
कैप्टन अमरेंद्र सिंह के साथ विवाद के चलते नवजोत सिद्धू भले ही काफी देर से फील्ड में सक्रिय नजर नहीं आ रहे हैं लेकिन अंदरखाते उन्होंने लंबे समय से भंग चल रहे पंजाब कांग्रेस के संगठनात्मक ढांचे के पुनर्गठन की प्रक्रिया शुरू कर दी है जिसके तहत सांसदों, विधायकों या बड़े नेताओं से प्रदेश कार्यकारिणी में शामिल करने व जिला अध्यक्ष बनाने के लिए नाम मांगे हैं।
बताया जाता है कि सिद्धू द्वारा प्रदेश प्रभारी हरीश रावत, कार्यकारी प्रधानों के अलावा अन्य नजदीकी नेताओं के साथ सलाह के बाद यह फार्मूला तैयार किया गया है कि जिला अध्यक्ष बनने वाले नेताओं को विधानसभा चुनाव में टिकट के लिए अप्लाई करने की अनुमति नहीं होगी और न ही उनका नाम हाईकमान को भेजे जाने वाले पैनल में शामिल किया जाएगा। इसके लिए यह दलील दी गई है कि चुनाव के दौरान जिला अध्यक्ष को टिकट देने का असर पूरे शहर के प्रचार अभियान पर पड़ता है क्योंकि ज्यादातर मामलों में पुराने प्रधान द्वारा बनाए गए पदाधिकारी नए कार्यकारी अध्यक्ष के साथ पूरे तालमेल के साथ काम नहीं करते।
इस पहलू के मद्देनजर नेताओं को जिला अध्यक्ष बनाने के लिए नाम की सिफारिश करने के लिए बोला गया है जिसके चलते विधानसभा चुनाव लड़ने के चाहवान जिला अध्यक्ष बनने की दावेदारी से किनारा कर सकते हैं जिससे सिद्धू की सोच के मुताबिक नए चेहरों को आगे लाने का रास्ता साफ हो जाएगा।



