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जालंधर में शिअद क्राइसिस पर CM का तंज:मान बोले- तराजू किसी के पास, बादल किसी और के हक में, लोगों को भेड़-बकरियां न समझें

पंजाब के जालंधर पश्चिम विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव के लिए 10 जुलाई (बुधवार) को मतदान होना है। एक तरफ सभी पार्टियां अपना पूरा जोर लगा रही हैं। वहीं दूसरी तरफ शिरोमणि अकाली दल की अंदरूनी कलह खत्म होने का नाम नहीं ले रउपचुनाव से पहले अकाली दल दो हिस्सों में बंट गया है और अब विपक्षी पार्टियां उस पर निशाना साध रही हैं। गुरुवार देर रात राज्य के सीएम भगवंत सिंह मान ने अकाली दल में चल रही कलह को लेकर अपने एक्स अकाउंट से एक पोस्ट शेयर किया और सुखबीर सिंह बादल पर निशाना साधा और उनकी रणनीति पर सवाल उठाए।ही है।

जिसमें सीएम मान ने लिखा- “शिरोमणि अकाली दल (बादल) का हाल देखिए, तकड़ी (अकाली दल चुनाव चिन्ह तराजू है) किसी और उम्मीदवार के पास है, प्रधान सुखबीर बादल किसी और के हक में हैं। अकाली दल ने लोगों को भेड़ और बकरियां समझ कर रखा है। साथ ही सीएम मान ने सवाल खड़ा किया कि सुखबीर सिंह बादल अब क्या जालंधर में बहुजन समाज पार्टी (BSP) के लिए वोट मांगेंगे। बिल्कुल नहीं, भगवान बहुत शक्तिशाली है”।

क्यों चल रही अकाली दल में कलह, पढ़ें

पंजाब की क्षेत्रीय पार्टी शिरोमणि अकाली दल ने आधिकारिक तौर पर अपनी उम्मीदवार सुरजीत कौर का समर्थन ना देने का ऐलान किया है। ऐसा इसलिए क्योंकि अकाली दल एक दूसरे पक्ष ने सुखबीर सिंह बादल की प्रधानगी पर सवाल खड़े किए हैं। दूसरे पक्ष में अकाली दल के वरिष्ठ नेता प्रेम सिंह चंदूमाजरा, बीबी जगीर कौर, पूर्व विधायक गुरप्रताप सिंह वडाला और अन्य कई वरिष्ठ नेता शामिल हैं।

चंडीगढ़ में अकाली दल की बड़ी मीटिंग के दौरान ये नेता नदारद थे और वह जालंधर में अलग से मीटिंग कर रहे थे। जिसमें उन्होंने कहा था कि पार्टी को बदलाव की जरूरत है। चंदूमाजरा ने बदलाव शब्द का इस्तेमाल करते हुए सुखबीर सिंह बादल की प्रधानगी पर सवाल खड़े किए थे।

जिसके बाद सुखबीर सिंह बादल पक्ष के वरिष्ठ अकाली नेता दलजीत सिंह चीमा ने एक बयान जारी कर कहा- जालंधर उप चुनाव में जो उम्मीदवार उतारा गया है, उसका हम स्पोर्ट नहीं करेंगे, क्योंकि उक्त उम्मीदवार बीबी जागीर कौर द्वारा बनाया गया है। उन्हें इस बारे में नहीं पूछा गया।

सुरजीत कौर को जानबूझ कर उतारा

चीमा ने आरोप लगाया था कि बीबी जगीर कौर और वडाला ने सुरजीत कौर को जानबूझ कर चुनावी मैदान में उतारा। वे गरीब परिवार के हैं। उन्होंने ये भी नहीं सोचा कि बीबी सुरजीत कौर ये चुनाव कैसे लड़ेंगी। उनकी आर्थिक मदद तक नहीं की गई।

जबकि सुरजीत कौर भी जानती थी कि उनका नॉमिनेशन कभी भी वापस लिया जा सकता है। अकाली दल बुधवार शाम नॉमिनेशन वापस लेने और बहुजन समाज पार्टी को समर्थन देने के लिए रिटर्निंग ऑफिसर के पास पहुंचा भी था, लेकिन समय निकल जाने के कारण ऐसा नहीं हो पाया।

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