
पंजाब की तीन राष्ट्रीय राजमार्ग परियोजनाओं को बंद करने की आवाज संसद में भी उठी। राज्यसभा सांसद विक्रमजीत सिंह साहनी द्वारा उठाए गए सवालों पर खुद केंद्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी को इस पर भारत सरकार का पक्ष रखना पड़ा।
राज्यसभा में केंद्र सरकार का कहना है कि भूमि अधिग्रहण में दिक्कतों के कारण ये परियोजनाएं रोकी गई हैं। पंजाब से राज्यसभा सांसद विक्रम साहनी के सवाल का जवाब देते हुए केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि एनएचएआई ने वास्तव में भूमि अधिग्रहण की बाधाओं और आवश्यकताओं की पूर्ति न होने के कारण 3,303 करोड़ रुपये की परियोजनाओं को रद्द कर दिया है।
गडकरी ने यह भी बताया कि परियोजनाओं को जारी रखने के लिए भूमि अधिग्रहण और आवश्यक आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए केंद्र द्वारा पंजाब सरकार को एक प्रस्ताव भी भेजा गया है।पंजाब में अब तक 52000 करोड़ रुपये की लागत से 1500 किलोमीटर लंबे राष्ट्रीय राजमार्ग का विकास किया जा रहा है।
भूमि अधिग्रहण न होने से एनएचएआई को नुकसान
भूमि अधिग्रहण के मुआवजे में देरी के कारण भारतीय राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण को भी नुकसान उठाना पड़ा। एनएचएआई के साथ किए गए अनुबंध समाप्त होने या रोक दिए जाने की जानकारी परियोजनाओं पर काम कर रहे ठेकेदारों को हो गई। अधिकांश ठेकेदारों की ओर से एनएचएआई से क्लेम भी मांगे गए हैं।
पहले भी नाराजगी जता चुका है एनएचएआई
एनएचएआई पहले भी पंजाब सरकार के अधिकारियों के ढीले रवैये पर नाराजगी जता चुका है। जिसके चलते एनएचएआई ने पंजाब में 3303 करोड़ रुपये की तीन परियोजनाओं लुधियाना-रोपड़-खरड़, साउथ लुधियाना बाईपास और अमृतसर से टांडा परियोजना को बंद करने का फैसला लिया था।
पिछले महीने एनएचएआई के चेयरमैन संतोष कुमार यादव ने पंजाब के मुख्य सचिव अनुराग वर्मा को पत्र लिखकर नाराजगी जताई थी। पंजाब सरकार के अधिकारियों की ढिलाई के कारण न केवल 8245 करोड़ रुपये की यह परियोजना खतरे में है, बल्कि 42,175 करोड़ रुपये की अन्य परियोजनाएं भी खतरे में हैं।सबसे महत्वपूर्ण परियोजना कटरा, अमृतसर, दिल्ली एक्सप्रेसवे का काम भी अधर में लटका हुआ है। तरनतारन और अमृतसर में भूमि अधिग्रहण और अवार्ड का काम पूरा नहीं हो पाया है।