
रक्षा बंधन का पर्व 30 को मनाया जाए या 31 अगस्त को, इसे लेकर सभी के मन में कंफ्यूजन चल रही है। दरअसल, 30 अगस्त को पूर्णिमा तिथि है, लेकिन पूरा दिन भद्रा होने के कारण इस दिन राखी नहीं बांधी जा सकती। शास्त्रों के अनुसार, भद्रा में राखी बांधना अशुभ माना जाता है।
पंडित ओम प्रकाश शर्मा ने बताया कि होलिका दहन और रक्षा बंधन दोनों त्योहारों में भद्रा का समय जरूर देखा जाता है। होलिका दहन के समय अगर भद्रा हो तो होलिका दहन नहीं की जाती। इसी तरह अगर रक्षा बंधन के दिन भद्रा हो तो बहन अपने भाई को भी राखी नहीं बांधती। इसके चलते ही रक्षा बंधन इस साल दो दिन मनाया जाएगा। श्रावण शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा को भद्रा का योग होने के कारण रक्षा बंधन 30 और 31 अगस्त दोनों दिन है।
शूर्पणखा ने भाई रावण को भद्रा में बांधी थी राखी
दरअसल भद्रा, सूर्य की बेटी और शनि देव की बहन है। भद्रा जन्म से ही मंगल कार्यों में विघ्न डालती थी, इसलिए भद्रा काल में कार्यों की मनाही होती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार, शूर्पणखा ने अपने भाई रावण को भद्रा काल में ही राखी बांधी थी। जिस कारण भाई रावण का सर्वनाथ हुआ। इसलिए लोग भद्रा के समय भाई को राखी बांधने से बचते आ रहे हैं।
30 अगस्त रात 8.57 बजे से मुहूर्त
राखी बांधने का शुभ मुहूर्त 30 अगस्त बुधवार को रात 8:57 से लेकर 31 अगस्त गुरुवार को सूर्य उद्य सुबह 7:46 बजे तक रहेगा। अधिकतर लोग सूर्योदय के समय को शुभ मानते हैं, इसलिए 31 अगस्त को ही श्रावणी उपाकर्म का अनुष्ठान किया जाना शुभ है।
पूर्णिमा तिथि 30 अगस्त को सुबह 10:13 बजे से शुरू हो जाएगी। भद्राकाल सुबह 10:13 बजे से लेकर रात में 8:57 बजे तक रहेगा।