सुप्रीम कोर्ट फैसले के बाद मुजफ्फरनगर में दुकानों से हटे नाम:दुकानदार बोले- भेदभाव महसूस हो रहा था, काशी में कहा- हमने बोर्ड बनवा लिए, अब लगाएंगे
कांवड़ रूट की दुकानों पर नेम प्लेट जरूरी नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने UP सरकार का फैसला रोका, कहा- भोजन शाकाहारी है या मांसाहारी यह बताएं

कांवड़ यात्रा रूट पर दुकानदारों को अब अपनी पहचान बताना जरूरी नहीं। UP सरकार के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को अंतरिम रोक लगा दी। मेरठ, मुजफ्फरनगर से लेकर काशी तक दुकानों के ज्यादातर दुकानदारों ने बोर्ड पर लिखे नाम हटा दिए।हालांकि, वाराणसी की तस्वीर अलग है। यहां कई मुस्लिम दुकानदार ऐसे भी मिले, जिन्होंने कहा- कोर्ट का आदेश पता चला, मगर बोर्ड बनवा लिए, तो अब लगे हुए हैं।
सुप्रीम कोर्ट का आदेश जानिए…
कोर्ट ने कहा- नाम लिखने को मजबूर न करें, क्या परोसा ये बता सकते हैं
कोर्ट ने कहा- दुकानदारों को पहचान बताने की जरूरत नहीं है। होटल चलाने वाले ये बता सकते हैं कि वह किस तरह का खाना यानी, शाकाहारी या मांसाहारी परोस रहे हैं, लेकिन उन्हें अपना नाम लिखने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए।
कोर्ट ने यह भी कहा- पुलिस ने इस मामले में अपनी ताकत का गलत इस्तेमाल किया है। उसे ऐसा नहीं करना चाहिए था। उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और उत्तराखंड सरकार को नोटिस जारी कर शुक्रवार तक जवाब देने को कहा है।
तीनों राज्यों में कांवड़ यात्रा के रूट पर दुकान मालिकों को अपना नाम लिखने का आदेश दिया गया था। इसके खिलाफ एसोसिएशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ सिविल राइट्स नाम के NGO ने 20 जुलाई को सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी।
अब समझिए मुजफ्फरनगर के हाल…

आदेश आते ही हटने लगे दुकानों से बोर्ड
कोर्ट आदेश के बाद मीडीया टीम मुजफ्फरनगर की मेरठ रोड पर पहुंची। यहां से कांवड़िए गुजरते हैं। ज्यादातर फल-सब्जी, मिठाई और चाय की दुकानों से नाम वाले बोर्ड हटाए जाने लगे हैं। यहां हमारी मुलाकात फल का ठेला लगाने वाले निसार से हुई। सवाल किया- क्या आपको कोर्ट के आदेश के बारे में पता चला?
निसार ने कहा- आदेश के बाद हमें बड़ी राहत महसूस हो रही है। जब इस फरमान के बारे में पता चला, तो अच्छा नहीं लगा। मगर, पुलिस ने आकर जब नेम प्लेट लगाने को कहा तो लगानी ही पड़ी। उन्होंने हमारे सामने ही अपने ठेले पर लगे निसार फल के बोर्ड को हटा दिया।कुछ दूरी पर पान और चाय की दुकान है। दुकान पर प्रोपराइटर शाह आलम पान लिखा हुआ फ्लैक्स लगा था। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट का आदेश के आने के बाद फ्लैक्स को लपेटकर रख लिया। आम का ठेला लगाने वाले आरिफ ने अपने ठेले पर कागज और दफ्ती पर आरिफ फल लिखकर नेम प्लेट लगाई थी। उन्होंने भी अपनी नेम प्लेट हटा दी।
दुकानदार बोले- जो भेदभाव महसूस हो रहा था, वो दूर हो गया
मीनाक्षी चौक पर शीरमाल की दुकान लगाने वाले हामिद अख्तर ने कहा- पुलिस ने कहा था कि नाम के साथ बोर्ड लगाना है। इसके बाद हमने फ्लैक्स बनवाकर दुकान पर लगा लिया था। अब फैसले के बारे में पता चला है, लेकिन बोर्ड हटा नहीं रहे हैं।
जब उनसे पूछा गया कि बोर्ड लगाने के बाद बिक्री में कोई कमी तो नहीं आई। तब उन्होंने कहा- सामान तो पहले जैसा ही बिक रहा था। मगर एक भेदभाव तो महसूस हो ही रहा था। वो अब दूर हो गया। हम लोग सुप्रीम कोर्ट के फैसले का सम्मान करते हैं।
मेरठ कांवड़ रूट पर कई मुस्लिम दुकानदारों ने दुकानें बंद कर दी थीं। अब कोर्ट के आदेश के बाद उम्मीद है कि इनमें कुछ लोग अपनी दुकानों को दोबारा खोल सकते हैं।
अब काशी के हाल समझिए…
दुकानदार बोले- पीढ़ियों से दुकान लगा रहे, नाम की क्या जरूरत
हम काशी में दुकानदारों के पास पहुंचे। काशी विश्वनाथ मंदिर क्षेत्र के दुकानदार जाकिर ने बताया- हम चार पीढ़ियों से दुकान लगाते हैं। काशी विश्वनाथ मंदिर के बाहर दुकान लगाने के लिए नेम प्लेट की जरूरत क्या है। इससे भेदभाव पैदा हो रहा था, लोगों में नफरत फैल रही थी। इससे एक खाई पैदा हो रही थी। हमारी दुकान 100 साल पुरानी है, जो रजिया मस्जिद में है। हमारे साथ हिंदू भाई दुकानदार हैं, हमारे बीच कभी भेदभाव नहीं रहा। आज जो माहौल है, यह नफरत का है।
मोनू ने बताया कि सरकार का फैसला था तो उसका पालन किया। अब कोर्ट के आदेश से रोक लग गई, तो बात खत्म है। पूर्वजों ने बताया कि जब अंग्रेज आए थे तो स्टेशन पर दो मटका लगाकर बंटवारा किया था। एक मटके से हिंदू और दूसरे से मुसलमान पानी पीते थे। हम प्रसाद की दुकान चलाते हैं और अभी बोर्ड नहीं लगाया है।
दुकानदार रिंकू पांडेय ने बताया- हमारी दुकान मस्जिद के नीचे है। हिंदू-मुस्लिम एक साथ दुकान चला रहे हैं। हम लोगों ने अपनी-अपनी दुकानों के नाम पहले से लिख रखे हैं। इसलिए इस आदेश का कोई बहुत फर्क नहीं पड़ा।
कांवड़ रूट की दुकानों पर नेम प्लेट जरूरी नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने UP सरकार का फैसला रोका, कहा- भोजन शाकाहारी है या मांसाहारी यह बताएं
सुप्रीम कोर्ट ने कांवड़ यात्रा रूट पर दुकानदारों को अपनी पहचान बताने को लेकर कई राज्य सरकारों के आदेश पर अंतरिम रोक लगा दी है। कोर्ट ने सोमवार, 22 जुलाई को कहा कि दुकानदारों को पहचान बताने की जरूरत नहीं है। होटल चलाने वाले यह बता सकते हैं कि वह किस तरह का खाना यानी, शाकाहारी या मांसाहारी परोस रहे हैं। लेकिन उन्हें अपना नाम लिखने के लिए मजबूर नहीं किया जाना चाहिए।