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श्री अद्वैत स्वरूप आश्रम,निजात्म नगर जालंधर में स्वामी सार बोधानंद महाराज जी की अध्यक्षता में श्रद्धापूर्वक व हर्षोल्लास से मनाया गुरु पूर्णिमा महोत्सव * सुबह 5 बजे से ही गुरू पूजन को उमड़ी संगत

जालंधर  : श्री अद्वैत स्वरूप आश्रम,निजात्म नगर में स्वामी सार बोधानंद महाराज जी की अध्यक्षता में गुरु पूर्णिमा महोत्सव पूर्ण श्रद्धापूर्वक व हर्षोल्लास से मनाया गया।

गुरू पूर्णिमा महोत्सव पर सुबह 5 बजे से ही बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने आश्रम में पहुंच कर श्री गुरू महाराज जी का पूजन कर आशीर्वाद प्राप्त किया। 

 गुरु पूजन व सत्संग दौरान प्रवचन करते हुए स्वामी बोधानंद महाराज जी ने गुरु पूर्णिमा की विस्तार पूर्वक जानकारी समूह संगत को देते हुए कहा कि आषाढ़ माह की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा के अवसर पर गुरु की पूजा की जाती है व गुरु वह व्यक्ति हैं जो ज्ञान की गंगा बहाते हैं और हमें अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाते हैं। गुरु पूर्णिमा के महत्व के बारे स्वामी जी ने बताया कि पौराणिक काल के महान व्यक्तित्व, ब्रह्मसूत्र, महाभारत, श्रीमद्भागवत और अट्ठारह पुराण जैसे अद्भुत साहित्यों की रचना करने वाले महर्षि वेदव्यास जी का जन्म आषाढ़ पूर्णिमा को हुआ था और उनका जन्मोत्सव गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाया जाता है। वेदव्यास ऋषि पराशर के पुत्र थे। हिन्दू धर्म शास्त्रों के अनुसार महर्षि व्यास तीनों कालों के ज्ञाता थे। उन्होंने अपनी दिव्य दृष्टि से देखकर यह जान लिया था कि कलियुग में धर्म के प्रति लोगों की रुचि कम हो जाएगी। धर्म में रुचि कम होने के कारण मनुष्य ईश्वर में विश्वास न रखने वाला, कर्तव्य से विमुख और कम आयु वाला हो जाएगा। एक बड़े और सम्पूर्ण वेद का अध्ययन करना उसके बस की बात नहीं होगी। इसीलिए महर्षि व्यास ने वेद को चार भागों में बांट दिया जिससे कि अल्प बुद्धि और अल्प स्मरण शक्ति रखने वाले लोग भी वेदों का अध्ययन करके लाभ उठा सकें।इसी लिए उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने हेतु इस दिन को गुरु पूर्णिमा के रुप में मनाया जाता है। 

इस अवसर पर रेखा बाई जी,सुदेश बाई जी,पुष्पा बाई जी,आशी बाई जी,राज बाई जी,धर्मेंद्र महाराज जी,मीनू बाई जी,निक्की बाई जी सहित बड़ी संख्या में संगत उपस्थित हुई।

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