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शंभू बॉर्डर पर किसान और ग्रामीण आमने-सामने:गांव की कमेटी आज लेगी फैसला, बनूड़ रोड जाम करेंगे या जाएंगे हाईकोर्ट

पंजाब और हरियाणा के शंभू बॉर्डर पर आसपास के इलाकों के किसान और ग्रामीण आमने-सामने आ गए हैं। हाईवे बंद होने से लोग परेशान हैं। आसपास के गांवों के लोग अब किसानों के खिलाफ हो रहे हैं। इसके चलते गांव की कमेटी आज फैसला करेगी कि बनूड़ रोड को जाम किया जाए या फिर हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया जाए। अगर बनूड़ रोड को भी जाम किया गया तो अंबाला जाने के लिए 32 किलोमीटर खस्ताहाल रोड बचेगी।

बनूड़ रोड जाम होने से लोगों को होगी परेशानी शंभू बॉर्डर खोलने की मांग कर रहे शंभू के नजदीकी गांवों के लोग अगर आज बनूड़ रोड जाम करने का फैसला करते हैं तो इससे खासकर उन लोगों को परेशानी होगी जो लुधियाना से अंबाला जा रहे हैं। जो शंभू बॉर्डर बंद होने से राजपुरा से बनूड़ का रास्ता अपनाते हैं। ऐसे में लोगों को अंबाला जाने के लिए बनूड़ से डेराबस्सी का रास्ता अपनाना पड़ सकता है।

22 की जगह 45 किलोमीटर का रास्ता तय करना पड़ रहा

अगर आप नेशनल हाईवे के जरिए राजपुरा से अंबाला जाना चाहते हैं तो यह रास्ता करीब 22 किलोमीटर का है। शंभू बॉर्डर बंद होने की वजह से राजपुरा से अंबाला वाया बनूर का सफर अब करीब 45 किलोमीटर का हो गया है।

अगर आज बनूर रोड भी बंद रहता है तो राजपुरा से अंबाला जाने के लिए लोगों को शंभू और घनौर का रास्ता अपनाना पड़ेगा जो करीब 32 किलोमीटर का रास्ता होगा।

इस संबंध में संयुक्त किसान मोर्चा ने कहा है कि उन्होंने नहीं बल्कि केंद्र और हरियाणा सरकार ने उनका रास्ता रोका है। किसान चाहते हैं कि रास्ता खुलवाया जाए और उन्हें दिल्ली जाने दिया जाए।

4 दिन पहले व्यापारियों से झड़प

रविवार को शंभू बॉर्डर पर 100 से ज्यादा व्यापारी रास्ता खुलवाने के लिए पहुंचे थे। इस वजह से वहां झड़प भी देखने को मिली थी। वहीं, किसानों ने व्यापारियों पर मंच पर कब्जा करने के गंभीर आरोप भी लगाए थे। किसानों ने बैठक कर चेतावनी दी कि अगर आंदोलन खराब हुआ तो इसके परिणाम भुगतने होंगे।

13 फरवरी से किसानों ने डाल रखा है डेरा

गौरतलब है कि शंभू बॉर्डर पर 13 फरवरी से किसानों ने अपना डेरा डाल रखा है। किसानों को रोकने के लिए आंसू गैस के गोले दागे गए हैं। किसानों की मांग है कि उन्हें एमएसपी दिया जाए। इसके लिए वे दिल्ली की ओर कूच कर रहे थे, लेकिन शंभू बॉर्डर पर कंक्रीट की दीवारें बना दी गईं।

इस कारण किसान आगे नहीं बढ़ पाए। तब से किसान वहीं बैठे हैं। धरने पर बैठे किसान अपने साथ राशन सामग्री आदि लेकर गए हैं। इस मोर्चे पर किसानों ने एक पक्का मंच बनाया है, जहां रोजाना किसानों की बैठकें होती हैं।

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