घर, जमीन, जेवर गिरवी रख कर बांट दिए 40 हजार लोगों को दो करोड़ के हेलमेट, जानें कारण
राघवेंद्र ने अपनी इस अनूठी मुहिम को एक कदम आगे ले जाते हुए ‘हेलमेट मैन’ नाम से अपनी एक वेबसाइट बनाई है और भारत सरकार द्वारा प्रमाणित कंपनियों के हेलमेट के साथ पांच लाख तक का निशुल्क बीमा देने की शुरुआत कर दी है।

नोएडा। एक सड़क दुर्घटना में दोस्त की मौत से आहत बिहार के राघवेंद्र कुमार ने दूसरों की जान की रक्षा करने की ऐसी ठानी कि घर, जमीन, जेवर तक गिरवी रख दिए। पैसा जुटाया और निकल पड़े मिशन हेलमेट पर। अब तक छह वर्ष में दिल्ली- एनसीआर, उत्तर प्रदेश, बिहार, झारखंड, राजस्थान में तकरीबन 40 हजार लोगों को निशुल्क हेलमेट बांट चुके हैं। मकसद है लोगों को वाहन चलाते समय हेलमेट पहनने के लिए जागरूक करना, ताकि उनकी जान सलामत रहे।

हेलमेट मैन की नई मुहिम
इस स्वतंत्रता दिवस पर राघवेंद्र ने अपनी इस अनूठी मुहिम को एक कदम आगे ले जाते हुए ‘हेलमेट मैन’ नाम से अपनी एक वेबसाइट बनाई है और भारत सरकार द्वारा प्रमाणित कंपनियों के हेलमेट के साथ पांच लाख तक का निशुल्क बीमा देने की शुरुआत कर दी है। पांच ही दिन में तकरीबन 714 आनलाइन बुकिंग होने के बाद आवेदकों की बीमा प्रक्रिया की शुरुआत हो गई है।
कालेज के साथी की मौत से आहत
राघवेंद्र कुमार के मित्र की सड़क दुर्घटना में मृत्यु हो गई थी। बाइक चलाते वक्त उनके मित्र ने हेलमेट नहीं पहना था। दुर्घटना में सिर में चोट आई, जिसके कारण उन्हें बचाया नहीं जा सका। तभी से राघवेंद्र ने लोगों को मुफ्त हेलमेट बांटने शुरू किए। 2010 में दोनों की दोस्ती कालेज में हुई थी उस दौरान दोनों रूममेट थे।
लोगों ने समझी बात
बिहार के कैमूर जिला निवासी राघवेंद्र कहते हैं कि नौकरी में कमाए लाखों रुपयों के साथ ही मकान, गांव की जमीन व जेवर गिरवी रखकर मिले पैसों से हेलमेट खरीदता रहा। मैं अपनी इस पहल को रोक नहीं सकता था क्योंकि लोगों ने इसे समझा, बाद में लोगों ने अपने स्तर पर भी जागरूकता अभियान चलाया। राघवेंद्र कुमार द्वारा चलाए जा रहे अभियान को केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी भी ट्वीट कर सराह चुके हैं।
आसानी से हो जाता है बीमा
राघवेंद्र बताते हैं कि हेलमेट मैन वेबसाइट पर एक लिंक दिया गया है। हेलमेट बनाने वाली जिन कंपनियों को भारत सरकार का प्रमाण पत्र प्राप्त है उनकी व उत्पाद की विस्तृत जानकारी इस लिंक पर उपलब्ध है। साथ ही, तीन बीमा कंपनियों का विवरण भी उपलब्ध है। वेबसाइट के माध्यम से जो व्यक्ति हेलमेट खरीदेगा उसे लिंक पर नाम, पता, ईमेल, आधार नंबर सहित विस्तृत जानकारी भरनी होगी। जो इंश्योरेंस कंपनी प्लान अच्छा लगे, उस पर टिक करना होगा। वेबसाइट के माध्यम से जो लोग हेलमेट खरीदेंगे, उनका पांच लाख रुपये का दुर्घटना बीमा हो जाएगा। दस्तावेज संबंधित व्यक्ति की मेल पर पहुंच जाएंगे। 18 से 75 वर्ष तक की उम्र के लोगों को इस योजना लाभ मिलेगा।
हेलमेट के बदले एक किताब लेते हैं
राघवेंद्र जिनको हेलमेट देते हैं उनसे एक किताब लेते हैं। ये किताबें छठी से स्नातक स्तर तक की होती हैं। इन किताबों को झुग्गी झोपड़ी में रहने वाले और जरूरतमंद बच्चों तक पहुंचा देते हैं। वह बताते हैं कि कई लोगों ने अपने बच्चों की सारी किताबें दे दीं। छह साल में लाखों किताबें वितरित हो चुकी हैं।



