
कोई पहलवान था, कोई बाइक सुधारने वाला मैकेनिक, तो कोई बाउंसर, लॉरेंस बिश्नोई के कॉन्टैक्ट में आते ही सब गैंगस्टर बन गए। किसी गुर्गे की मदद से या फेसबुक से लॉरेंस तक पहुंचे। एक कहानी तो ऐसी भी है, जिसमें पिता के मर्डर का बदला लेने के लिए बेटा लॉरेंस की गैंग में शामिल हो गया।गिरफ्तार हुए तो पुलिस को लॉरेंस से जुड़ने से लेकर अपने हर क्राइम की कहानी सुनाई। ये कहानियां दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की रिपोर्ट में लिखी हैं। इस रिपोर्ट से पता चलता है कि कैसे लॉरेंस बिश्नोई गैंग के निशाने पर कम उम्र के लड़के होते हैं। छोटे-मोटे क्राइम करके जेल गए ये लड़के कैसे शातिर क्रिमिनल बनकर लौटते हैं।
दिल्ली पुलिस के रिटायर्ड DCP एलएन राव भी इस बात की तस्दीक करते हैं। वे कहते हैं, ‘हमारे नौजवान गलत रास्ते पर हैं। नाबालिग और कम उम्र के लड़के लॉरेंस गैंग के टारगेट पर हैं। वे सोशल मीडिया पर लॉरेंस को फॉलो करते हैं। उससे कॉन्टैक्ट करते हैं। फिर उन्हें आसानी से पैसे और हथियार मिलने लगते हैं।’ऐसे ही 5 गैंगस्टर की कहानियां निकाली हैं, जो कम उम्र में क्रिमिनल बने और लॉरेंस से जुड़ गए। इनके बयान 30 मार्च, 2021 को दर्ज किए गए थे।
कॉलेज में लॉरेंस ने देखा, बॉडीगार्ड बना लिया
मेरा जन्म 5 फरवरी, 1994 को हुआ था। बचपन से पढ़ाई में कमजोर था। मन नहीं लगा, इसलिए पढ़ाई छोड़ दी। 10 साल का था, तब मां की मौत हो गई। 4 साल बाद पापा भी नहीं रहे। मैं दोस्तों के साथ बदमाशी करने लगा।थोड़ा बड़ा हुआ तो वीरेंद्र बाबा के साथ बाउंसर का काम करने लगा। वीरेंद्र बाबा अपने पास अवैध हथियार रखता था। एक बार पुलिस ने उसके घर रेड मारी। पुलिस ने मुझे भी पकड़ लिया और चंडीगढ़ जेल भेज दिया।जेल में मेरी दोस्ती इंद्रप्रीत उर्फ पैरी से हो गई। कुछ दिन जेल में रहने के बाद मैं जमानत पर बाहर आ गया। एक दिन चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी में लॉरेंस से मुलाकात हुई। लॉरेंस का यूनिवर्सिटी में दबदबा था। वो कई बार जेल जा चुका था। मैं और इंद्रप्रीत पैरी, लॉरेंस के साथ फ्लैट में रहने लगे।
मैं यूनिवर्सिटी भी जाता था। मुझे पता चल गया था कि लॉरेंस के कुछ दुश्मन भी हैं। वो हमेशा अपने साथ दो-तीन दोस्तों को रखता था। मैं पहले बाउंसर था। शरीर से हट्टा-कट्टा था। इसलिए लॉरेंस मुझे अपने साथ रखने लगा। मैं लॉरेंस का बॉडीगार्ड बन गया।
यूनिवर्सिटी में हमारे दूसरे लोगों के साथ झगड़े होते थे। एक दिन मैं और इंद्रप्रीत DAV कॉलेज गए थे। वहां हमारा झगड़ा कपिल से हो गया। हमारे ऊपर हत्या की कोशिश का केस दर्ज हो गया। इस केस में हम फरारी काट रहे थे। तभी 2014 में राजस्थान पुलिस ने लॉरेंस को अरेस्ट कर लिया। जेल में भी लॉरेंस फोन इस्तेमाल करता था। वो हम सभी से बात करता था।
लॉरेंस ने मुझसे कहा कि किसी भी तरह जेल से भागना है। उसके कहने पर हम लोग अबोहर कोर्ट के बाहर इंतजार करते थे। एक बार पुलिस उसे कोर्ट में पेश करने के बाद गाड़ी में वापस लेकर आ रही थी, रास्ते में हमने हमला कर दिया। उसी वक्त लॉरेंस फरार हो गया। फिर हम लोग साथ में रहने लगे।
अनिल रोहिल्ला…
पिता और चाचा को छज्जू गैंग ने मारा, बदला लेने के लिए गैंगस्टर बना
मेरा जन्म 21 फरवरी, 1987 को रोहतक के सांपला करूर गांव में हुआ था। पिताजी रामनिवास ड्राइवर थे। साल 2000 की बात है। छज्जू गैंग के बदमाशों से पिताजी का झगड़ा हो गया। गैंग ने पिताजी का मर्डर कर दिया। मैं पढ़ाई में ठीक था, लेकिन पापा के मर्डर के बाद पढ़ाई छोड़ दी और घर के काम में हाथ बंटाने लगा।
फिर मां ने हम बच्चों के साथ गांव छोड़ दिया। हम गोहाना में रहने लगे। कुछ महीने बाद छज्जू गैंग ने मेरे चाचा रमेश का मर्डर कर दिया। गोहाना थाने में इसका केस दर्ज हुआ था।मेरी मां बहुत डर गई थी। वो हम दोनों भाइयों को लेकर छत्तीसगढ़ चली गई। हम किराए के घर में रहते थे। गुजारे के लिए बड़ा भाई बाजार में दुकान लगाने लगा। मैंने बाइक सुधारने का काम सीख लिया। गांव की जमीन और मकान की देखरेख के लिए मां ने मामा को दादा के पास छोड़ दिया था।
एक दिन खबर मिली कि छज्जू गैंग ने मेरे दादा और मामा को पीट-पीटकर अधमरा कर दिया है। हमारी जमीन और मकान पर छज्जू गैंग के लड़कों ने कब्जा कर लिया था। मां डर की वजह से हमारे साथ छत्तीसगढ़ में ही रहना चाहती थी।
अब हम बड़े हो गए थे। अंदर गुस्सा था, लेकिन मैं कुछ नहीं कर पाया। मैं 2006 में दिल्ली आ गया। गांव के राजेश से कॉन्टैक्ट किया। राजेश की छज्जू गैंग से दुश्मनी थी। पैसों के लिए हम हरियाणा से दिल्ली में अवैध शराब सप्लाई करने लगे। लूटपाट भी करते थे।लूट के एक केस में अरेस्ट हुआ, तो तिहाड़ जेल भेज दिया गया। वहां संदीप उर्फ काला जठेड़ी से मिला। जेल से बाहर आने के बाद भी काला जठेड़ी के कॉन्टैक्ट में रहा। उसके लिए काम करने लगा। रोहतक, सोनीपत और दिल्ली में रंगदारी वसूलने लगा। इसी दौरान मैंने रोहतक में दहशत फैलाने के लिए छज्जू गैंग के बंटू का मर्डर कर दिया।
इसके बाद काला जठेड़ी के इशारे पर एक बड़े कारोबारी को मार दिया। 2010 में राजकुमार उर्फ राजू बसोदी और दूसरे साथियों के साथ मिलकर छज्जू गैंग के नामी बदमाश फूल सिंह की हत्या कर दी। इसके बाद हम रोहतक और झज्जर में शराब कारोबारियों और दूसरे व्यापारियों से प्रोटेक्शन मनी लेने लगे।
राहुल उर्फ बाबा फेसबुक से लॉरेंस के कॉन्टैक्ट में आया, गैंगस्टर बन गया…
मेरा नाम राहुल उर्फ बाबा है। हरियाणा के भिवानी के गांव सांगा में 2 मई, 1993 को पैदा हुआ था। पिताजी का नाम चांदराम था। वे ठेकेदार थे। अभी घर पर ही रहते हैं। मैं पढ़ाई में ठीक था। 8वीं तक दक्ष मॉडल स्कूल में पढ़ा। दिल्ली में ओपन स्कूल से 10वीं और 12वीं की पढ़ाई की।
पढ़ाई के साथ मैं लड़ाई-झगड़े भी बहुत करता था। इसी वजह से भिवानी में कई बार जुवेनाइल होम भेजा गया। 2014 में दोस्तों के साथ पहली बार लूटपाट की थी। मैं पकड़ा गया और पुलिस ने गिरफ्तार करके जेल भेज दिया।
बाहर आकर कुछ दिन दिल्ली में रहा। हरियाणा से शराब लाकर दिल्ली में बेचता था। मुझे पैसों की जरूरत थी। बड़ा गैंगस्टर भी बनना चाहता था। मुझे फेसबुक पर लॉरेंस और संपत नेहरा का पता चला। मैं उनके फेसबुक अकाउंट पर कॉन्टैक्ट करने लगा।2018 में फरीदाबाद में किराए के कमरे में रहता था। वहां जुआ खेलते और क्रिकेट पर सट्टा लगाते थे। मेरे साथ प्रवीण नाम का लड़का जुआ खिलाता था। उसने मुझे गिरफ्तार करवा दिया। मैं 1 महीने जेल में रहा। बाहर आया तो मेरा मकसद प्रवीण से बदला लेना था।
2019 की शुरुआत में फेसबुक पर लॉरेंस से कॉन्टैक्ट हो गया। लॉरेंस ने मेरी दोस्ती संपत नेहरा से करवाई। मैं लॉरेंस और संपत नेहरा के गैंग में शामिल हो गया। उन्होंने मुझे चंडीगढ़ भेज दिया। मैंने इन लोगों के कहने पर कई मर्डर किए, पैसे वसूले। लॉरेंस के कहने पर उन लड़कों को गैंग में शामिल किया, जिन पर कोई केस नहीं था।
प्रियव्रत चोरी से शुरुआत की, काला जठेड़ी से जुड़कर थाईलैंड तक कॉन्टैक्ट बनाए…
मेरा जन्म 31 दिसंबर, 1993 को दिल्ली के कटेवारा में हुआ था। पिता दयानंद कंस्ट्रक्शन का काम करते थे। मां शीला देवी हाउसवाइफ हैं। 2009 में सोनीपत में पॉलिटेक्निक कॉलेज में एडमिशन लिया था। मैं बहुत गुस्सैल था। 2011 में पवन पंडित और संजय राठी के कॉन्टैक्ट में आया। उनके साथ चोरी करने लगा। 2011 में मुझे सोनीपत पुलिस ने पकड़ लिया और बाल सुधार गृह में बंद कर दिया।
कुछ दिन बाद मैं बाहर आ गया। फिर दोस्तों के साथ गाड़ियां लूटने लगा। मेरे केस में प्रदीप गवाह था। उसे गवाही नहीं देने के लिए कहा था, लेकिन वो नहीं माना। दोस्तों के साथ मिलकर मैंने उसकी हत्या कर दी।
इसके बाद बहादुरगढ़ में विजय प्रधान का मर्डर किया। इसके लिए हमें काफी पैसे मिले थे। दबदबा बढ़ा, तो टोलवालों से पैसा वसूलने लगा। कई बार जेल गया, लेकिन जमानत पर छूट जाता था। 2020 में पता चला कि संदीप उर्फ काला जठेड़ी जेल से भाग गया है। मैंने उससे कॉन्टैक्ट किया। हमारी बात होने लगी।
काला जठेड़ी मुझे सीधे फोन नहीं करता था। वो थाईलैंड में वीरेंद्र उर्फ काला राणा को फोन करता, फिर वीरेंद्र दूसरे फोन से स्पीकर पर संदीप से बात करवाता था। संदीप के कहने पर मैंने कई लड़कों को गैंग में जोड़ा था। संदीप और लॉरेंस मिलकर क्राइम करवाते थे।उन्होंने मुझे बताया था कि पुलिस से बचकर रहना है। लगातार ठिकाने बदलने हैं। मेरे पास संदीप जठेड़ी का फोन नंबर नहीं था। मुझे बात करनी होती थी, तो मैं पहले काला राणा को फोन करता था।
किसी काम के लिए पैसे, गाड़ी और हथियार की जरूरत होती, तो हम लोग काला राणा को बता देते थे। दिसंबर, 2020 में काला राणा ने बताया कि दिल्ली के मुंडका रोड पर एक कार खड़ी मिलेगी। काला राणा के कहने पर गैंग के किसी आदमी ने कार खड़ी की थी। हमें बता दिया था कि कार के टायर के नीचे चाबी रखी है। उसी कार में मुझे पैसे और हथियार मिले।असल में ये गैंग का कार और पैसे पहुंचाने का तरीका था। इससे कार देने वाले को पता नहीं होता था कि वो किसे गाड़ी देने जा रहा है। उसी तरह से हमें ये पता नहीं होता था कि गाड़ी किसने खड़ी की है। इसका फायदा ये होता है कि पुलिस दोनों में से किसी को पकड़ ले, तो वो कुछ नहीं बता पाएगा।मैंने काला जठेड़ी के कहने पर दिसंबर 2020 में शाहनवाज नाम के शख्स की हत्या की थी। इसके बाद दिल्ली के नरेला और बवाना में हमारे गैंग की दहशत बढ़ गई। हम लोग शराब तस्करों, टोल प्लाजा और सट्टेबाजों से पैसे वसूलने लगे।
अक्षय पलड़ा नाबालिग था, पहलवानी छोड़ लॉरेंस गैंग से जुड़ा…
मेरा जन्म हरियाणा के सोनीपत के पलड़ा गांव में 10 नवंबर, 1999 को हुआ था। बचपन से पहलवानी का शौक था। खरखोदा के प्रताप स्कूल में पहलवानी करता था। 2012 में पहलवानी छोड़ दी और बुआ के पास रहने लगा। वहीं पढ़ाई करता था। मुझे बहुत गुस्सा आता था। इसी वजह से स्कूलवालों ने निकाल दिया।
2015 में मेरे चाचा कृष्ण सिंह को काला नाम के शख्स ने थप्पड़ मार दिया। इस बेइज्जती का बदला लेने के लिए मैंने दोस्तों के साथ काला का मर्डर कर दिया। मैं फरारी काट रहा था। पैसों की जरूरत थी, इसलिए मैंने संबोली गांव में एक शख्स और उसके बेटे की हत्या कर दी। पुलिस ने मुझे पकड़ लिया और अंबाला के जुवेनाइल होम भेज दिया।मैं 2017 में बाहर आया। मेरी मुलाकात राजकुमार उर्फ राजू बसोदी से हुई। वो बहुत बड़ा गैंगस्टर था। मैं राजकुमार के साथ संदीप उर्फ काला जठेड़ी के गैंग में शामिल हो गया। बाद में काला जठेड़ी, लॉरेंस और संपत नेहरा मिलकर काम करने लगे। उनके लिए हमने मर्डर और लूट की कई वारदात कीं।
बाबा सिद्दीकी के मर्डर के बाद लॉरेंस पर शिकंजा कसा
लॉरेंस गैंग के 7 शूटर अरेस्ट, एक का कनेक्शन बाबा सिद्दीकी के मर्डर से
दिल्ली पुलिस ने पंजाब, हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली से लॉरेंस गैंग के 7 शूटर्स को अरेस्ट किया है। इनके पास से 6 पिस्टल, चोरी की कार, बाइक और GPS ट्रैकर डिवाइस मिली है। इस डिवाइस का इस्तेमाल करके टारगेट को ट्रैक किया जाता है। एक शूटर लुधियाना का सुजीत कुमार उर्फ बब्बू है। सुजीत पर आरोप है कि उसने बाबा सिद्दीकी की रेकी करने वाले नितिन के अकाउंट में पैसे ट्रांसफर किए थे।
लॉरेंस के भाई अनमोल पर 10 लाख का इनाम
नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी यानी NIA ने लॉरेंस के भाई अनमोल पर 10 लाख रुपए का इनाम घोषित किया है। अनमोल का नाम सिद्धू मूसेवाला के मर्डर में सामने आया था। उस पर 18 से ज्यादा केस दर्ज हैं।
अनमोल जोधपुर जेल में सजा काट चुका है। 7 अक्टूबर, 2021 को जमानत पर बाहर आया था। इसके बाद फर्जी पासपोर्ट पर विदेश भाग गया। सूत्र बताते हैं कि अनमोल काफी वक्त कनाडा में रहा। अभी अमेरिका में कहीं छिपा है। हालांकि इसकी पुष्टि नहीं हो पाई है। कहा जा रहा है कि वो बाबा सिद्दीकी के मर्डर में शामिल शूटर्स के कॉन्टैक्ट में था।
कस्टडी से लॉरेंस के इंटरव्यू केस में 2 DSP समेत 7 अफसर सस्पेंड
14 मार्च, 2023 को गैंगस्टर लॉरेंस का एक इंटरव्यू ब्रॉडकास्ट हुआ था। इसमें उसने पंजाबी सिंगर सिद्धू मूसेवाला का मर्डर करवाने की बात कबूली थी। इसके बाद लॉरेंस ने एक और इंटरव्यू दिया। इसमें जेल के अंदर से इंटरव्यू देने का सबूत भी दिया था।
इस मामले में सरकार ने दो DSP, तीन SI, एक ASI और एक हेड कॉन्स्टेबल को सस्पेंड कर दिया है। पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट के निर्देश पर बनी SIT ने इन्हें ड्यूटी के दौरान कोताही और लापरवाही का आरोपी माना है।
कनाडा ने गोल्डी बराड़ का नाम वांटेड लिस्ट से हटाया…
ये भी खबर सामने आई है कि कनाडा ने वांटेड लिस्ट से लॉरेंस के साथी गोल्डी बराड़ का नाम हटा दिया है। ये दावा कनाडा में भारत के उच्चायुक्त रहे संजय कुमार वर्मा ने एक इंटरव्यू में किया था। पड़ताल में पता चला कि मई, 2023 में गोल्डी बराड़ को टॉप-25 की वांटेड लिस्ट में शामिल किया गया था।
गोल्डी मर्डर केस में वांटेड था। हालांकि, उस पर कोई इनाम नहीं रखा गया था। अब BOLO की रिपोर्ट में गोल्डी बराड़ का नाम नहीं है। लिस्ट में 15वें नंबर पर गोल्डी बराड़ की जगह कमर कनिंघम का नाम है। वो हथियारों की तस्करी में वांटेड है।