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दोआबा क्षेत्र में पहली बार एन.एच.एस.अस्पताल के कार्डीयोलोजिस्ट डा.साहिल सरीन ने बिना चीरफाड़ बुजुर्ग के दिल की सफल सर्जरी की…

जालंधर,(संजीव शैली): दिल का कोई वाल्व खराब हो जाये तो उसको डाक्टर बड़े आप्रेशन द्वारा बदलते है यह एक मेजर आप्रेशन माना जाता है।अत्याधुनिक युग में विज्ञान ने बहुत प्रगति करली हैं।हृदय रोगियों के लिए बड़ी राहत भरी खबर है। दोआबा क्षेत्र में पहली बार एन.एच.एस.अस्पताल में युवा कार्डीयोलोजिस्ट डाॅ.साहिल सरीन ने ट्रांसकैथेटर एओर्टिक वाल्व रिप्लेसमेंट (टीएवीआर) तकनीक से जालंधर के 86 साल के बुजुर्ग राजिंदर नाथ की हृदय की सर्जरी की गई। एओर्टिक स्टोनोसिस से पीड़ित मरीजों में टीएवीआर तकनीक के जरिए बिना ओपन हार्ट की सफल सर्जरी की गई है।

बुजुर्गों के लिए काफी राहत भरी है तकनीक…

डॉ.साहिल सरीन कार्डीयोलोजिस्ट(डी.एम.कार्डिया) ने बताया कि बुजुर्ग मरीजों के लिए टीएवीआर तकनीक काफी अच्छी है। इस तकनीक का यह फायदा है कि इसमें बिना चीरफाड़ के ही कृत्रिम हृदय वाल्व प्रत्यारोपित कर दिया जाता है और मरीज बहुत जल्द रिकवरी करके घर जा सकता है। यूरोप,यूएसए के डॉक्टरों द्वारा इसी तकनीक को काफी बड़े स्तर पर पसंद किया जाता है क्योंकि करीब 50 प्रतिशत मरीजों को उम्र व अन्य मेडिकल कारणों से ओपन हार्ट सर्जरी नहीं कर सकते।

 

बिना चीरफाड़ के ही कृत्रिम हृदय वाल्व प्रत्यारोपित की सफलता की जानकारी देते एन.एच.एस.अस्पताल के कार्डीयोलोजिस्ट डाॅ. साहिल सरीन(डी.एम.कार्डिया) व अन्य।

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