
जालंधर 12 मार्च:पब्लिक स्कूलों की ज्यादतियां किसी से छुपी नहीं हैं। कभी दाखिला नियमों में मनमानी तो कभी अभिभावकों से अनुचित वसूली के लिए कुख्यात हो चले इन स्कूलों के खिलाफ अब आवाज उठाना भी मुश्किल हो गया है।
राज्य में सभी स्कूलों में सैशन 2024-25 का शुरूआती दौर होने के बावजूद अभी तक मात्र 20 फीसदी प्राईवेट स्कूल प्रबंधन ने ही नये सैशन में लगने बाली किताबों,यूनिफार्म व फीसों का ब्योरा स्कूलों के बाहर व अपनी बैबसाईट पर डिस्प्ले किया है व 80 फीसदी स्कूल अभी भी मनमानी करते हुए पंजाब सरकार द्वारा 2021 में जारी आदेशों की धज्जियां उड़ा रहे है।प्राइवेट स्कूलों के संचालक मुनाफाखोरी के चक्कर में स्टेशनरी से लेकर किताबें और वर्दियां तक स्कूल के भीतर या फिर पसंदीदा दुकान से बिकवाते हैं। अभिभावकों को भी उनकी बताई दुकानों से ही पुस्तकें खरीदने के लिए मजबूर किया जाता है। इसे लेकर कई बार स्कूल प्रबंधकों और मैनेजमेंट कमेटियों में भी विवाद हो चुका है। अभिभावकों के विरोध और मीडिया में कथित लूट की खबरें सुर्खियों में रहने के बावजूद प्राइवेट स्कूल संचालक मनमानी से बाज नहीं आते हैं। नये सैशन की किताबों की सूची जारी न करने के कारण महानगर की प्रमुख बुक मार्किट माईं हीरा गेट के सभी बुक सेलर भी अभी तक अनभिज्ञता जता रहे है कि नया सैशन शुरू होने में मात्र एक मंथ रह गया है लेकिन अभी तक उनको विभिन्न स्कूल प्रबंधन द्वारा कोई भी जानकारी हासिल नही करबाई जा रही।
सरकार के आदेश के मुताबिक स्कूल कैंपस में पुस्तकें नहीं बेची जा सकती हैं, न ही स्कूल पसंदीदा दुकान से अभिभावकों को पुस्तकें खरीदने को मजबूर कर सकते हैं। स्कूल प्रबंधकों को सुनिश्चित करना होगा कि वे किसी एक या दो पुस्तक विक्रेता के पास ही पुस्तक न रखवाएं। उन्हें पूरी तरह से सुनिश्चित करना होगा कि कम से कम 20 दुकानों में उनके स्कूल की पुस्तकें उपलब्ध हों। उसके बाद उन सभी दुकानों की जानकारी अभिभावकों से सांझा करनी होगी ताकि अभिभावक अपनी सुविधानुसार अपनी मर्जी की दुकान से पुस्तकें खरीद सकें। सरकार के आदेशानुसार अगर कोई स्कूल इन आदेशों का पालन नहीं करता तो उस पर कार्रवाई हो सकती है। सूत्रो से प्राप्त जानकारी अनुसार कुछ स्कूल प्रबंधन जो अपने 20 बुक सेलर की सूची विभाग को भेज रहे है वह भी मनमानी है व उनमें अत्यधिक उन बुक सेलर के नाम है जो यह कारोबार ही नही करते व यूनिफार्म की सूची जारी करने में भी इस कारण वश देरी की जा रही है कि वह अपने यूनिफार्म होल्डर से ही बिक्री करबा सकें जिसे उन्होने पहले से ही निर्धारित यूनिफार्म के आर्डर दे रखे होते है।
किताब और फंडों के नाम पर चल रही निजी स्कूलों की लूट पर शिक्षा विभाग ने कसा था शिकंजा व की थी ईमेल आईडी लांच…
निजी स्कूलों की तरफ से किताबों और फंडों के नाम पर की जा रही लूट का सख़्त नोटिस लेते हुए शिक्षा विभाग द्वारा सभी निजी स्कूलों को गत तीन वर्ष पूर्व एक पत्र जारी करके स्कूल रेगुलेटरी अथॉरिटी की तरफ से किताबों/ कापियों और फीस/फंडों संंबधी हिदायतों की पालना करने के लिए कहा गया था। गोरतलब है कि स्कूलों की तरफ से की जा रही लूट सम्बन्धी मुख्यमंत्री भगवंत मान को भी शिकायत मिलीं थी। जिनका मुख्यमंत्री ने गंभीर नोटिस लेते हुए हिदायत की थी कि महंगे प्रकाशकों की किताबें लगा कर निजी स्कूलों की तरफ से की जाती लूट को बर्दाश्त नहीं किया जायेगा व शिक्षामंत्री द्वारा भी निजी स्कूलों की तरफ से एक क्लास की 7000 रुपए में एक ही क्लास की बेची जा रही किताबें देख कड़ा संज्ञान लिया गया था जिनमें पहली कक्षा के गणित विषय की किताब ही 600 रुपए मे बिकती देख उन्होने आदेश पारित किया था कि स्कूल मंहगी नहीं, सिर्फ एनसीईआरटी की किताबें ही पढ़ाए।
स्कूलों के बाहर डिस्प्ले करनी होगी सूची…
विभाग द्वारा जारी नियमों अनुसार सैशन शुरू होने से दो माह पूर्व तक छोटे शहरों में स्थित स्कूल को तीन से पांच दुकान के नाम स्कूल के बाहर लिख कर लगाने होते हैं। जबकि बड़े शहरों जैसे लुधियाना, जालंधर और अमृतसर आदि भी बीस-बीस दुकानों की लिस्ट स्कूल के बाहर लगानी होती है जहाँ से विद्यार्थी किताब खरीद सकें व 30 अप्रैल तक नियमों अनुसार स्कूल की तरफ से की गई फीस/ फंडों की वृद्धि, स्कूल के इंफ्रास्ट्रक्चर संबंधी सम्बन्धित जानकारी भर कर शिक्षा विभाग को जमा करवाने हेतु भी आदेश जारी किए थे व इस संबंधी विभाग ने एक ईमेल आईडी emofficepunjab@gmail.com बनाई है, जहां से लोग अपनी शिकायत शिक्षा विभाग तक पहुंचा सकते है।
शिक्षा बन रही व्यापार…
जालंधर स्वाभिमान ने उठाया था स्कूलों द्वारा की जा रही मुनाफाखोरी से हो रही अभिभावको की परेशानी का मुद्दा…
विधायक अरोड़ा को होटल में बिकती मिली थी स्कूल की पुस्तकें…
राज्यभर में कुछ प्राईवेट स्कूलों द्वारा प्रतिवर्ष नया सैशन शुरू होते ही किताबों,वर्दियों की खरीद में की जा रही मुनाफाखोरी व स्कूल फीस में मनमानी की जा रही बढ़ोतरी व शिक्षा के नित्यप्रति हो रहे व्यापारिकरण से छात्रो के अभिभावको को हो रही परेशानी का मुददा जालंधर स्वाभिमान ने प्रमुखता प्रकाशित कर सरकार को जगाने का प्रयास किया था। इसी मुद्दे को विधानसभा सदन में उठाने बाले जालंधर सैंट्रल के विधायक रमन अरोड़ा ही एक ऐसे नेता है जिन्होने खुद गत 2023 अप्रैल माह में अभिभावकों की शिकायत पर एक संस्था द्वारा संचालित प्राईवेट स्कूल की पुस्तकें सोढल रोड पर बंद पड़े होटल में बिक्री के मामले से पर्दा उठाया था। मौके पर खुद अभिभावकों से बात करके विधायक ने स्थिति जानी थी। तब अभिभावकों ने आरोप लगाया था कि स्कूल ने पुस्तकों की लिस्ट तो जारी कर दी मगर माई हीरां गेट की प्रत्येक दुकान में जाकर किताबें पता कर ली थी, जो मिली नहीं। इस वजह से थक हार कर स्कूल द्वारा बताई जगह से किताबें खरीदने के लिए आए थे। जहां पर उन्हें महंगे दाम पर किताबें मजबूरी में आकर खरीदनी पड़ी थी। गत वर्ष की तरह इस वर्ष भी उपरोक्त सिलसिला कई स्कूलों में बदस्तूर जारी है व राज्य सरकार के आदेशों के बावजूद वह मनमानी कर रहे है। सूत्रो से प्राप्त जानकारी अनुसार कुछ स्कूल प्रबंधकों ने मुनाफाखोरी के चक्कर में सरकारी आदेशों से बचने हेतु पब्लिशरो से विशेष सैटिंग करनी शुरू कर दी है कि वह सभी बुक स्टोर को किताबें उपलब्ध करबाने की जगह अपनी फिक्स जुगाड़ू बुक स्टोर को ही किताबें उपलब्ध करबाएं व स्कूल यूनिफार्म हेतु भी फिक्स दुकानों को ही अपने स्कूली प्रतीक चिन्ह प्रदान किए जाए जिनसे सैटिंग हो। वर्णनीय है कि शिक्षा के मंदिरो द्वारा ही किए जा रहे व्यापारिकरण कारण यूथ विदेशों की तरफ रूख कर रहा है व अगर शीघ्र स्कूल संचालित संस्थाओ ने भी शिक्षा का व्यापारिकरण बंद न किया तो भविष्य में फिर इनको स्कूलो में नई ऐडमिशन के हेतु छात्र मिलने हेतु परेशानी आने की संभावना है।