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दीपोत्सव : दिवाली दो दिन की, संत समाज और अधिकतर विद्वान 1 नवंबर पर सहमत

खुशियां दोगुनी हैं। अलग-अलग मतों के मुताबिक रोशनी का पर्व भी दो दिन है। 31 अक्टूबर और 1 नवंबर को देवी लक्ष्मी की पूजा का महापर्व दीपावली है।श्री देवी तालाब मंदिर, लक्ष्मी नारायण मंदिर मॉडल हाउस, श्री राम सरोवर मंदिर बस्ती शेख, शिव दुर्गा मंदिर गोपाल नगर, शिव दुर्गा खाटू श्याम मंदिर कमल विहार, शिव मंदिर मोता सिंह नगर और बाबा बालक नाथ मंदिर किशनपुरा के विद्वानों ने बताया कि तिथियों में घटत-बढ़त के चलते इस बार दिवाली पर्व को लेकर असमंजस बना हुआ है। पं. गौतम भार्गव, पं. संतोष शास्त्री, पं. राहुल शास्त्री, पं. विजय शास्त्री व अन्य विद्वानों ने बताया कि पंचांग के अनुसार इस बार 1 नवंबर को दीपावली का पर्व मनाया जाएगा।इस बार 31 अक्तूबर को सुबह अमावस्या काल नहीं होने की वजह से एक नवंबर को सुबह अमावस्या तिथि रहेगी। तभी 1 नवंबर को ही दीपदान करने का विधान है। श्री देवी तालाब मंदिर के महासचिव राजेश विज ने बताया कि दिवाली का त्योहार कार्तिक माह के अमावस्या तिथि पर मनाने का विधान होता है। इस बार संत समाज के अनुसार दिवाली का पर्व 1 नवंबर को हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा। थापरा मोहल्ला में स्थित मंदिर रंग-बिरंगी लाइटों से सजा।

29 अक्टूबर को धनतेरस

मंगलवार, 29 अक्टूबर से दीपोत्सव शुरू हो जाएगा। इस दिन धनतेरस मनाई जाएगी। धनतेरस पर भगवान धनवंतरि जयंती भी मनाते हैं। धनतेरस की रात में यमराज के लिए दीपक जलाने की परंपरा है। इस तिथि पर देवी लक्ष्मी की भी पूजा की जाती है।

30 अक्टूबर को रूप चौदस

बुधवार, 30 अक्टूबर को रूप चौदस मनाई जाएगी, इसे नरक चतुर्दशी भी कहते हैं। इस दिन उबटन लगाने की परंपरा है। माना जाता है कि इस तिथि भगवान श्रीकृष्ण ने नरकासुर नाम के दैत्य का वध किया था। इसी वजह से इस पर्व को नरक चतुर्दशी कहते हैं। 

2 नवंबर को गोवर्धन पूजा

शनिवार, 2 नवंबर को कार्तिक शुक्ल प्रतिपदा यानी गोवर्धन पूजा पर्व है। इस दिन मथुरा स्थित गोवर्धन पर्वत की पूजा करने की परंपरा है। द्वापर युग में श्रीकृष्ण ने ब्रज के लोगों से कंस की नहीं, गोवर्धन पर्वत की पूजा करने के लिए कहा था, तब से ही इस पर्वत की पूजा की जा रही है।

3 नवंबर को भाई दूज

रविवार, 3 नवंबर को भाई दूज है। ये पर्व यमुना और यमराज से संबंधित है। माना जाता है कि इस तिथि पर यमराज अपनी बहन यमुना से मिलने जाते हैं। यमुना यमराज को भोजन कराती हैं। मान्यता है कि इस तिथि पर जो भाई अपनी बहन के घर भोजन करता है, यमराज-यमुना की कृपा से उसकी सभी परेशानियां दूर होती हैं और भाग्य का साथ मिलता है। 

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