Techअमृतसरकपूरथला / फगवाड़ागुरदासपुरचंडीगढ़जम्मू-कश्मीरजालंधरपंजाबपटियालाफिरोज़पुरराष्ट्रीयलुधियानाहरियाणाहिमाचलहोशियारपुर

खुद से प्यार करना इनसे सीखें:पति, घर और नौकरी छोड़ने पर समाज के सुने ताने, पर किया वही जो मन ने कहा, अब हूं एंटरप्रेन्योर, रेडियो होस्ट और लेखक

मेरे पास सुदंर घर, पति, बच्चा और बैंक की नौकरी….सब कुछ था, लेकिन फिर भी उदास थी। दुनिया की नजरों में ‘’सक्सेसफुल’’ थी। पर मैं जानती हूं कि कैसे आधी-आधी रात में अपनी नौकरी के बारे में सोचकर घबराने लगती। नौकरी मुझे डराने लगी। पति मेरे एंबिशन को समझ नहीं पा रहे थे। बचपन से लेकर अब तक अपने मोटे शरीर को लेकर जो ताने सुने वे गाहे-बगाहे मुझे डरा जाते। बाहरी दुनिया की नजरों में मेरे पास सबकुछ था, लेकिन मैं भीतर से खाली और कुछ पाने की उलझन में थी। जब कुछ समझ नहीं आया तो एक दिन डॉग वॉकर बन गई। ये शब्द हैं कनाडा में रहने वाली 44 साल की देविना कौर के।

देविना कौर
देविना कौर

 देविना कहती हैं, ‘मेरा बचपन बाकी लड़कियों की तरह ‘नॉर्मल’ नहीं रहा। पेरेंट्स पाकिस्तान के थे, पार्टिशन के बाद इंडिया आए और मेरा जन्म असम में हुआ। पापा की सरकारी नौकरी थी तो मेरी बाकी की परवरिश दिल्ली में हुई। बचपन से अपने मोटापे की वजह से मोटी, गैंडी, एलिफेंट, एलियन जैसे शब्द खुद की ‘तारीफ’ में सुनती आई। ऐसी बातों से इतनी डिस्टर्ब थी कि एक दिन फ्रिज से आइसक्रीम का कंटेनर निकाला और वापस अंदर रखना भूल गई और सुबह उठकर देखा तो सब तरफ आइस्क्रीम पिघली पड़ी है। उसे साफ किया और रोने लगी। खुद के बारे में सोचने लगी कि मुझे क्या हुआ है? मैं ऐसे क्यों बिहेव कर रही हूं। फिर डॉक्टर के पास गई। थेरेपी ली।
…जब पूरी तरह पड़ गई अकेली
इंडिया से कनाडा पढ़ने के लिए आई। कुछ समय बाद बैंक की नौकरी मिल गई और बाद में यहीं घर वालों ने शादी कर दी। पर शादी सक्सेसफुल नहीं रही। हम दोनों के एंबिशन अलग थे और तलाक ले लिया। मैं अपनी नौकरी से भी सैटिस्फाइड नहीं थी, जो कर रही थी वो अच्छा नहीं लगता था, इसलिए नौकरी छोड़ दी। ये नौकरी छोड़ना आसान नहीं था, क्योंकि कनाडा जैसे शहर में एक तो पहले ही अकेली थी। दूसरा, नौकरी छोड़ दूंगी तो आगे क्या करूंगी? पर दूसरा थॉट ये भी आ रहा था कि नौकरी के चक्कर में मैं मेंटली डिप्रेस्ड भी नहीं हो सकती। आखिरकार मैंने नौकरी छोड़ दी। इस फैसले के बाद पेरेंट्स की तरफ से बहुत सुनने को मिला पर कोई सपोर्ट नहीं। अब मैं सिंगल मदर बन गई और कनाडा में पूरी तरह अकेली रहने लगी।

जिंदगी को अपने हिसाब से जीने वाली बिंदास लड़की
जिंदगी को अपने हिसाब से जीने वाली बिंदास लड़की

सबकुछ छोड़ बन गई डॉग वॉकर
2013 में ये सारी बातें अपने घर के पीछे नदी किनारे बैठकर सोच रही थी। सोचते-सोचते ख्याल आया कि इसी नदी में कूद जाऊं और मर जाऊं। मैं बहुत बुरी हूं। मुझे क्या चाहिए, नहीं मालूम, क्या पाना है, समझ नहीं पा रही थी, लेकिन दूसरा थॉट आया कि जिंदगी को खत्म करना तो आसान होगा पर जीना मुश्किल है, अब जी कर दिखाना है। मेरे इस भीतर के मन ने जिंदगी को बदला। 32 साल की उम्र में खुद के सारे डर बाहर निकालकर खुद के लिए जीने की सोची और डॉग वॉकर बन गई। मतलब मैंने चार साल तक कुत्ते घुमाए हैं।

ऐसे आया सेक्सी ब्रिलियंट का आइडिया
कुत्ते घुमाते हुए एक क्लाइंट मिला और उसने मुझे कहा देविना मेरे ऑफिस आना कुछ बिजनेस की बात करनी है। मैं अगले दिन उनके ऑफिस गई और उन्होंने मुझसे पूछा देविना कैसी हो? मैंने कहा, ऑलवेज सेक्सी, ऑलवेज ब्रिलियंट। मुझे खुद समझ नहीं आ रहा था कि मैं अपनी जिंदगी से इतनी परेशान थी फिर सेक्सी या ब्रिलियंट जैसे शब्द कैसे बोल सकती थी, लेकिन मेरे मुंह से निकल गए। मेरी बात सुनकर वो क्लाइंट बोला तुम ये सेक्सी ब्रिलियंट डोमेन रजिस्टर करा लो। ये आइडिया मुझे क्लिक कर गया। घर आई और सेक्सी ब्रिलिंयट डोमेन नेम रजिस्टर कर लिया।

हर काम के लिए खुद को रखा तैयार
हर काम के लिए खुद को रखा तैयार

हॉलीवुड के ऑफर से लेकर किताब लिखने तक
डोमेन नेम तो रजिस्टर करा लिया लेकिन एक साल तक इस पर कुछ काम नहीं किया। सिर्फ कुत्ते घुमाए। इसी बीच मुझे हॉलीवुड से भी एक टीवी शो का ऑफर आया। मैं कनाडा से लॉस एंजिलस गई। कहने का मतलब ये है कि मैंने हमेशा खुद को हर काम के लिए ओपन रखा। मुझे दोबारा हॉलीवुड जाने का मौका मिला, लेकिन इस बार मैं सोच में पड़ गई कि भारत छोड़कर कनाडा आई अब कनाडा से अमेरिका। क्या जाना जरूरी है? इतनी क्या मारामारी है कि मुझे जाना ही है। मैं फिर खुद के साथ बैठी और बातचीत की। अंदर से आवाज आई, अरे तुमने एक साल पहले सेक्सी ब्रिलियंट डोमेन लिया था, उस पर काम करो और किताब लिखो, लेकिन इस सबके बीच मुझे खाने तक के लाले पड़ गए। फिर लगा कि नौकरी करूं या सामान बेच दूं?

ये सब कुछ सोच ही रही थी कि दरवाजे पर खटखट हुई। दरवाज खोला तो सामने पोस्टमैन था। उसने मुझे बहुत सारी चिट्ठियां दीं, उसमें से एक चिट्ठी इंश्योरेंस कंपनी की थी। पांच साल पहले मेरा एक कार एक्सीडेंट हुआ था, उस इंश्योरेंस कंपनी से आठ हजार रुपए का चेक भेजा गया। जब मुझे ये पैसा मिला तो मुझे लगा कि भगवान मुझे इशारा दे रहे हैं कि मैं अपनी किताब पूरी करूं और सेक्सी ब्रिलियंट फाउंडेशन पर काम करूं और इस तरह मैंने अपनी किताब पर काम किया और 2020 में ‘टू फैट टू लाउड टू एंबिशियस : ए सेक्सी ब्रिलियंट हैंडबुक’ किताब आई। सेक्सी ब्रिलियंट के जरिए हम शेम और स्टिगमा पर काम करते हैं डिवोर्स, मोटापा, डिप्रेशन, मेंटल हेल्थ वो कुछ भी काम जिसमें सोसाइटी से शर्म आती है, उस पर काम करते हैं।
चुनौतियों का सामना कर दिल की बात पर दिया ध्यान
मेरी जिंदगी में जो भी परेशानियां आईं उन्हें वैसे ही स्वीकार किया। उनसे बाहर निकलने के लिए खुद के दिल की सुनी। गलत च्वॉइसिस को न कहा। इस बीच में मैंने खूब पढ़ाई की। मैंने बिजनेस, एंवायरमेंटल साइंस, टिचिंग, मीडिया ऐंड पीस, पब्लिक रिलेशन तमाम डिग्रियां लीं। इतनी डिग्रियां लीं कि बताते मैं खुद भूल जाती हूं। डिग्री भी अपनी परेशानी से भागने का दूसरा तरीका है। मुझ में एनर्जी बहुत है, उसे निकालने के लिए मार्शल आर्ट करती हूं और खूब पढ़ती हूं। मुझे लगता है, सेल्फ डिसिप्लीन इज दि हाईएस्ट फॉर्म ऑफ सेल्फ लव। मैं अपनी जिंदगी को किसी एक बॉक्स में फिट करके नहीं रखना चाहती थी। मेरा कुछ करने का विजन था और वो सब पूरा किया। हमेशा खुद पर भरोसा किया।

आसान है खुद के साथ पहचान
आसान है खुद के साथ पहचान

अब एंटरप्रेन्योर, रेडियो होस्ट और लेखक
मैंने कभी गलत का साथ नहीं दिया। सच कहा। अब लगता है कि असंभव को देखने के लिए आपको अदृश्य को देखना होगा, तभी आप खुद की सुन पाएंगे। आध्यात्मिकता की वजह से मैं खुद को जान पाई। खुद के गुस्से, अहंकार, एडिक्शन से डरें नहीं, खुद को अपने जैसा स्वीकार करें। जब हम खुद की अच्छी और बुरी चीजें एक्सेप्ट करने लगते हैं तो खुद से ज्यादा प्यार करते हैं। खुद से डरते नहीं हैं। अब मैं सिंगल मदर होने के साथ एंटरप्रेन्योर, रेडियो होस्ट और लेखक हूं।

मेरा अपना ‘के ए यू आर’ मेसेज
खुद को इतनी मुश्किलों में देखा है कि अब किसी और को अपने जैसी परेशानियों में नहीं देखना चाहती, इसलिए मैंने अपना ‘के ए यू आर’ मेसेज बनाया है। के मतलब नॉलेज। यानि खुद के बारे में जानें। ए-एक्सेप्टेंस, खुद की कमजोरियों और क्षमताओं के साथ स्वीकारें। यू-अनवील और अनलर्न मतलब खुद की तरह जीने के लिए खुद को ओपन करें और जो भी गलत है उसे अनलर्न करें। रिलीज यानी खुद के अंदर की सारी शेम निकाल दें और खुद को जीएं। मुझे उम्मीद है अगर आप भी किसी तरह की परेशानी में हैं तो मेरा ये नुस्खा आपके भी काम आएगा।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button

You cannot copy content of this page