

JALANDHAR – उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में किसानों को कुचलने का पंजाब में उग्र विरोध शुरू हो गया है। जालंधर में किसानों ने DC ऑफिस घेर लिया है। किसान टेंट लगाकर धरने पर बैठ गए हैं। जिसके बाद कचहरी रोड के एक हिस्से को पूरी तरह बंद कर दिया गया है। मौके पर भारी पुलिस बल तैनात है। सुरक्षा के लिहाज से DC ऑफिस के एक गेट को बंद कर दिया गया है। वहीं, आवाजाही के लिए दूसरे गेट पर पुलिस बल की तैनाती कर दी गई है। धरने को लेकर किसान यहां जुटने शुरू हो गए हैं। इसके बाद वो DC को मांग पत्र भी सौंपते हुए प्रधानमंत्री नरेंदर मोदी का पुतला फूंका।

धरने की अगुवाई कर रहे भारतीय किसान यूनियन (राजेवाल) के प्रवक्ता कश्मीर सिंह जंडियाला और यूथ प्रधान अमरजोत सिंह ने कहा कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे किसानों पर कार चढ़ाकर भाजपा सरकार ने किसान विरोधी रवैया दिखाया है। इसे कतई बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। उन्होंने उत्तर प्रदेश के केंद्रीय मंत्री और उसके बेटे को जल्द गिरफ्तार करने के साथ पीड़ित परिवारों को मुआवजा देने की भी मांग की।
पूरे पंजाब में सियासी उबाल
उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में किसानों की मौत के बाद पंजाब में भी सियासी उबाल आ गया है। विरोधियों ने उत्तर प्रदेश सरकार पर निशाना साधा। वहीं, मुख्यमंत्री चरणजीत चन्नी ने डिप्टी सीएम सुखजिंदर रंधावा और पंजाब कांग्रेस के वर्किंग प्रधान कुलजीत नागरा को UP भेजा है। यह दोनों नेता वहां के हालात का जायजा लेंगे। अकाली दल ने भी इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है, हालांकि पूर्व CM कैप्टन अमरिंदर सिंह ने सधी प्रतिक्रिया दी है। पंजाब में सरकार हो या विपक्षी दल, BJP को छोड़कर सब किसान आंदोलन को सपोर्ट कर रहे हैं। अब इस घटना के बाद फिर सभी का रुख आक्रामक हो गया है।

मुख्यमंत्री चरणजीत चन्नी ने भी इस घटना की कड़ी निंदा की। उन्होंने कहा कि लखीमपुर खीरी में मासूम किसानों काे जान गंवानी पड़ी। डिप्टी सीएम और विधायक नागरा वहां जा रहे हैं। पंजाब सरकार पीड़ित किसान परिवारों की पूरी मदद करेगी।

नवजोत सिद्धू ने कहा कि कानून से ऊपर कोई नहीं है। केंद्रीय मंत्री के बेटे पर तुरंत कत्ल का केस दर्ज किया जाना चाहिए। उसे तुरंत गिरफ्तार कर सलाखों के पीछे डालना चाहिए।

अकाली दल के प्रधान सुखबीर बादल ने केंद्रीय मंत्री के बेटे को तुरंत गिरफ्तार करने की मांग की। उन्होंने कहा कि किसी को भी इस तरह से सत्ता का गलत इस्तेमाल करने की इजाजत नहीं होनी चाहिए।

कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कहा कि लखीमपुरी खीरी घटना की गहराई से जांच होनी चाहिए। पीड़ितों को हर हाल में इंसाफ मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि हिंसा या उसके लिए उकसाना किसी भी समस्या का हल नहीं है।
पंजाब से किसी को भी UP में एंट्री नहीं:लखीमपुर हिंसा के बाद योगी सरकार ने भेजा पत्र; डिप्टी CM के हेलिकॉप्टर को उतरने की इजाजत नहीं दी; अब CM चन्नी ने मांगी परमिशन
उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में पंजाब के किसानों को न आने दें, इस बाबत उत्तर प्रदेश सरकार ने पंजाब सरकार को पत्र भेजा है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई वाली यूपी सरकार के सेक्रेटरी तरुण गाबा की ओर से लिखे गए पत्र में कहा गया कि लखीमपुर खीरी में किसानों की मौत के बाद धारा 144 लगा दी गई है इसलिए पंजाब सरकार अपने वहां के किसानों को यूपी न आने दे।
वहीं, सोमवार को पंजाब के डिप्टी सीएम सुखजिंदर सिंह रंधावा के हेलिकॉप्टर को लखनऊ हेलीपैड पर उतरने की इजाजत नहीं दी गई। इसके बाद पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत चन्नी ने खुद लखीमपुर खीरी जाने का फैसला लिया और यूपी सरकार से हेलिकॉप्टर उतरने और वापस उड़ान भरने की परमिशन मांगी है। CM चन्नी ने कहा कि वह शोक की इस घड़ी में लखीमपुर खीरी में मारे गए किसानों के परिजनों से मिलना चाहते हैं। यूपी सरकार से भी उनकी मुलाकात के प्रबंध करने को भी कहा गया है।

UP सरकार के सेक्रेटरी ने भेजा पत्र
लखीमपुर खीरी में पंजाब के किसानों को आने से रोकने के लिए UP सरकार के सेक्रेटरी ने पंजाब के चीफ सेक्रेटरी, गृह सचिव और DGP को पत्र भेजा है। इसमें कहा गया कि पंजाब से किसी भी व्यक्ति को लखीमपुर खीरी आने की इजाजत न दी जाए।

रंधावा को मैसेज, किसी को भी यूपी में नहीं घुसने दिया जाएगा
पंजाब के CM चरणजीत चन्नी ने डिप्टी CM सुखजिंदर रंधावा और वर्किंग प्रधान कुलजीत नागरा की अगुवाई में अफसरों के प्रतिनिधिमंडल को यूपी जाने को कहा था। इन लोगों को हेलिकॉप्टर से जाना था लेकिन यूपी सरकार ने लखनऊ एयरपोर्ट पर उनके हेलिकॉप्टर को लैंड कराने की इजाजत नहीं दी। इसके बाद डिप्टी CM रंधावा सड़क मार्ग से ही यूपी जाने की तैयारी कर रहे हैं। हालांकि यूपी सरकार की ओर से लगातार कहा जा रहा है कि लखीमपुर खीरी में धारा-144 लागू कर दी गई है और किसी को भी नहीं जाने दिया जाएगा।

कैप्टन अमरिंदर सिंह ने किसानों को नहीं रोका था
कृषि सुधार कानूनों के विरोध में जब किसानों का आंदोलन शुरू हुआ तो पंजाब के तत्कालीन CM कैप्टन अमरिंदर सिंह ने उन्हें पूरा समर्थन दिया। इसके बाद किसान दिल्ली के सिंघु और टिकरी बॉर्डर की तरफ बढ़ गए। उस समय केंद्र सरकार ने अमरिंदर सिंह से किसानों को रोकने के लिए कहा था मगर कैप्टन ने उन्हें नहीं रोका। कैप्टन ने सार्वजनिक तौर पर खुद केंद्र सरकार का आदेश न मानने की बात कही थी।



