधानसभा क्षेत्र से टिकट न मिलने पर पूर्व सांसद मोहिंदर सिंह केपी ने जालंधर कैंट में मंत्री परगट सिंह के खिलाफ मोर्चा खोल रखा था। वह कैंट विधानसभा क्षेत्र में जाकर परगट सिंह के खिलाफ अपने समर्थकों के माध्यम से प्रचार कर रहे थे। दरअसल केपी को शक है कि उनकी जो टिकट कटी है, उसमें परगट सिंह ने अपनी भूमिका निभाई थी। परगट सिंह नहीं चाहते थे कि केपी को टिकट मिले।
केपी ने बगावत में आकर घोषणा भी की थी कि वह चुनाव जरूर लड़ेंगे, लेकिन कहां से लड़ेंगे, इसका फैसला उनके समर्थक करेंगे। लेकिन सूत्रों के हवाले से जानकारी मिली थी कि उन्होंने जालंधर कैंट से ही परगट सिंह के खिलाफ आजाद चुनाव लड़ने का मन बनाया था। लेकिन अब राहुल से मुलाकात के बाद ऐसा लगता है कि शायद केपी शांत हो गए हैं। उन्होंने बगावती तेवरों को त्याग दिया है।



