
पंजाब के जालंधर की रहने वाली एक महिला कारोबारी ने प्रयागराज में चल रहे महाकुंभ के दौरान साध्वी बनने का ऐलान किया है। जालंधर में उनका परफ्यूम का कारोबार है, जिसे उन्होंने अपने बेटे को सौंप दिया है। साथ ही घर की पूरी जिम्मेदारी भी उन्होंने अपने बेटे इसके बाद वह प्रयागराज जाकर पूरी तरह अध्यात्म में लीन हो गईं। उन्होंने श्री 1008 महामंडलेश्वर स्वामी चरणाश्रित गिरि जी महाराज का सानिध्य पाया है। अब वह महाकुंभ में लोगों को स्वर योग साधना की शिक्षा दे रही हैं।साथ ही घर की पूरी जिम्मेदारी भी उन्होंने अपने बेटे को ही सौंप दी है।
महिला कारोबारी के साध्वी बनने के PHOTOS…
महिला कारोबारी से साध्वी बनने की पूरी कहानी…
पति की मौत के बाद चुना अध्यात्म का रास्ता
इन 50 वर्षीय महिला का नाम श्वेता चोपड़ा है, जो अब अनंता गिरि बन चुकी हैं। वह जालंधर की सिल्वर हाइट्स कॉलोनी की रहने वाली हैं। उनका विवाह 1996 में परफ्यूम कारोबारी से हुआ था, जिससे उनका एक बेटा हुआ। साल 2012 में नशे से उनके पति की मौत हो गई।
इससे श्वेता आहत थीं और शांति की तलाश में भटक रही थीं। हालांकि, उन्हें अपना घर कारोबार भी संभालना था, इसलिए उन्होंने आनन-फानन कोई कदम नहीं उठाया। उन्होंने तरीके से अपना पारिवारिक कारोबार संभाला और अपने इकलौते बेटे संचित अरोड़ा को भी बड़ा किया।
स्वामी सत्यस्वरूपानंद ने प्रेरित किया
पति की मृत्यु के बाद श्वेता की मुलाकात एक सत्संग के दौरान स्वामी सत्यस्वरूपानंद से हुई। श्वेता ने उनकी शरण ली और गुरु ने भी उन्हें आत्मविश्वास बढ़ाने और आध्यात्मिक ज्ञान की ओर अग्रसर होने के लिए प्रेरित किया।
इसके बाद श्वेता खुद को ध्यान और आध्यात्मिक साधना में झोंकती चली गईं। हालांकि, उन्हें अपने परिवार और कारोबार की भी चिंता थी, इसलिए उन्होंने पूर्ण रूप से अध्यात्म को नहीं अपनाया। वह अपने बेटे के 20 साल के होने का इंतजार कर रही थीं।
वर्ष 2019 में स्वर विद्या में दीक्षा
वर्ष 2019 में उनकी मुलाकात श्री 1008 महामंडलेश्वर स्वामी चरणाश्रित गिरि जी महाराज से हुई थी। श्वेता चोपड़ा ने उनसे स्वर विद्या की दीक्षा ली और श्री विद्या साधना शुरू की। अनंता गिरि बनीं श्वेता बताती हैं कि स्वर शास्त्र का ज्ञान भगवान शिव और माता पार्वती के बीच हुए संवाद से प्रेरित है।
इस ज्ञान के माध्यम से उन्होंने युवाओं को आत्म-जागरूकता, मानसिक संतुलन और आध्यात्मिक प्रगति की कला सिखाने की शुरुआत की। वह गायत्री मंत्र, अग्निहोत्र और श्वास अभ्यास के माध्यम से युवाओं को सनातन धर्म से जोड़ने का प्रयास करने लगीं।
बेटा 20 साल का हुआ तो छोड़े भौतिक सुख
हालांकि, श्वेता को स्वर शास्त्र का ज्ञान देने के साथ अपना परिवार और कारोबार भी देखना पड़ रहा था। इसलिए, वह इन जिम्मेदारियों से मुक्त होने के लिए अपने बेटे के 20 साल के होने का इंतजार कर रही थीं। अब उनका बेटा 20 साल का हो गया है तो अनंता गिरि सब कुछ उसके हवाले कर प्रयागराज चली गईं।
इस समय वह प्रयागराज में श्री 1008 महामंडलेश्वर स्वामी चरणाश्रित गिरि जी महाराज के सानिध्य में हैं और उनके शिविर में रहकर युवाओं को सनातन धर्म का ज्ञान दे रही हैं।
नशे के आदी युवाओं को अध्यात्म से जोड़ रहीं
श्वेता के पति की मौत नशे के कारण हुई थी, जिससे वह काफी आहत थीं। इसलिए, उन्होंने साध्वी बनने के बाद 600 से अधिक युवाओं को नशे की लत से दूर कर आध्यात्मिक जीवन की ओर अग्रसर किया है। वह छात्रों को ध्यान सिखाने और आध्यात्मिक जागरूकता फैलाने के लिए स्कूलों और कॉलेजों का दौरा भी करती रहती हैं।