
पंजाब में हुई करारी हार के बाद CM चरणजीत चन्नी ने इस्तीफा दे दिया है। भगवंत मान के शपथ ग्रहण समारोह तक वह कार्यकारी CM के तौर पर काम करते रहेंगे। हालांकि, उनके पास फैसले लेने की ताकत अब नहीं रहेगी। गवर्नर बीएल पुरोहित ने उन्हें नई सरकार के आने तक काम करने को कहा है।
इस्तीफा देने के बाद चरणजीत चन्नी ने कहा कि चुनाव के बाद नई पार्टी चुन ली गई है। इसलिए कैबिनेट की मीटिंग बुलाकर 15वीं विधानसभा को भंग करने की सिफारिश गवर्नर को भेज दिया है। मैंने गवर्नर को अपना इस्तीफा सौंप दिया है। नई सरकार बनने तक गवर्नर ने मुझे सरकार चलाने को कहा है।

चन्नी ने कहा कि हम लोगों के बीच काम करते रहेंगे। उन्होंने कहा कि हमने नई सरकार से विनती की है कि सस्ती बिजली, पेट्रोल-डीजल और रेत के रेट में कमी, बकाया माफी जैसे फैसलों को बरकरार रखा जाए। पंजाब के लोगों ने बदलाव को वोट दी है। हमें उम्मीद है कि जो सपने उन्होंने लोगों को दिखाए, हम उनको पूरा सहयोग करेंगे।
इससे पहले उन्होंने वीडियो कान्फ्रेंसिंग के जरिए आखिरी कैबिनेट मीटिंग की। यह मीटिंग पहले सेक्रेट्रिएट में बुलाई गई थी। इस बार चुनाव में चन्नी दोनों सीटों से हार गए। इसके अलावा 8 मंत्री चुनाव हार गए। सांसद भगवंत मान अब पंजाब के नए मुख्यमंत्री होंगे।
111 दिन में 100 फैसले के दावे काम नहीं आए
कांग्रेस ने अचानक कैप्टन अमरिंदर सिंह को हटाकर चन्नी को CM बना दिया। इसके बाद चन्नी ने ताबड़तोड़ ऐलान करने शुरू कर दिए। 111 दिन की सरकार में उन्होंने करीब 100 फैसले लिए। जिसको लेकर सवाल भी उठे कि सिर्फ ऐलान हो रहे हैं, काम नहीं। हालांकि चन्नी सामने आए और कहा कि सबके नोटिफिकेशन जारी हो गए हैं। विज्ञापनों में जरूर चन्नी नजर आते रहे, लेकिन लोगों तक उनकी छवि नहीं पहुंच सकी।
कच्चे कर्मचारियों को पक्का करने पर खुद घिरे
CM चरणजीत चन्नी का सबसे बड़ा फैसला 36 हजार कर्मचारियों को पक्का करने का था। चन्नी ने इसके होर्डिंग तक पंजाब में लगवा दिए। हालांकि, जब विवाद हुआ तो चन्नी ने गवर्नर पर आरोप लगा दिया कि राजनीतिक कारणों से फाइल रोकी गई। इसके जवाब में गवर्नर ने कहा कि ऑब्जेक्शन क्लियर नहीं किए गए। कर्मचारियों के साथ आम लोग भी समझ गए कि चन्नी कोई फैसला नहीं बल्कि उनके साथ राजनीति कर रहे हैं।



