कैप्टन के बागी तेवर पर सिद्धू खेमे का जवाब:पूर्व मंत्री बाजवा बोले : किसी की सरपंची चली जाए तो वो मानसिक संतुलन गवां देता है, अमरिंदर ने तो CM की कुर्सी गंवाई है
कैप्टन अमरिंदर का बड़ा सियासी हमला:पंजाब के पूर्व CM बोले- राहुल और प्रियंका अनुभवहीन; सिद्धू के खिलाफ चुनाव में उतारूंगा मजबूत कैंडिडेट

पूर्व CM कैप्टन अमरिंदर सिंह के बागी तेवर दिखाने के बाद अब नवजोत सिद्धू खेमे की तरफ से उन्हें जवाब मिल गया है। पूर्व मंत्री तृप्त राजिंदर बाजवा ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा कि किसी की सरपंची चली गई तो वो मानसिक संतुलन गवां बैठता है। कैप्ट अमरिंदर सिंह ने तो CM की कुर्सी गवांई है। बाजवा ने कैप्टन के हर आरोप का जवाब देते हुए कहा कि अमरिंदर का भविष्य क्या होगा? यह उनके उठाए कदम ही बताएंगे।
कैप्टन ने सिद्धू को CM बनने से रोकने के लिए मजबूत कैंडिडेट उतारने की बात कही थी। बाजवा ने कहा कि अमरिंदर को स्पष्ट करना चाहिए कि वह कांग्रेस छोड़कर कैंडिडेट उतारेंगे या पार्टी में रहकर लड़ाई लड़ेंगे।
कैप्टन को वहम है, 2022 में सब पता चल जाएगा
बाजवा ने कहा कि कैप्टन कह रहे हैं कि वो CM रहते तो कांग्रेस पंजाब में 2022 का चुनाव जीत जाती। अब कमान नवजोत सिद्धू व चरणजीत चन्नी को मिल गई तो पार्टी मर गई। बाजवा ने कहा कि यह कैप्टन का वहम है। सब कुछ लोगों की मर्जी पर है और 2022 में इसका पता चल जाएगा।
कैप्टन की मानसिक स्थित ऐसी, कुछ भी कह सकते हैं
कांग्रेस के डबल डिजिट में भी सीटें न मिलने के कैप्टन के बयान पर बाजवा ने कहा कि अमरिंदर की मानसिक स्थिति ऐसी हो गई है कि वो कुछ भी कह सकते हैं। कैप्टन अभी गुस्से में हैं। हालांकि वो सयाने आदमी हैं और मैं उनकी कद्र करता हूं।
सब कुछ ठीक नहीं था, इसलिए कैप्टन को बदला
बाजवा ने कैप्टन के खिलाफ बगावत पर भी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि पंजाब में सब कुछ ठीक नहीं था, इसलिए उन्होंने कैप्टन का विरोध किया। इसी वजह से हाईकमान को लीडरशिप चेंज करनी पड़ी। बाजवा ने कहा कि चन्नी व सिद्धू की टीम मेहनत कर रही है, इसका असर 2022 में होने वाले पंजाब चुनाव में दिखेगा।
कैप्टन CM रहे तो राहुल-प्रियंका सयाने थे
राहुल गांधी व प्रियंका गांधी को बच्चे और अनुभवहीन बताने पर भी बाजवा ने प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि जब तक कैप्टन मुख्यमंत्री रहे तो राहुल व प्रियंका सयाने थे। अब उन्हें कुर्सी से हटा दिया तो इस तरह की बात कह रहे हैं।
कौन हैं तृप्त राजिंदर बाजवा
बाजवा कैप्टन की कैबिनेट में मंत्री थे। 2017 में चुनाव के वक्त उनके कैप्टन से करीबी रिश्ते रहे। हालांकि पिछले कुछ महीनों से वो कैप्टन से नाराज हो गए। जिसके बाद उन्होंने सुखजिंदर रंधावा, चरणजीत चन्नी व सुख सरकारिया के साथ मिलकर सिद्धू को प्रधान बनाने में अहम भूमिका निभाई। इसके बाद कैप्टन को कुर्सी से हटाने में भी उनकी रणनीति कारगर रही।
पंजाब के CM पद से इस्तीफा देने के बाद कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अब बड़ा सियासी हमला किया है। कैप्टन ने नवजोत सिद्धू से लेकर राहुल गांधी और प्रियंका गांधी को भी नहीं बख्शा। कैप्टन ने राहुल व प्रियंका को अपने बच्चे जैसे बताते हुए कहा कि उन्हें अभी राजनीति का अनुभव नहीं है।
कैप्टन ने यह भी कह दिया कि वो नवजोत सिद्धू को किसी भी सूरत में CM नहीं बनने देंगे। अगर सिद्धू मुख्यमंत्री चेहरा हुए तो कांग्रेस विधानसभा में डबल डिजिट लायक भी सीट नहीं जीत पाएगी। इससे साफ है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह ने अब अपनी सियासी राह चुनने की तैयारी कर ली है। वह नई पार्टी बनाएंगे या BJP अथवा किसी दूसरे दल में जाएंगे, इसको लेकर उन्होंने खुलासा नहीं किया।
पढ़िए कैप्टन के ताबड़तोड़ सियासी हमले
- सिद्धू को पंजाब का CM बनने से रोकने के लिए हर कुर्बानी करने को तैयार हूं। उसके खिलाफ मजबूत कैंडिडेट उतारुंगा ताकि वो 2022 में चुनाव न जीत सके। अगर सिद्धू CM फेस हुए तो कांग्रेस का डबल डिजिट में पहुंचना भी बहुत बड़ी बात होगी।
- प्रियंका गांधी व राहुल गांधी मेरे बच्चों जैसे हैं। यह सब इस तरह खत्म नहीं होना चाहिए था। मैं हर्ट हुआ हूं। असली फैक्ट यह है कि भाई-बहन को अभी अनुभव नहीं है। उनके सलाहकारों ने उन्हें स्पष्ट तौर पर मिस गाइड किया है।
- मैं जीत के बाद राजनीति छोड़ने की तैयारी कर रहा था लेकिन हारने के बाद कभी नहीं। मैंने 3 हफ्ते पहले ही सोनिया गांधी को अपना इस्तीफा ऑफर किया था। तब उन्होंने मुझे काम जारी रखने को कहा। अगर वो मुझे कह देती तो मैं वह भी कर देता।
- केसी वेणुगोपाल, अजय माकन व रणदीप सुरजेवाला कैसे तय कर सकते हैं कि कौन से मंत्रालय के लिए कौन सही है। जब मैं CM था तो मैंने जाति नहीं बल्कि उनके कामकाज के आधार पर खुद अपने मंत्रियों को नियुक्त किया।
- सिद्धू व उनके साथियों ने मेरे खिलाफ शिकायत की कि मैंने बादलों और बिक्रम मजीठिया के खिलाफ सख्त कार्रवाई नहीं की। मैं कानून के हिसाब से चलता रहा। अब वो सत्ता में हैं। अगर उनमें हिम्मत है तो अब वो अकाली दल के नेताओं को सलाखों के पीछे डालें।
- मुझ पर हमला किया गया कि मैंने माइनिंग माफिया में इन्वॉल्व मंत्रियों के खिलाफ एक्शन नहीं लिया। अब वही मंत्री पंजाब कांग्रेस व सरकार के साथ हैं।
- अगर सिद्धू सुपर CM की तरह काम करेगा तो पंजाब कांग्रेस काम नहीं कर पाएगी। पंजाब चुनावों में कांग्रेस को करारी हार का सामना करना पड़ेगा।
सिद्धू को CM बनाने का किया था कड़ा विरोध
पंजाब के CM के तौर पर सुनील जाखड़ का नाम हाईकमान ने तय कर लिया था। हालांकि अंबिका सोनी व पंजाब के कुछ विधायकों ने सिख स्टेट-सिख सीएम का मुद्दा उठाकर इसे नकार दिया। तब सुखजिंदर रंधावा का नाम आने पर सिद्धू ने अपनी दावेदारी ठोकी थी। हालांकि सिद्धू काे CM बनाने का कैप्टन ने कड़ा विरोध किया था। जिसके बाद यह कुर्सी चरणजीत सिंह चन्नी को मिल गई। अब सिद्धू के लिए अगले चुनाव के बाद CM बनने का रास्ता मुश्किल हो चुका है।
कैप्टन ने अपमानित होकर छोड़ी थी कुर्सी
कैप्टन अमरिंदर सिंह को हटाने के लिए विधायक दल की बैठक बुलाई गई थी। उससे पहले ही कैप्टन ने गवर्नर को इस्तीफा सौंप दिया। कैप्टन ने यह भी कहा कि उनकी सरकार से लोग खुश थे। ऐसे में चुनाव नजदीक होने के बावजूद पार्टी का यह फैसला उन्हें समझ नहीं आया। अमरिंदर के गांधी फैमिली के साथ करीबी रिश्ते हैं, इसके बावजूद जब उन्होंने एतराज जताने के लिए सोनिया गांधी को फोन किया तो उन्होंने सॉरी अमरिंदर कहकर बात खत्म कर दी। जिसके बाद कैप्टन ने कहा कि उन्हें अपमानित होकर कुर्सी छोड़नी पड़ी है।
सिद्धू के पंजाब प्रधान बनने के बाद जंग शुरू, कैप्टन ने बताया था एंटी-नेशनल
सिद्धू के पंजाब कांग्रेस प्रधान बनने के बाद कैप्टन से जंग शुरू हुई थी। दो बार बगावत के बाद आखिरकार सिद्धू खेमे ने कैप्टन का तख्तापलट कर दिया। इस्तीफा देने के बाद कैप्टन ने कहा कि सिद्धू की पाक PM इमरान खान और सेना मुखी बाजवा से दोस्ती है। कैप्टन ने सिद्धू को एंटी नेशनल बताते हुए राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा बता दिया था। हालांकि इस पर सिद्धू ने अभी तक कुछ नहीं कहा है।





