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पंजाब सरकार व पटवारी-कानूनगो आमने सामने:कर्मचारियों की हड़ताल नहीं, लेकिन आज से अतिरिक्त काम छोड़ा; 3193 सर्किल खाली

पंजाब में सरकार और कर्मचारी आमने-सामने आ गए हैं। दोनों में टकराव की स्थिति बननी शुरू हो गई है। मुख्यमंत्री के सख्त रवैये और राज्य में ESMA एक्ट लागू कर दिए जाने के बाद बेशक आज से पटवारी-कानूनगो कलम छोड़ हड़ताल पर नहीं गए हैं, लेकिन वह आज से सिर्फ अपने मुहाल (पटवार सर्किल) में ही काम करेंगे। पटवारियों ने साफ कर दिया है कि वह अतिरिक्त 5-5 और 6-6 सर्किलों में काम नहीं करेंगे।

पटवारियों ने सरकार को यह भी कहा है कि राज्य के जो 3193 पटवार सर्किल खाली हैं उन पर नई भर्ती कर लें। पटवारी-कानूनगो यूनियन का कहना है कि इस वक्त सिर्फ 1523 पटवारी ही राज्य के सभी 4716 पटवार सर्किलों का काम देख रहे हैं। इसके अलावा भी उन्हें और कई अतिरिक्त जिम्मेदारियां दी गई हैं। लेकिन फिर भी सरकार को सभी पटवारी-कानूनगो भ्रष्टाचारी नजर आते हैं।

सरकार ने भी अंडर ट्रेनिंग पटवारियों को उतारने की कवायद शुरू की

वहीं दूसरी तरफ सरकार भी पीछे हटने के लिए तैयार नहीं है। सरकार ने भी पटवारियों के पदों को भरने के लिए जो भर्ती की थी और पटवारी अंडर ट्रेनिंग हैं उन्हें फील्ड में उतारने की कवायद शुरू कर दी है। सरकार ने जल्द ही उनके प्रोबेशन पीरियड में कटौती करके उन्हें खाली पड़े पटवार सर्किलों की जिम्मेदारी सौंप सकती है। हालांकि पिछले दिनों सरकार ने ही इन अंडर ट्रेनिंग पटवारियों का प्रशिक्षण पीरियड कम करने के बाद दोबारा बढ़ा दिया था।

भ्रष्टाचारी कर्मचारी को बचाने के लिए रचा खेल

मुख्यमंत्री भगवंत मान ने कहा कि पटवारी-कानूनगो अपने एक भ्रष्टाचार में फंसे साथी को बचाने के लिए सरकार पर दबाव बनाने की कोशिश कर रहे हैं। जबकि पटवारी-कानूनगो यूनियन का कहना है कि संगरूर में जिस पटवारी, तहसीलदार और कानूनगो पर इंतकाल को लेकर भ्रष्टाचार का मामला विजिलेंस में दर्ज किया है वह दरअसल भ्रष्टाचार का मामला ही नहीं है।

यूनियन का कहना है कि विजिलेंस ने थर्ड पार्टी की शिकायत पर गलत मामला दर्ज किया है। जिस थर्ड पार्टी ने शिकायत दी है उसने भी अपनी शिकायत में लिखा है कि इंतकाल जाली बिल पर हुआ है। इसमें पटवारी से लेकर तहसीलदार का रोल कहां आता है। यदि बिल जाली है तो इसके लिए बिल बनाने वाले दोषी हैं। हालांकि बिल भी सही है और इंतकाल भी सही चढ़ा है।

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