होलसेल केमिस्ट आर्गेनाइजेशन (डब्ल्यूसीओ) दिलकुशा मार्केट में चुनावी माहौल- चुनावी राजनीति में दब रही सदस्यों की समस्याएं, मार्केट में करोड़ों रुपये डूबे, नहीं ली किसी ने सुध
होलसेल केमिस्ट आर्गेनाइजेशन (डब्ल्यूसीओ) दिलकुशा मार्केट में चुनावी माहौल तेजी से गरमाने लगा है। चुनावी दौड़ में उम्मीदवार वोट बैंक मजबूत करने में जुटे हुए हैं। वही चुनावी राजनीति के दौरान मार्केट के सदस्यों की प्रमुख समस्याएं दबकर रह गई हैं। मामले को लेकर सदस्य सदस्य खुलकर सामने नहीं आ रहे हैं परंतु आपस में विचार विमर्श कर रहे हैं।

जालंधर : होलसेल केमिस्ट आर्गेनाइजेशन (डब्ल्यूसीओ) दिलकुशा मार्केट में चुनावी माहौल तेजी से गरमाने लगा है। चुनावी दौड़ में उम्मीदवार वोट बैंक मजबूत करने में जुटे हुए हैं। वही चुनावी राजनीति के दौरान मार्केट के सदस्यों की प्रमुख समस्याएं दबकर रह गई हैं। मामले को लेकर सदस्य सदस्य खुलकर सामने नहीं आ रहे हैं परंतु आपस में विचार विमर्श कर रहे हैं।
मार्केट के सदस्यों के अनुसार दवाइयों के कारोबार में करोड़ों रुपये के लेनदेन को लेकर कई मामले फंसे हुए है। होलसेल दवा विक्रेताओं की करीब 10 करोड़ रुपये की राशि अस्पतालों, रिटेल केमिस्टों तथा दवा निर्माता कंपनियों की तरफ फंसी हुई है। कंपनियां अपना कारोबार चलाने के लिए नए डीलर खड़े कर पुरानों को दरकिनार कर रही हैं और अपनी शर्तों पर दवाइयों की सप्लाई दे रही हैं। इसी तरह कई बड़े अस्पताल भी दवाइयों की खरीद करने के बाद बकाया राशि दबा कर बैठे हुए हैं। पिछले लंबे अरसे से मामला लटक रहा है नतीजे ढाक के तीन पात है। मंगली ग्रुप के प्रधान पद उम्मीदवार गोपाल कृष्ण चुघ ने समस्या को गंभीरता से लेने की बात कही है। उन्होंने कहा कि अगर वह चुनाव जीतते हैं तो उनकी कार्यकारिणी में एक अलग से कमेटी गठित की जाएगी जो केवल इस तरह की समस्या के समाधान करेगी। वही चोपड़ा ग्रुप के प्रधान पद उम्मीदवार निशांत चोपड़ा का कहना है कि उन्होंने पिछले कार्यकाल में कई मामले उठाए और समाधान का प्रयास भी किया। इस बार मामले को गंभीरता से लिया जाएगा और मार्केट का पैसा दबाने वालों के खिलाफ कड़ा रुख अख्तियार किया जाएगा। वहीं बुधवार को भी दिलकुशा मार्केट में चुनाव प्रचार का माहौल गरमाया रहा । दोनों ग्रुपों ने एक दूसरे के खेमे में जाकर चुनाव प्रचार किया और नुक्कड़ मीटिग कर वोट बैंक मजबूत करने का प्रयास किया। बारिश के दौरान भी उम्मीदवारों ने दुकानों पर जाकर वोट मांगे। वही शाम को छोटी-छोटी चुनावी रैलियों में चाय पार्टी का दौर चला।



